चंडीगढ़, 20 जुलाई। पंजाब सीएम भगवंत मान ने एमएसपी की सिफारिशों के लिए गठित समिति में पंजाब को दरकिनार करने के लिए NDA government की सख्त आलोचना की है।
एक बयान में मुख्यमंत्री ने इसको केंद्र सरकार का मनमर्जी वाला कदम बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय अन्न भंडार में सबसे अधिक योगदान देने वाले राज्य को उच्च अधिकार प्राप्त समिति में से बाहर क्यों रखा गया, जिसके बारे में केंद्र की सरकार ही भली-भाँति बता सकती है।
उन्होंने कहा कि जिस ढंग से समिति में पंजाब के किसानों को अनदेखा किया गया है, इससे भाजपा के नेतृत्व वाली NDA government का पंजाब विरोधी चेहरा नंगा होता है।
उन्होंने कहा कि वास्तव में केंद्र सरकार पंजाब के किसानों को अपनी भावनाएं प्रकट करने का मौका नहीं देना चाहती और ख़ासकर घातक कृषि कानून के विरुद्ध राज्य के किसानों के सख़्त विरोध के बाद केंद्र ने यह व्यवहार अपनाया हुआ है।
भगवंत मान ने कहा कि केंद्र का पंजाब के साथ तानाशाही वाला सलूक सहन नहीं किया जा सकता, क्योंकि पंजाब के किसान प्रतिनिधियों के बिना इस समिति का कोई महत्व नहीं रह जाता।
उन्होंने कहा कि पंजाब के प्रतिनिधित्व के बिना बनी समिति ‘‘आत्मा के बिना शरीर’’ की तरह है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीए सरकार किसानों का कल्याण करने की बजाय पंजाब के अन्नदाता के साथ दुश्मनी निकालने की कोशिशें कर रही है।
उन्होंने कहा कि एमएसपी किसानों का कानूनी हक है और अगर केंद्र सरकार चाहती है कि किसानों को इसका लाभ मिलना चाहिए तो इस समिति में पंजाब के किसानों को ज़रूर शामिल किया जाए।
मान ने कहा कि पंजाबियों को शामिल किए बगैर जमीनी हकीकतों से परे अर्थशास्त्रियों पर आधारित यह समिति देश ख़ास तौर पर पंजाब के अन्नदाता के साथ न्याय करने के योग्य नहीं होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बेतहाशा बढ़ रही कृषि लागत और राज्य के किसानों को अपनी उपज के मिल रहे बहुत कम भाव के कारण वह पहले ही कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि देश को अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने वाले पंजाबी किसानों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही एम.एस.पी. तय करने की ज़रूरत है, जिससे किसानों को कृषि संकट में से निकाला जा सके।
भगवंत मान ने कहा, ‘‘NDA government को समय की मांग को समझना चाहिए कि पंजाबी किसानों को इस समिति में ज़रूर शामिल किया जाए, जिससे उनके हितों की रक्षा हो सके।’’