मुख्यमंत्री ने विधान सभा को सम्बोधित किया
लखनऊ: 14 अगस्त, 2025
मुख्यमंत्री जी ने आज यहां विधान सभा में कहा कि देश की सबसे बड़ी आबादी के राज्य उत्तर प्रदेश के विजन डॉक्यूमेण्ट पर पिछले 24 घण्टे से अधिक समय से अनवरत चर्चा चल रही है। यह चर्चा उन लोगों की आंखों को खोलना वाली है, जो विधायिका के आचरण पर सवाल उठाते हैं। उत्तर प्रदेश केवल देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य ही नहीं, बल्कि देश की आध्यात्मिक व सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करने वाला राज्य व देश की ऊर्जा का केन्द्र बिन्दु भी है। यह राज्य प्राचीन काल से भारत की आध्यात्मिक व सांस्कृतिक चेतना को नेतृत्व प्रदान करता रहा है। वर्ष 2023 में यू०पी० ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था कि उत्तर प्रदेश एक आशा व उम्मीद का केन्द्र बन चुका है। भारत यदि दुनिया का ब्राइट स्पॉट है, तो उत्तर प्रदेश भारत की ग्रोथ को ड्राईव करने वाला है। उत्तर प्रदेश ने इस दौरान अपने व्यापक कार्ययोजना को लेकर कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने का कार्य कियहै।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आजादी के अमृत काल में देश की स्वतंत्रता के 78 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। प्रदेश आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में देश की भावनाओं के साथ जुड़ा था। उस समय प्रधानमंत्री जी ने देशवासियों के सामने कुछ संकल्प रखे थे। उन संकल्पों में एक महत्वपूर्ण संकल्प वर्ष 2047 तक विकसित भारत के रूप में देश को स्थापित करना था। विकसित भारत तभी बनेगा, जब सभी राज्य अपनी-अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे। इसी भूमिका का निर्वहन करने की दिशा में पिछले 24 घण्टे से अधिक समय से इस सदन में चर्चा का होना विकसित भारत की संकल्पनाओं को आगे बढ़ाने का विजन है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि चर्चा में समस्त सदस्यों ने रूचि ली। कुछ सदस्यों ने रात भर जाग कर इस चर्चा को गम्भीरता प्रदान की और देश का ध्यान आकर्षित किया। उत्तर प्रदेश विकसित हो, प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय बढ़े, देश की खुशहाली में उत्तर प्रदेश का हिस्सा हो, इस दृष्टि से पूरे कार्यक्रम को दो भाग में बांटने का प्रयास किया गया है। वर्ष 1947 से वर्ष 2017 तक हमने 70 वर्षों में क्या किया और वर्ष 2017 से वर्ष 2047 तक की यात्रा में हमने क्या खोया क्या पाया, इसका आत्म अवलोकन करने का यह सबसे उचित समय है। प्रधानमंत्री जी ने विजन डॉक्युमेण्ट को देश के सामने प्रस्तुत किया था। उसी विजन डॉक्यूमेण्ट से प्रेरित होकर उत्तर प्रदेश इस प्रारम्भिक चर्चाओं को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में बिना भेदभाव प्रत्येक योजनाओं का लाभ पहुंचना चाहिए। समावेशी व समग्र विकास की अवधारणा ही विकसित उत्तर प्रदेश व विकसित भारत की संकल्पना को साकार कर सकती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 के बाद डबल इंजन सरकार ने प्रदेश में कानून का राज स्थापित किया। उत्तर प्रदेश में अपराध व अपराधी के प्रति जीरो टॉलरेन्स, उद्योगों के लिए सुरक्षित वातावरण और निवेशकों के लिए ड्रीम डेस्टीनेशन के अलावा जल, थल, नभ की बेहतरीन कनेक्टिविटी, एक्सप्रेस-वे, एयरपोर्ट व मेट्रो से जोड़ने का कार्य किया गया। किसानों के खातों में सीधे सहायता, युवाओं के हाथों में कौशल व रोजगार, सरकारी नौकरी व लाभार्थीपरक योजनाओं का क्रियान्वयन बिना भेदभाव व बिना तुष्टीकरण के किया गया। प्रधानमंत्री जी का मन्त्र “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” प्रदेश की दशा व दिशा को बदलने में एक निर्णायक भूमिका का निर्वहन कर रहा है। उत्तर प्रदेश की पहचान