शिक्षा नियमावली कानून के तहत स्थाई मान्यता वाले सभी निजी स्कूलों को रिव्यू करानी होगी मान्यता
चंडीगढ़,22 जून।
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर 10 साल पुराने सभी निजी स्कूलों की स्थाई मान्यता की समीक्षा का निर्देश दिया है। इसके साथ ही एचबीएसई और सीबीएसई को पत्र भेजकर कहा है कि बगैर समीक्षा के किसी भी स्कूल की आगे मान्यता न बढ़ाई जाए। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध सभी 10 साल पुराने निजी स्कूलों को ऑनलाइन फार्म-2 भरने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि मान्यता का नवीनीकरण किया जा सके। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है और निजी स्कूल संचालक सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा,प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व संरक्षक सुभाष लांबा ने कहा है कि स्कूल संचालक हमेशा कहते हैं कि वे सीबीएसई व हरियाणा शिक्षा नियमावली के सभी नियम कानूनों का पालन कर रहे हैं। लेकिन अब वे शिक्षा नियमावली के इस नियम का विरोध क्यों कर रहे हैं ? मंच का कहना है कि स्कूल संचालक हर उस नियम व आदेश का विरोध करते हैं और उसको नहीं मानते हैं, जो उनके हितों के खिलाफ होता है या जिनकी वजह से उनके नियम विरुद्ध कार्यों की पोल खुलती है। क्योंकि मान्यता के नवीनीकरण के लिए जो जानकारी मांगी गई है उसमें स्कूल का बिल्डिंग प्लान, नक्शे से लेकर पूरे इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षकों की संख्या, शैक्षणिक योग्यता व वेतन संबंधी दस्तावेज, बच्चों से ली जा रही फीस व फंड, क्लास वाइज बच्चों का रिकॉर्ड, फायर एनओसी, बिल्डिंग सेफ्टी के दस्तावेज देने होंगे। बैलेंस सीट की पूरी जानकारी भी जमा करानी होगी।
मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा व लीगल एडवाइजर एडवोकेट बीएस विरदी ने कहा है कि हरियाणा शिक्षा नियमावली 2003 में साफ-साफ लिखा हुआ है कि हरियाणा की धरती पर सीबीएसई, हरियाणा बोर्ड या अन्य किसी भी बोर्ड के जितने भी स्कूल संचालित हैं उनको शिक्षा नियमावली 2003 के सभी नियम कानूनों को मानना होगा। शिक्षा नियमावली का एक नियम यह है कि स्थाई मान्यता प्राप्त सभी प्राइवेट स्कूलों को हर 10 साल बाद अपनी मान्यता का नवीनीकरण कराना होगा।
फिर क्यों स्कूल संचालक इस नियम का पालन करने का विरोध कर रहे हैं ? इससे पहले भी शिक्षा विभाग ने शिक्षा नियमावली के नियम के तहत ही स्कूल संचालकों से फार्म 6 के सभी कालमों व बिंदुओं पर पिछले 3 सालों में प्रत्येक क्लास के छात्रों के अभिभावकों से वसूली जा रही फीस व फंड्स, रिजर्व व सरप्लस फंड्स, अध्यापकों को दी जा रही सैलरी व अन्य का ठीक प्रकार से ब्यौरा मांगा था, जो आज तक अधिकांश स्कूल संचालकों ने नहीं दिया है। जिन्होंने दिया है वह आधा अधूरा व सही नहीं दिया है।
महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि बैंक में भी खाताधारकों से कई बार केवाईसी फार्म पर ब्यौरा मांगा जाता है जिसे खाताधारक देते हैं। अब प्रश्न यह है कि अभिभावक व एक आम आदमी तो सभी नियम कानूनों का पालन करता है। लेकिन प्राइवेट स्कूल संचालक किसी भी नियम को नहीं मान रहे हैं। इसका कारण साफ है कि स्कूल संचालक जानते हैं कि मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री हर बार की तरह उनके विरोध के आगे झुक जाएंगे और उनकी मांगों को मान लेंगे। मंच ने कहा है कि स्कूल संचालकों के दबाव में और उनके हित में इस भाजपा सरकार ने शिक्षा नियमावली में अब तक इतने संशोधन कर दिए हैं कि आज शिक्षा नियमावली सिर्फ कागजी नियमावली बन गई है। मंच का आरोप है कि स्कूल संचालकों के दबाव में हरियाणा सरकार अब शिक्षा नियमावली के इस नियम को भी हटा देगी जिसमें कहा गया है कि स्थाई मान्यता प्राप्त सभी प्राइवेट स्कूलों को हर 10 साल बाद अपनी मान्यता का नवीनीकरण कराना होगा
कैलाश शर्मा
महासचिव