नई दिल्ली, 13 नवंबर। पंजाब के बिजली और लोक निर्माण मंत्री स.हरभजन सिंह ई.टी.ओ ने उत्तरी राज्यों में पराली जलाने की समस्या के उचित समाधान के लिए केंद्र से बायोमास पावर प्रोजेक्ट्स के लिए सब्सिडी उपलब्ध करवाने की मांग की है।
केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान इस मुद्दे पर अपने विचार प्रकट करते हुए पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरभजन सिंह ई.टी.ओ ने जोर दिया कि बायोमास पावर प्रोजेक्ट्स के लिए प्रति मेगावाट पाँच करोड़ की सब्सिडी मिलने से पंजाब और उत्तरी भारत के अन्य राज्यों को पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण से निपटने में मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय 4.8 टन प्रतिदिन कंप्रेस्ड बायोगैस (सी.बी.जी) उत्पादन वाले संयंत्र के लिए 4000 करोड़ की सब्सिडी उपलब्ध कराता है। लगभग इतनी ही मात्रा में पराली का उपयोग कर एक बायोमास संयंत्र एक मेगावाट बिजली का उत्पादन कर सकता है। उन्होंने कहा कि सी.बी.जी उत्पादन की तरह ही जब बायोमास ऊर्जा उत्पादन में पराली का उपयोग किया जाना है तो बायोमास ऊर्जा प्रोजेक्ट्स को भी सब्सिडी या वित्तीय सामर्थ्यता फंड (वी.जी.एफ) के रूप में सहायता मिलनी चाहिए ताकि ऐसे प्रोजेक्ट्स की वर्तमान प्रति यूनिट लागत 7.5 रुपये से घटकर 5 रुपये हो सके, जिससे न केवल राज्यों को आसानी होगी बल्कि पराली की समस्या का बड़े पैमाने पर समाधान भी होगा।
एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि पीएम-कुसुम योजना के तहत 7.5 हॉर्स पावर तक के सोलर पंपों को 30 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है, लेकिन पंजाब में भूजल स्तर गिरने के कारण किसानों को 15 से 20 हॉर्स पावर की मोटरों का उपयोग करना पड़ता है। उन्होंने मांग की कि संबंधित मंत्रालय सब्सिडी को कम से कम 15 हॉर्स पावर तक बढ़ाए, जिससे कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा।
उन्होंने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बी.बी.एम.बी) के हिमाचल प्रदेश के रायपुर और घड़ियाल में 4300 मेगावाट क्षमता के दो पंपिंग स्टोरेज प्रोजेक्ट्स को शीघ्र पूरा करवाने के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने यह भी मांग की कि बिजली की खरीद पर भारत के सौर ऊर्जा निगम को प्रति यूनिट दिए जाने वाले 7 पैसे के शुल्क को कम किया जाए, क्योंकि यह राज्यों के लिए एक बड़ा वित्तीय बोझ है।
कैबिनेट मंत्री हरभजन सिंह ई.टी.ओ ने कहा कि कोयला उत्पादक राज्यों से पंजाब की दूरी अधिक होने के कारण परिवहन पर करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र अपनी एजेंसियों के माध्यम से कोयला उत्पादक राज्यों के पास मेगा बिजली उत्पादन प्रोजेक्ट स्थापित करे, जिनसे पंजाब जैसे दूरदराज के राज्यों को बिजली उपलब्ध कराई जा सके ताकि ये राज्य अतिरिक्त परिवहन खर्चों से बच सकें। इस अवसर पर पी.एस.पी.सी.एल के सी.एम.डी बलदेव सिंह सरां भी मौजूद थे।