चंडीगढ़, 28 सितंबर। Goa के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने कहा कि गोवा की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले हरियाणा के शहीद करनैल सिंह बेनीपाल का गोवा सदा ऋणी रहेगा।
उन्होंने Goa को पुर्तगाली शासन से मुक्ति दिलाने के लिए गोली खाई और अपनी शहादत दी।
डॉ. सावंत ने उनके चरणों में नमन करते हुए अपनी विनम्र श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने कहा कि Goa अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से जाने वाली सड़क का नाम शहीद करनैल सिंह बेनिपाल के नाम पर रखा जाएगा।
डॉ. सावंत बुधवार को चंडीगढ़ स्थित हरियाणा निवास में प्रेसवार्ता के दौरान बोल रहे थे।
सावंत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।
इस दौरान आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले अनसंग शहीदों को याद किया जा रहा है।
Goa भी अपनी आजादी के 60 वर्ष मना रहा है।
डॉ. सावंत ने कहा कि आजादी के इस अमृत काल में गोवा में शहीद हुए हरियाणा के श्री करनैल सिंह बेनीपाल की पत्नी चरणजीत कौर से अम्बाला जिले के बड़ौला गांव में मिला।
उन्हें गोवा सरकार की तरफ से प्रशस्ति पत्र और 10 लाख रुपये का चेक दिया।
उन्होंने आश्वासन दिया कि भविष्य में भी श्रीमती चरणजीत कौर को हर संभव मदद की जाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने कहा कि जब मैं श्रीमती चरणजीत कौर से मिली तो उनकी आंखों में आंसू आ गए।
उन्हें लगा कि उनके पति के बलिदान के बाद कोई उनसे मिलने आया है, यह भावविभोर क्षण रहा।
मुझे गर्व है कि Goa का मुख्यमंत्री होने के नाते श्रीमती चरणजीत कौर से मिलने पहुंचा।
बड़ौला के सरकारी स्कूल का नाम होगा शहीद करनैल सिंह या उनकी पत्नी के नाम पर
इस मौके पर मौजूद अम्बाला के विधायक असीम गोयल ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने घोषणा की है कि अम्बाला जिले के बड़ौला गांव में स्थित मिडिल स्कूल का नाम शहीद करनैल सिंह बेनिपाल या उनकी पत्नी चरणजीत कौर के नाम पर रखा जाएगा।
पंचायत दोनों में से जिस के नाम का प्रस्ताव पास करेगी, उसी के नाम पर स्कूल का नाम रखा जाएगा।
शहादत के वक्त करनैल सिंह बेनिपाल ने सीने पर खाई थी पुर्तगालियों की गोली
डॉ. प्रमोद सावंत ने बताया कि भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था लेकिन गोवा पुर्तगालियों के कब्जे में था।
Goa को आजादी 19 दिसंबर 1961 को मिली। 1955 में गोवा विमोचन समिति ने गोवा को पुर्तगालियों के शासन से मुक्त करवाने के लिए देशभर के आंदोलनकारियों का आह्वान किया।
महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमा पर लोग इकट्टा हुए, उन्होंने जब गोवा की तरफ कूच की तो सबसे आगे सरोजनी राय थी।
पुर्तगालियों ने जब सरोजनी राय पर गोली चलाई तो हरियाणा के करनैल सिंह बेनीपाल आगे आए, उन्होंने पुर्तगालियों को ललकारा और कहा कि महिला पर गोली चलाने की बजाए, एक पुरुष के सीने पर गोली चलाओ।
तब पुर्तगालियों ने गोली से उन पर हमला कर दिया और उनके सीने पर गोली चला दी, जिससे श्री करनैल सिंह बेनिपाल शहीद हो गए। इस दौरान करीब 30 शहीदों ने अपनी शहादत दी।