चंडीगढ़, 25 जुलाई। आम आदमी पार्टी (आप) के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद भगवंत मान ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा किसानी आंदोलन और किसान संसद को बेतुका बोले जाने पर सख्त ऐतराज किया है।
मान ने कहा कि ऐसी फिजूल और बेतुकी बयानबाजी करने वाले केंद्रीय नेताओं में तानाशाही जिन्न प्रवेश कर चुका है। जो खुद बेतुके ब्यानबाजियां करते हुए दूसरों को गलत साबित करने की असफल कोशिशें कर रहे हैं।
भगवंत मान ने कहा, ‘‘वास्तविकता यह है कि कृषि संशोधन के नाम पर थोपे जा रहे कृषि विरोधी काले कानून ही बेतुके हैं, जो किसानों ने मांगे ही नहीं हैं।’’
मान ने कहा कि कॉर्पोरेट घरानों की ओर से तैयार किए किसान विरोधी कानूनों को जब जोर-जबरदस्ती अन्नदाता पर थोपा जायेगा तो किसानों-मजदूरों समेत कृषि पर निर्भर सभी वर्ग द्वारा विरोध करना स्वाभाविक है। यदि लोकतंत्रीय कदरों-कीमतों के साथ जाहिर किए विरोध को सरकार तानाशाही अकड़ के साथ अनसुना या कुचलने की कोशिश करना बंद नहीं करेगी तो किसान संसद या आंदोलन दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे मुल्क में फैलेगा। इस लिए मोदी सरकार को अपनी बेतुकी जिद कर त्याग कर कृषि विरोधी तीनों ही कृषि कानूनों को रद्द करने चाहिएं।
मान ने कहा कि आम आदमी पार्टी इन काले कानूनों के बिल की ड्राफ्टिंग (मसौदा तैयार होने) के समय से लेकर आज तक इन तीनों कृषि कानूनों के विरुद्ध डटी हुई है और जब तक यह कानून रद्द नहीं होते तब तक डटी रहेगी।
मान ने बताया कि मानसून सत्र के दौरान वह (मान) संसद भवन के बाहर या अंदर इन कृषि कानूनों के विरुद्ध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समेत सभी सत्ताधारी संसदों और मंत्रियों का विरोध करने का कोई मौका नहीं छोड़ते।
मान ने बताया कि मानसून सत्र के दौरान वह लगातार 4 बार संसद में ‘काम रोको प्रस्ताव’ पेश कर चुके हैं, जिससे सरकार सभी सांसदीय कार्य एक तरफ रख कर सिर्फ और सिर्फ कृषि कानूनों के बारे में बात करे और इनको पार्लियामेंट के द्वारा रद्द करने का सही कदम उठाए, परंतु मोदी सरकार इतनी पत्थर-दिल हो चुकी है कि उसे 8 महीनों से आंदोलन में बैठे किसान और उनकी सैंकड़ों कुर्बानियां नजर नहीं आ रही।