शिमला, 10 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश में मातृ मृत्यु दर में आई गिरावट आई है। यह दावा प्रदेश सरकार की तरफ से किया गया है। इस बारे में बताया गया है कि राज्य के शहरों व ग्रामीण इलाकों में गर्भावस्था, प्रसव और प्रसव के बाद महिलाओं को दी जा रही गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के चलते संस्थागत प्रसव में कई गुना वृद्धि हुई है और सूबे की मातृ मृत्यु दर में गिरावट आई है। इस समय प्रदेश में संस्थागत प्रसव बढ़कर 91 फीसदी हो गया है। राज्य में मातृ मृत्यु दर घटकर 55 प्रति 1,00,000 जीवित जन्म हो गई है जो परिकल्पित वैश्विक लक्ष्य से भी बेहतर है।प्रवक्ता के अनुसार सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं की देखभाल के लिए कई पहल की गई हैं। इस कड़ी में संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसके तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में गर्भवती महिलाओं, सामान्य व शल्य क्रिया द्वारा प्रसव और बीमार नवजात शिशु को जन्म के एक वर्ष तक मुफ्त और कैशलेस सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत दी जाने वाली सुविधाओं में मुफ्त दवाएं व अन्य उपयोगी वस्तुएं, मुफ्त जांच, आवश्यकता होने पर मुफ्त रक्त और मुफ्त आहार शामिल हैं। घर से स्वास्थ्य संस्थान, दूसरे अस्पताल को रेफर किए जाने पर स्वास्थ्य संस्थानों में मध्य और स्वास्थ्य संस्थान से घर वापस जाने के लिए मुफ्त परिवहन सुविधा भी प्रदान की जाती है। सभी बीमार नवजातों और शिशुओं को सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में इलाज के लिए समान सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। संस्थागत प्रसव के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना के तहत संस्थागत प्रसव पर 1100 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।