चंडीगढ़, 10 सितंबर। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के खिलाफ हिंसा पर जीरो-टॉलरेंस नीति को दोहराते हुए पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने आज स्पष्ट रूप से कहा कि चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा के मामलों का गंभीर संज्ञान लेते हुए, स्वास्थ्य मंत्री ने आज सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नरों, सीपीज/एसएसपीज और सिविल सर्जनों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में स्वास्थ्य प्रशासनिक सचिव कुमार राहुल, सचिव स्वास्थ्य कम एमडी एनएचएम डॉ. अभिनव त्रिखा, एमडी पीएचएससी वरिंदर कुमार शर्मा और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशक डॉ. हितिंदर कौर उपस्थित थे।
कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, डॉ. बलबीर सिंह ने डिप्टी कमिश्नरों की अध्यक्षता में जिला स्वास्थ्य बोर्डों के गठन के निर्देश दिए। इन बोर्डों में एसएसपी, सिविल सर्जन, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल/मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, जिला पीसीएमएस अध्यक्ष/जिला आईएमए अध्यक्ष के प्रतिनिधि, पैरामेडिकल स्टाफ/एनजीओ के प्रतिनिधि और कानूनी विशेषज्ञ सदस्य के रूप में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि ये बोर्ड सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए मासिक बैठकें करेंगे।
कैबिनेट मंत्री ने अधिकारियों को ‘पंजाब प्रोटेक्शन ऑफ मेडिकेयर सर्विस पर्सनज एंड मेडिकेयर सर्विस इंस्टीट्यूशंस (प्रिवेंशन ऑफ वायलेंस एंड डैमेज टू प्रॉपर्टी) एक्ट, 2008’ को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में – अंग्रेजी और पंजाबी दोनों भाषाओं में – डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएं, जिन पर इस अधिनियम की धाराएं, जुर्माने और सजा के साथ-साथ पुलिस स्टेशनों के नंबर प्रदर्शित हों।
स्वास्थ्य मंत्री ने उन सभी स्वास्थ्य संस्थानों को निकटतम पुलिस चौकी/थाने से जोड़ने की आवश्यकता पर भी जोर दिया जहां मरीजों की अधिक संख्या होती है।
उन्होंने सिविल सर्जनों को निर्देश दिया कि वे सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में होमगार्ड की तैनाती, सीसीटीवी कैमरे लगाने और उचित रोशनी सहित पुख्ता सुरक्षा व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें। उन्होंने सुझाव दिया कि मरीजों के प्रवेश को सुव्यवस्थित करने के लिए इन-पेशेंट डिपार्टमेंट (आईपीडी) क्षेत्र में मरीज के साथ केवल एक व्यक्ति को ही जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
उन्होंने अधिकारियों को यौन उत्पीड़न के संबंध में स्वास्थ्य सुविधा प्रभारी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय आंतरिक समिति गठित करने और इस समिति में तीन महिला सदस्यों को शामिल करने के निर्देश दिए।
डॉ. बलबीर सिंह ने स्वास्थ्य कर्मियों से भी अपील की कि वे मरीजों और उनके साथ आने वाले लोगों के साथ सहानुभूति और शिष्टाचार के साथ पेश आएं क्योंकि वे अक्सर तनाव और चिंता में अस्पताल आते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि मरीजों को डॉक्टरों/स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा दिए गए इलाज से संबंधित कोई समस्या होती है, तो वे जिला शिकायत निवारण समिति से संपर्क कर सकते हैं, और समिति द्वारा मामले की उचित जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि लगातार हो रही बारिश के कारण डेंगू के मामलों में आई थोड़ी वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य में जीवाणुओं से होने वाली बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए किए गए उपायों की भी समीक्षा की। उन्होंने सिविल सर्जनों को हॉटस्पॉट क्षेत्रों में घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने लोगों से अपील की कि वे डेंगू मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए अपने घरों और आसपास पानी जमा न होने दें।