सुशासन, गुड गवर्नेन्स, बेहतर कानून-व्यवस्था, शान्ति व स्थिरता के लिए है। अब यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ सरकारी सोच व अप्रोच में एक सार्थक बदलाव आया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक रूप से वर्ष 1960 में 10वें स्थान पर तथा उसके बाद वर्ष 2014 तक 11वें स्थान पर थी। वर्ष 2014 में श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके विजन के अनुरूप यात्रा आगे बढ़ी तो वर्ष 2017 में भारत दुनिया की 7वीं सबसे बड़ी तथा वर्ष 2024 में 05वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। वर्ष 2025 में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हुआ है। विजन के माध्यम से भारत ने दुनिया में 11वीं अर्थव्यवस्था से चौथी अर्थव्यवस्था की यात्रा तय की और अपनी शक्ति व सामर्थ्य का परिचय दुनिया को करा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 1990 के दशक में निवेशक हतोत्साहित थे। ऐतिहासिक नगर, उपजाऊ भूमि, नदियां और श्रम बल होने के बावजूद प्रदेश की आर्थिक रफ्तार बहुत धीमी थी। आजादी के बाद से वर्ष 2017 तक प्रदेश की जी०डी०पी० में लगातार गिरावट जारी रही। वर्ष 2017 में प्रदेश की जी०एस०डी०पी० 13 लाख करोड़ रुपये थी, वर्तमान वित्तीय वर्ष के अन्त तक बढ़कर35 लाख करोड़ रुपये पहुंचने जा रही है। देश की जी०डी०पी० में उत्तर प्रदेश का योगदान 08 प्रतिशत से बढ़कर 9.5 प्रतिशत हो गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अपार सम्भावनाएं हैं। हमारा एक्सपोर्ट 84 हजार करोड़ रुपये से बढकर 1.86 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। इस वर्ष 8.08 हजार करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत किया है। केन्द्रीय करों पर निर्भरता 56 प्रतिशत से घटकर 46 प्रतिशत रह गयी है। राज्य की हिस्सेदारी भी प्रत्येक क्षेत्रों में आगे बढ़ी है। नीति आयोग के फिजिकल हेल्थ इन्डेक्स में 8.9 अंकों का सुधार हुआ है। प्रदेश को लगातार फ्रण्ट रनर स्टेट का दर्जा हासिल हुआ है। पिछले 05 वर्षों में उत्तर प्रदेश अब बीमारू नहीं, बल्कि रेवेन्यू सरप्लस स्टेट व डिजिटल स्टेट क रूप में अपने आप को स्थापित कर रहा है। वर्ष 2017-18 में डिजिटल लेन-देन 122 करोड़ रुपये का था, आज यह बढ़कर 1400 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अलग-अलग सेक्टर में विभिन्न कार्य हुए हैं। वर्ष 1947 से 2017 तक हमारे किसानों ने कठिन परिस्थितियों में पसीना बहाकर अन्न उपजाया, किन्तु उत्पादकता की रफ्तार सीमित रही। किसानों को फसल की लागत ज्यादा पड़ती थी। गेहूं, चावल, दलहन इन सभी फसलों में हमारा राष्ट्रीय योगदान बहुत कम था। सिंचाई परियोजनाओं की रफ्तार बहुत धीमी थी। सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना वर्ष 1971 में बनी थी। उस समय इस परियोजना की लागत 100 करोड़ रुपये थी। जब परियोजना ईमानदारीपूर्वक समय से पूर्ण नहीं होती है, तो कार्य अधूरे रह जाते हैं। प्रधानमंत्री जी के विजन से डबल इंजन सरकार ने वर्ष 2021 में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना को पूरा किया। परियोजना से 14 लाख हेक्टेयर भूमि को अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा प्राप्त हुई।
