चंडीगढ़ 18, नवंबर। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के दसवें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय ने मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी दीक्षांत समारोह में शामिल हुए।
दीक्षांत समारोह में चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय, भिवानी की कुलपति प्रो. दीप्ति धर्माणी भी मौजूद रहीं।
इस अवसर पर राज्यपाल दत्तात्रेय ने डिग्री प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह छात्र जीवन का सबसे यादगार अवसर होता है। इस मौके पर उन्होंने युवा शक्ति का आह्वान किया और कहा कि आने वाला समय आपका है। आप देश का वर्तमान और भविष्य है। आज के समय में राष्ट्र निर्माण के लिए पैसा नहीं बल्कि ज्ञान ही सबसे बड़ी शक्ति है। युवा नौकरी मांगने वाले नहीं बल्कि देने वाले बनें। नवाचार के महत्व का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने तकनीक, नवाचार और शोध की मदद से उत्कृष्टता प्राप्त करने का मार्ग दिखाया। उन्होंने युवाओं ने अपने स्वयं पर, अपने शिक्षकों, अभिभावकों, संस्कृति व मूल्यों पर गर्व करने जोर दिया।
मुख्य अतिथि ने कहा कि यह दिन शिक्षण संस्थान व उसके शिक्षकों के लिए भी आनंद का उत्सव होता है। राज्यपाल ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम भारत की मेधा को सम्मानित करते हुए उनके राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित करते हैं। मुख्य अतिथि ने कहा कि हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय शोध व नवाचार के माध्यम से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इसी के परिणाम स्वरूप राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संस्थानों द्वारा हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय को एक श्रेष्ठ विश्वविद्यालय के रूप में नामित किया गया है। फिक्की द्वारा हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय को एमर्जिंग यूनिवर्सिटी ऑफ द ईयर के सम्मान से सम्मानित करने पर हर्ष व्यक्त करते हुए राज्यपाल महोदय ने विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार व उनकी टीम को बधाई व शुभकामनाएं दीं।
राज्यपाल ने कहा कि आज जिस तरह से देश भर में उच्च शिक्षण संस्थानों का विकास व प्रसार हो रहा है तथा नई शिक्षा नीति के अंतर्गत वैश्विक स्तर के नए पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं। उससे भारत की ज्ञान परम्परा को फिर से स्थापित कर भारत के गौरव को पुनः स्थापित करने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर उन्होंने मातृभाषा के महत्व का भी विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थी जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत है। राज्यपाल ने विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए युवा पीढ़ी से निरंतर सीखने और दूसरों को भी सीखाने का आह्वान किया। महिला शक्ति का जिक्र करते हुए राज्यपाल महोदय ने युवाओं को केंद्र में रखकर नीतियां, पाठ्यक्रम व भविष्य की योजनाएं बनाने पर जोर देते हुए कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए युवा शक्ति पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
दीक्षांत समारोह में विशिष्ट अतिथि प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने सभी डिग्री धारकों को बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन सपनों को पूर्ण करने के संकल्प का दिन है। विद्यार्थी नए, समृद्ध और महत्वाकांक्षी भारत के निर्माण हेतु अपने योगदान का संकल्प लें। आज का दिन विद्यार्थियों के लिए ज्ञानयोग से कर्मयोग की ओर अग्रसर होने का दिन है। छात्रों को केवल विचारक ही नहीं बल्कि कर्मयोगी बनते हुए नए भारत के निर्माण में योगदान देते हुए अमृतकाल की परिकल्पना को साकार करने में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। प्रो. तिवारी ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय की प्रगति का उल्लेख करते हुए कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार व उनकी टीम की भी सराहना की।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए कुलपति प्रो.टंकेश्वर कुमार ने कहा कि यह दिन उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के जीवन में एक नयी ऊंचाई का संचार करेगी। उन्होंने कहा कि अध्ययन व शोध पूर्ण करके के बाद हमारे छात्र नई संभावनाओं की दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों सपनों को पूर्ण करने में मदद करते हुए सामर्थ्य प्रदान करने के लिए उनके माता-पिता और शिक्षकों को भी बधाई दी।
कुलपति ने विश्वविद्यालय की प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय देश के लिए सर्वश्रेष्ठ नागरिकों के निर्माण की दिशा में निरंतर अग्रसर है। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय कौशल विकास के साथ-साथ भारतीय संस्कृति का ज्ञान भी विद्यार्थियों को उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा दिखाए गए मार्ग का उल्लेख करते हुए भारत को आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में युवाओं की भूमिका का भी स्मरण कराया। कुलपति ने अकादमिक, सामुदायिक और राष्ट्रीय हितों की सुनिश्चितता के लिए संगोष्ठियों, कार्यशालाओं, शोध परियोजनाओं और विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापन के द्वारा अपना विस्तार कर रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप विश्वविद्यालय नित-नए कीर्तिमान स्थापित कर अपनी एक अलग वैश्विक पहचान बना रहा है।
दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद, शैक्षणिक परिषद व विश्वविद्यालय की कोर्ट के सदस्य, विभिन्न शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालय की विभिन्न पीठों के अधिष्ठाता, कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार, परीक्षा नियंत्रक प्रो. राजीव कौशिक, वित्त अधिकारी डॉ. विकास कुमार व जिला प्रशासन की ओर से जिला उपायुक्त डॉ. विवेक भारती व पुलिस अधीक्षक पूजा वशिष्ठ सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी व शोधार्थी मौजूद रहे।
हकेंवि के दसवें दीक्षांत समारोह में कुल 1338 विद्यार्थियों व शोधार्थियों को पीएच.डी., एम.फिल, स्नातक व स्नातकोत्तर की उपाधियाँ प्रदान की गई। साथ 46 छात्रों को उनके उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया गया।
दीक्षांत समारोह में स्नातक पाठ्यक्रमों के अंतर्गत बी.टेक. में 192 तथा बी.वॉक. में 83 विद्यार्थियों को तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में 990 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई। 65 शोधार्थियों को पीएचडी. एवं 08 को एम.फिल. की उपाधि प्रदान की गई। 1338 विद्यार्थियों व शोधार्थियों में 803 छात्र और 535 छात्राएं शामिल हैं।