चंडीगढ़, 25 फरवरी। हरियाणा के गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि निर्धारित समय-सीमा में जांच पूरी कर चालान कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए। वह आज सिविल सचिवालय में चिन्हित अपराध मामलों की 24वीं राज्य स्तरीय समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रही थी। इस बैठक में अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 की अवधि के मामलों की समीक्षा की गई। पॉक्सो एक्ट, एनडीपीएस एक्ट, हत्या, दुष्कर्म के प्रयास, SC/ST एक्ट और अन्य अपराध चिन्हित अपराधों की श्रेणी में आते हैं।
डॉ. सुमिता मिश्रा ने पुलिस विभाग को निर्देश दिए कि सभी जांच अधिकारी निर्धारित समय-सीमा में जांच पूरी कर चालान कोर्ट में प्रस्तुत करें। न्याय वैदिक विज्ञान प्रयोगशाला, हरियाणा के अधिकारियों को वांछित केसों में रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत करने हेतु आवश्यक निर्देश जारी किए गए। इसके अलावा, निदेशक अभियोजन विभाग को आदेश दिया गया कि वे जिला-न्यायवादियों के माध्यम से चिन्हित अपराधों के मामलों की त्वरित सुनवाई हेतु न्यायालय से अनुरोध करें ताकि इनका निपटारा शीघ्र किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि सभी जिला-न्यायवादी सरकार की ओर से केसों की प्रभावी पैरवी करें ताकि दोषसिद्धि दर में वृद्धि हो और योजना के उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।
उन्होंने संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि संज्ञेय अपराधों में तुरंत कार्रवाई की जाए। जांच अधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर मामलों की जांच पूरी करने और आवश्यक दस्तावेज समय पर संकलित करने को कहा गया। निदेशक अभियोजन विभाग को आदेश दिया गया कि जिला-न्यायवादियों के माध्यम से त्वरित सुनवाई के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, जिससे मामलों का शीघ्र निपटारा सुनिश्चित हो सके। गवाहों की सुरक्षा व उपस्थिति को सुनिश्चित करने और सुनवाई प्रक्रिया को तेज करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के उपयोग को और अधिक प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया गया।
बैठक में पिछली मीटिंग में लिए गए निर्णयों की समीक्षा उपरांत कार्यसूची पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। अधिकारियों ने अवगत कराया कि योजना के शुरू होने से अब तक कुल 2,279 मामले चिन्हित अपराधों की सूची में शामिल किए गए हैं, जिनमें से 500 मामलों का न्यायालय द्वारा निपटारा किया जा चुका है। इनमें से 289 मामलों में सजा सुनाई गई, जिससे दोषसिद्धि दर 60.46 प्रतिशत रही। इसके अतिरिक्त, 1 अक्टूबर 2024 से 31 जनवरी 2025 की अवधि में 209 नए मामलों को चिन्हित अपराध की सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई, जिसे स्वीकृति प्रदान की गई।
इस बैठक में विधि-परामर्शी, पुलिस, अभियोजन, अपराध, कानून एवं व्यवस्था, गुप्तचर विभाग के उच्चाधिकारी तथा गृह विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।