चंडीगढ़ 25 जून। हरियाणा के मुख्य सचिव टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों के बारे में आगामी 1 जुलाई, 2024 को राज्य के सभी 378 पुलिस थानों और जेलों में व्यापक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
इस पहल का उद्देश्य आमजन को तीन नए आपराधिक कानूनों-भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के बारे में शिक्षित करना है।टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय
गृह सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान यह जानकारी दी। बैठक में 1 जुलाई से होने वाले इन नए आपराधिक कानूनों के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन के लिए राज्यों की तैयारियों की समीक्षा की गई।
मुख्य सचिव ने आपराधिक न्याय प्रणाली के इस महत्वपूर्ण सुधार में हरियाणा की भूमिका पर गर्व व्यक्त करते हुए इन कानूनों के सुचारू क्रियान्वयन के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि जांच अधिकारियों (आई.ओ.) सहित लगभग 40,000 पुलिस कर्मियों को राज्य के विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों में प्रशिक्षित किया गया है।
इसके अलावा, हरियाणा के 300 न्यायिक अधिकारियों ने चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी में नए आपराधिक कानूनों पर प्रशिक्षण प्राप्त किया है। हाल ही में, हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (हिपा), गुरुग्राम द्वारा आईएएस और एचसीएस अधिकारियों के लिए एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य अधिकारियों को नए कानूनों की पेचीदगियों से परिचित कराना था। उन्होंने कहा कि इसी तरह के कार्यक्रम ऑफलाइन मोड में मंडल स्तर पर भी आयोजित किए जाएंगे।
प्रसाद ने कहा कि राज्य की सभी जेलें पर्याप्त तकनीकी बुनियादी ढांचे से लैस हैं, जिनमें लगभग 300 डेस्कटॉप शामिल हैं। वर्चुअल कोर्ट कार्यवाही की तैयारी में, जेलों और न्यायालय परिसरों में 149 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम पहले ही लगाए जा चुके हैं। इसके अलावा, 178 सिस्टम और खरीदे जाने हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य के सभी जेल अधीक्षकों को नए आपराधिक कानूनों के बारे में कैदियों, उनके रिश्तेदारों, आगंतुकों और जेल कर्मचारियों के लिए एक विशेष जागरूकता अभियान शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। इन कानूनों के तहत नई धाराओं और प्रक्रियाओं को रेखांकित करने वाली पॉकेट बुकलेट फील्ड स्टाफ में वितरित करने के लिए छपवाई गई हैं।बैठक में पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर, डी.जी.पी. जेल मोहम्मद अकील और गृह, जेल तथा कानून और विधायी विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।