एक अन्य मुद्दे का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की ज़मीन का एक इंच भी अधिग्रहित करने के मौके पर उनको उपयुक्त मुआवज़ा देने का पूरा यत्न किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए वचनबद्ध है। भगवंत मान ने कहा कि इस सम्बन्धित डिप्टी कमिशनरों को ज़रुरी निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने अनाज मंडियों में किसानों का एक- एक दाना खरीदने के लिए राज्य सरकार की दृढ़ वचनबद्धता को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से किसानों की सोने जैसी फ़सल मंडियों में पहुँचते ही ख़रीदने के लिए पुख़्ता प्रबंध किये जा रहे हैं। भगवंत मान ने कहा कि मंडियों में अनाज की निर्विघ्न खरीद को यकीनी बनाया जा रहा है जिससे किसानों को किसी किस्म की दिक्कत का सामना न करना पड़े।
मुख्यमंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि वह एफ. आई. आर. का मुद्दा रेलवे मंत्रालय और भारत सरकार के पास उठाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने किसान आंदोलन के दौरान किसानों के विरुद्ध दर्ज की एफ. आई. आर. वापस लेने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है। भगवंत मान ने कहा कि किसानों को राहत देने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जायेगी।
मुख्यमंत्री ने किसानों को यह भी भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार लम्पी स्किन ( चमड़ी रोग) का शिकार हुए पशु धन की विस्तृत सूची भारत सरकार को भेजेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस बीमारी के कारण अपने पशु धन का नुक्सान सहन वाले किसानों को मुआवज़ा देने का मुद्दा केंद्र सरकार के पास उठाएगी। भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से इस बीमारी को महामारी ऐलाने जाने को यकीनी बनाने के लिए पहले ही यत्न किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार बिजली के वितरण के निजीकरण के पूरी तरह ख़िलाफ़ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केंद्र के ऐसे किसी भी कदम का डटकर विरोध करेगी। भगवंत मान ने कहा कि भारत सरकार की तरफ से पेश किये गए बिल के विरोध में राज्य सरकार पूरी तरह किसानों के साथ है।
मुख्यमंत्री ने किसानों को बताया कि राज्य सरकार धान की पराली के प्रबंधन के लिए हर संभव यत्न कर रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को धान की पराली को आग न लगा कर इस नेक कार्य के लिए राज्य सरकार का साथ देना चाहिए। भगवंत मान ने कहा कि राज्य के वातावरण को बचाना समय की मुख्य ज़रूरत है।