चंडीगढ़, 24 अगस्त। हरियाणा में प्राइवेट स्कूलों को स्थाई मान्यता देने के लिए स्कूल संचालकों के हित में मानदंडों में ढील दी गई है।
स्कूलों को स्थाई मान्यता देने की प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से पोर्टल बनाया गया है।
स्कूल संचालक अब इस पोर्टल के माध्यम से मान्यता के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
यह जानकारी शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने हरियाणा विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान पूछे गए एक सवाल का जवाब में दी।
उन्होंने बताया कि नियम पूरे न करने वाले स्कूलों को अस्थाई मान्यता देने के लिए भी कई तरह की छूट दी गई है।
इनके लिए भूमि की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है।
सरकार ने इस समस्या पर गंभीरता से विचार करते हुए प्राइमरी स्कूल के लिए क्षेत्र की अनिवार्यता 500 वर्ग मीटर से घटाकर 250 वर्ग मीटर कर दी है।
इसी तरह, मिडल स्कूल के लिए 800 वर्ग मीटर से घटाकर 500 वर्ग मीटर, हाई स्कूल के लिए 2000 वर्ग मीटर से घटाकर 1200 वर्ग मीटर जबकि सीनियर सेकेंडरी स्कूल के लिए कला एवं वाणिज्य संकाय के मामले में 3000 वर्ग मीटर से घटाकर 1800 वर्ग मीटर और कला, वाणिज्य तथा विज्ञान संकाय के लिए क्षेत्र की अनिवार्यता 4000 वर्ग मीटर से घटाकर 2000 वर्ग मीटर कर दी गई है।
प्राइवेट स्कूलों को स्थाई मान्यता प्रदान करने के लिए मौलिक शिक्षा विभाग द्वारा पहली से आठवीं कक्षा तक स्कूल खोलने की अनुमति दी जाती है इसके बाद वे शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत स्थाई मान्यता के लिए आवेदन करते है। लेकिन अनुमति प्रदान करने के दो वर्षों की अवधि में स्थाई मान्यता प्राप्त करनी होगी।
कंवर पाल बताया कि यदि सोसायटी अपने स्कूलों को 9वीं से 12वीं कक्षा तक अपग्रेड कराना चाहती है तो उसे मौजूदा हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियम, 2003 के तहत अनुमति/स्थायी मान्यता के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में नए सिरे से आवेदन करना होगा।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियम, 2003 के नियम 38 और 39 के अनुसार, 30 अप्रैल, 2003 से पहले चल रहे मौजूदा मान्यता प्राप्त/डीम्ड मान्यता प्राप्त स्कूलों को विभाग से कोई नई मान्यता या अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लेना होगा। हालांकि, उन्हें अपनी जमीन और भवन के संबंध में रिटर्न जमा करनी होगी और हर 10 साल के बाद इन स्कूलों की समीक्षा की जाएगी।
उन्होंने बताया कि जो स्कूल हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम, 2003 से पहले चल रहे थे, उन्हें मौजूदा स्कूल माना गया है। ऐसे स्कूलों को अपने आप मान्यता मिल गई है।