अर्जुन सहायक, बाण सागर जैसी परियोजनाएं पिछली सरकारों के विज़न के अभाव के कारण अधूरी पड़ी हुई थीं। वर्ष 2017 से अब तक 31 सिंचाई परियोजनाएं पूर्ण हुई हैं, जिनके माध्यम से 23 लाख हेक्टेयर लैण्ड को अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हुई है। सिंचाई की क्षमता बढ़ाई गई है। 15 लाख से अधिक निजी नलकूप लगाने वाले अन्नदाता किसानों को निःशुल्क बिजली उपलब्ध करायी जा रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रकृति और परमात्मा की असीम कृपा का प्रदेश है, जो अनन्त सम्भावनाओं से युक्त है। उत्तर प्रदेश में उर्वरा भूमि, पर्याप्त सिंचाई सुविधा, कृषि कार्य में तकनीक का समावेश, खाद की पर्याप्त उपलब्धता है। वर्ष 2014 से पूर्व पशुपालन, डेयरी और मत्स्य के क्षेत्र में योजनाबद्ध निवेश का अभाव था। कृषि आधारित उद्योग सीमित क्षमता से चल रहे थे। वर्ष 2017 के बाद विगत आठ वर्षों के समन्वित प्रयासों से प्रदेश की कृषि विकास दर 14 प्रतिशत से अधिक है, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। वर्ष 2017 से पूर्व प्रदेश की कृषि विकास दर सिंगल डिजिट में थी।
राष्ट्रीय खाद्यान्न उत्पादन में प्रदेश का योगदान आज बढ़कर लगभग 21 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 2024-25 में प्रदेश में 414.39 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ, जो देश के कुल गेहूं उत्पादन का 35 प्रतिशत है। इस प्रकार गेहूं उत्पादन में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। गेहूं की उत्पादकता 40 कुन्टल प्रति हेक्टेयर हो चुकी है। वर्ष 2024-2025 में प्रदेश में कुल 219 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन हुआ है, जो देश के धान उत्पादन का 14.7 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश ने दलहन एवं तिलहन उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है। प्रदेश में तिलहन उत्पादन 29.2 लाख मीट्रिक टन है, जो देश का 07 प्रतिशत है। वर्ष 2016-2017 में यह योगदान मात्र 3.3 प्रतिशत था। तिलहन उत्पादकता में 08 वर्षों में 46.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रदेश में दलहन उत्पादन 35.6 लाख मीट्रिक टन है, जो देश का कुल 14.1 प्रतिशत है। वर्ष 2016-2017 में यह योगदान मात्र 9.1 प्रतिशत था। विगत 08 वर्षों में दलहन उत्पादन में 46 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में 2453.5 लाख मीट्रिक टन गन्ना का उत्पादन हुआ है, जो राष्ट्रीय योगदान की दृष्टि से 55 प्रतिशत है। गन्ना उत्पादन में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। राज्य में वर्तमान में 120 चीनी मिलें चल रही हैं, जिनमें 105 चीनी मिलें ऐसी हैं, जो एक सप्ताह के अंदर गन्ना मूल्य का भुगतान कर रही हैं। शेष 15 चीनी मिलें, जिनके भुगतान में विलम्ब है, सरकार उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर रही है। जो चीनी मिल समय पर भुगतान नहीं करेगी, उसके गन्ना क्षेत्र में उतनी ही कटौती करके भुगतान करने वालों को हम गन्ना उपलब्ध कराएंगे।
वर्ष 2017 से अब तक उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को 2.86 लाख करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान डी०बी०टी० के माध्यम से किया गया है। यह वर्ष 1996 से वर्ष 2017 में किए गए गन्ना मूल्य के भुगतान की तुलना में 72 हजार करोड़ रुपये से अधिक है। प्रदेश में 03 नई चीनी मिलों की स्थापना की गयी है तथा 06 चीनी मिलें पुनः संचालित की गयी हैं। 38 चीनी मिलों की क्षमता में विस्तार हुआ है। इसके माध्यम से 01 लाख 25 हजार से अधिक युवाओं को रोजगार प्राप्त हुआ है। वर्ष 2016-2017 में प्रदेश में एथेनॉल उत्पादन केवल 42 करोड़ लीटर था, जो आज बढ़कर 177 करोड़ लीटर हो गया है। उत्तर प्रदेश एथेनॉल उत्पादन में आज देश में नम्बर एक पर है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश का देश के आलू उत्पादन में 40.7 प्रतिशत का शेयर है। केला उत्पादन में 18.8 प्रतिशत, सब्जी उत्पादन में 19.3 प्रतिशत तथा अन्य औद्यानिक फसलों में 16.3 प्रतिशत का योगदान है। उत्तर प्रदेश राज्य औद्यानिक निर्यात प्रोत्साहन बोर्ड का गठन किया जा चुका है। वर्ष 2017 से पूर्व विभिन्न खाद्यान्न उत्पादों को बिचौलियों के माध्यम से खरीदने का कार्य किया जाता था। आज खाद्यान्नों की खरीद