फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफ0डी0आई0) एवं फॉर्च्यून-500 कम्पनियों के निवेश हेतु प्रोत्साहन नीति-2023 में संशोधन का प्रस्ताव अनुमोदित
लखनऊ : 04 नवम्बर, 2024
मंत्रिपरिषद ने फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफ0डी0आई0) एवं फॉर्च्यून-500 कम्पनियों के निवेश हेतु प्रोत्साहन नीति-2023 में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
सक्षम स्तर से प्राप्त अनुमोदन के उपरान्त शासन के शासनादेश दिनांक 01 नवम्बर, 2023 द्वारा ‘फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफ0डी0आई0) एवं फॉर्च्यून-500 कम्पनियों के निवेश हेतु प्रोत्साहन नीति-2023’ निर्गत की गई है।
नीति में अर्हता हेतु निवेश की न्यूनतम सीमा 100 करोड़ रुपये रखी गयी है। भारत सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक (आर0बी0आई0) के वर्तमान दिशाजनिर्देशों के अनुसार मात्र इक्विटी में किये निवेश को ही एफ0डी0आई0 में सम्मिलित किया जाता है।
इसके विपरीत यह पाया गया है कि लगभग सभी औद्योगिक परियोजनाओं में प्रमोटर्स की इक्विटी के साथ-साथ बैंक ऋण (एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोइंग, स्टैण्डबाई लेटर्स ऑफ क्रेडिट व डेबेन्चर्स आदि) के माध्यम से भी वित्त पोषण किया जाता है। शायद ही कोई औद्योगिक परियोजना शत-प्रतिशत प्रमोटर्स की सिर्फ इक्विटी से स्थापित की जाती है।
नीति–2023 का आशय प्रदेश में समस्त प्रकार का विदेशी निवेश को बढ़ाने का है, जो प्रमोटर्स की इक्विटी के साथ-साथ बाहय बैंक ऋण (एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोइंग, फॉरेन स्टैण्डबाई क्रेडिट लिमिट तथा डेबेन्चर्स व अन्य) इन्स्ट्रूमेंट्स के माध्यम से भी हो सकता है।
किसी परियोजना में इक्विटी के साथ साथ डेब्ट एवं अन्य स्रोत रखने के कई महत्वपूर्ण कारण होते हैं, जो मुख्यतः निम्नवत है :-
ए- इच्वेस्टर्स द्वारा इन्वेस्टमेन्ट पर रिटर्न मिलता रहे। अतः परियोजना की स्थापना में डेब्ट पोर्शन से रेगुलर रिटर्न, इण्टरेस्ट तथा रिडेम्पशन प्रिमियम के रूप में मिलता है।
बी- डेब्ट पोर्शन पूरी तरह रिपैट्रिबल होता है, जिससे स्टेक होल्डर को आवश्यकतानुसार फण्ड मोबीलाईज करने में आसानी होती है।
सी- डेब्ट के ऊपर ब्याज (इन्टरेस्ट) इनकम टैक्स के प्रावधान के अनुसार डिडक्टेबल खर्चों की श्रेणी में माना जाता है, जिससे टैक्स बेनिफिट निवेशकर्ता को उपलब्ध हो पाता है।
डी- उपरोक्त के अतिरिक्त डेब्ट, लेण्डर को एसेट्स के ऊपर सिक्योरिटी भी प्रदान करता है।
उपर्युक्तानुसार वर्णित कारणों के दृष्टिगत मंत्रिपरिषद द्वारा फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (एफ0डी0आई0) एवं फॉर्च्यून-500 कम्पनियों के निवेश हेतु प्रोत्साहन नीति–2023 में निम्नवत संशोधन पर अनुमोदन प्रदान किया गया है :-
1.नीति को फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट, फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेण्ट एण्ड फॉर्च्यून ग्लोबल-500 एण्ड फॉर्च्यून इण्डिया-500 इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी-2023 (यूपी एफडीआई »/ एफसीआई पॉलिसी-2023) यानि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विदेशी पूँजी निवेश, फॉर्च्यून ग्लोबल 500 एवं फॉर्च्यून इण्डिया-500 निवेश प्रोत्साहन नीति-2023 कहा जाएगा।
2. फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेण्ट के रूप में इक्विटी में निवेश करने वाली विदेशी कम्पनी के निवेश के साथ प्रिफरेंस शेयर, डिबेंचर्स, एक्सटर्नल कॉमर्शियल बॉरोईंग, स्टैण्डबाई लैटर ऑफ क्रेडिट, लैटर्स ऑफ गारण्टी व अन्य डेब्ट सिक्योरिटी शामिल होगी। उपरोक्त के अतिरिक्त अन्य मोड, जो आर0बी०आई0 के द्वारा फ्रेमवर्क ऑन एक्सटर्नल कॉमर्शियल बारोईग, ट्रेड क्रेडिट, स्ट्रक्चवर्ड ऑब्लीगेश्स ऐज पर सकुंलर नं0-आरबीआई / एफईडी / 2048–49 / 67, दिनांक 26 मार्च, 209 (यथा संशोधित) के अन्तर्गत किए गए 100 करोड़ रुपये के विदेशी निवेश की गणना के लिए अर होंगे। उपरोक्तानुसार विदेशी निवेशक कम्पनी द्वारा किए गए फॉरेन कैपिटल इन्वेस्टमेण्ट राशि (जिसमें इक्विटी में न्यूनतम 10 प्रतिशत तथा शेष ऋण व अन्य इन्स्ट्रूमेण्ट के माध्यम से मिलाकर 100 करोड़ रुपये का निवेश) को इस नीति के अन्तर्गत पात्र माना जाएगा तथा पूँजी निवेश की गणना में सम्मिलित किया जाएगा।
3.पॉलिसी के अन्तर्गत फ्रण्ट एण्ड लैण्ड सब्सिडी औद्योगिक प्राधिकरणों की भूमि पर ही देय है एवं ई0सी0आई0 में इस राशि को सम्मिलित नहीं किया जाता है। यदि यूपी एफडीआई »/ एफसीआई पॉलिसी-2023 द्वारा स्थापित होने वाली परियोजनाएं, ऐसी भूमि पर नहीं हैं जो कि औद्योगिक प्राधिकरणों की हैं, ऐसी स्थिति में वहाँ भूमि की लागत को ई0सी0आई0 में शामिल किया जा सकेगा।
इसी क्रम में प्रदेश की वायु गुणवत्ता में और अधिक सुधार की दीर्घकालीन की कार्यवाहियों के क्रियान्वयन के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेण्ट प्रोजेक्ट” की स्वीकृति प्रदान की गयी है। परियोजना का उद्देश्य राज्य में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एयरशेड आधारित रणनीति अपनाना है। इस परियोजना के तहत वायु गुणवत्ता प्रबन्धन, औद्योगिक, परिवहन, कृषि एवं पशुपालन, डस्ट एवं अपशिष्ट क्षेत्रों में विभिन्न कार्यवाहियां की जाएंगी, ताकि प्रदेश में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत निर्धारित लक्ष्यों को हासिल किया जा सके।
परियोजना के क्रियान्वयन से प्रदेश में वायु प्रदूषण से सम्बन्धित सामरिक ज्ञान और निर्णय-सहायता प्रणाली का विकास होगा, जिससे वायु प्रदूषण से निपटने में प्रदेश की क्षमता बढ़ेगी। उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेण्ट परियोजना हेतु विश्व बैंक से 2744.53 करोड़ रुपये ऋण एवं ग्राण्ट, 49 करोड़ रुपये कार्बन फाइनेन्सिंग से प्राप्त होगा।
परियोजना के सुचारु क्रियान्वयन हेतु उत्तर प्रदेश क्लीन एयर मैनेजमेण्ट प्राधिकरण” का गठन किया जाएगा, जिसमें एक शासी एवं कार्यकारी निकाय होगा। यह परियोजना 6 वर्षों (वित्तीय वर्ष 2024-25 से वर्ष 2029–30) तक चलेगी | परियोजना का क्रियान्वयन अनुमोदित डी0पी0आर0 में निहित रणनीति के अनुसार किया जाएगा। परियोजना से राज्य को वायु प्रदूषण से निपटने के लिए विश्वस्तरीय तकनीकी ज्ञान प्राप्त होगा, और राज्य के विभागों एवं एजेंसियों का क्षमता विकास भी किया जाएगा। परियोजना के परिणामस्वरूप राज्य की वायु गुणवत्ता में सुधार होगा, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य और क्षेत्रीय जैव विविधता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
परियोजना के अन्तर्गत एयरशेड आधारित वायु प्रदूषण नियंत्रण सम्बन्धित अनेक कार्यों यथा: वायु प्रदूषण नियंत्रण अनुश्रवण तंत्र की स्थापना, क्षेत्रीय ज्ञान केन्द्रों के माध्यम से क्षमता विकास, उद्योगों में स्वच्छ उत्पादन प्रक्रिया एवं उसका अनुश्रवण, उर्वरक, कृषि, ई-मोबिलिटी के क्रियान्वयन से क्षमता विकास एवं ग्रीन जॉब्स के अवसर उपलब्ध होंगे। इसके अतिरिक्त, ग्रामीण स्तर पर क्लीन कुकिंग के प्रसार हेतु महिलाओं को पर्यावरण सखी एवं स्वच्छ ऊर्जा उद्यमियों के रूप में रोजगार उपलब्ध होगा।