किसानों से सीधे की जाती है तथा किसानों को पैसा डी०बी०टी० के माध्यम से सीधे उनके बैंक खाते में जाता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दुग्ध उत्पादन के साथ ही पशु नस्ल सुधार के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश एक लैण्ड लॉक्ड स्टेट है और लैण्ड लॉक्ड स्टेट के बावजूद उत्तर प्रदेश ने देश में मत्स्य उत्पादन में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया है। विगत 08 वर्षों में मत्स्य उत्पादन में दुगने से अधिक की वृद्धि प्राप्त करने में सफलता प्राप्त हुई है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अन्तर्गत 02 करोड़ 86 लाख किसानों को 90 हजार करोड़ रुपये डी०बी०टी० के माध्यम से उनके बैंक खाते में अन्तरित किये गये हैं। लघु और सीमांत किसानों को पी०एम० कुसुम योजना के अंतर्गत 01 लाख से अधिक सोलर पैनल दिए गए हैं। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी के नाम पर लखनऊ में सीड पार्क बनाने की कार्यवाही प्रारम्भ हुई है। 7,727 निराश्रित गौ-आश्रय स्थलों में आज 16 लाख 35 हजार गौवंश संरक्षित हैं। मुख्यमंत्री गौवंश सहभागिता योजना के माध्यम से 2,46,426 गौवंश पशुपालकों को दिये गये हैं। राज्य सरकार पशुपालकों को 1500 रुपये प्रति माह उपलब्ध करवा रही है।
डबल इंजन सरकार आध्यात्मिक विरासतों और प्रतीकों का सम्मान करने के साथ अत्याधुनिक विकास को तेजी से आगे बढ़ा रही है। मुख्यमंत्री जी ने श्री श्याम नारायण पाण्डेय की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा कि यूपी की विरासत हर व्यक्ति नहीं पा सकता है, इस पर हर व्यक्ति नहीं बैठ सकता है। ये महाकाल का आसन है, इस पर न किसी का शासन है। नित सिसक रहा कमलासन है, यह सिंहासन सिंहासन है। यह सम्मानित अधिराजों से अर्चित है राजसमाजों से, इसके पदरज पोछे जाते धूपों के सिर के ताजों से। इसकी रक्षा के लिए भी कुर्बानी पर कुर्बानी है, राणा इसकी रक्षा करें सिंहासन स्वाभिमानी है। उन्होंने कहा कि काशी, अयोध्या, मां विन्ध्यवासिनी धाम, चित्रकूट, मथुरा-वृंदावन जैसे स्थल हमारे विरासत के प्रतीक हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में 09 एग्रो क्लाइमेटिक जोन और 89 कृषि विज्ञान केन्द्र हैं। प्रदेश सरकार प्रत्येक क्लाइमेटिक जोन में एक सेण्टर ऑफ एक्सीलेन्स विकसित करने जा रही इस पर कार्य तेजी से कार्य किया जा रहा है। जनपद कुशीनगर में महात्मा बुद्ध के नाम पर कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य आगे बढ़ चुका है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 1947 से 2017 तक प्रदेश में अधूरा नेटवर्क और ठहरा निवेश था। राज्य में डेढ़ एक्सप्रेस-वे थे। नेशनल हाईवे की लम्बाई 12,000 किमी0 से कम थी। मात्र 02 एयरपोर्ट ही क्रियाशील थे। कनेक्टिविटी के विस्तार की कोई नीति नहीं थी। वर्ष 2017 से 2025 के बीच प्रदेश में जल, थल व नभ की बेहतरीन कनेक्टिविटी आज सबके सामने है। प्रदेश सरकार 22 एक्सप्रेस-वे पर काम कर रही है। आज प्रदेश में 07 एक्सप्रेस-वे संचालित हैं, 05 निर्माणाधीन हैं और 10 एक्सप्रेस-वे पर सर्वे का कार्य किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश आज एक्सप्रेस-वे के सबसे बड़े नेटवर्क के रूप में अपने आप को स्थापित कर रहा है। मेरठ से प्रयागराज तक गंगा एक्सप्रेस-वे बनाया जा रहा है, जो देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे है। डबल इंजन सरकार ने मेरठ को दिल्ली से 12 लेन एक्सप्रेस-वे के साथ जोड़ा है, जिससे 04 घण्टे की दूरी मात्र 45 मिनट में पूरी की जा रही है। देश की पहली रैपिड रेल दिल्ली से मेरठ के बीच शुरू हो चुकी है। प्रदेश की पहली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी मेरठ में मेजर ध्यानचंद के नाम पर बनाई जा रही है।