चंडीगढ़, 28 जुलाई। आम आदमी पार्टी (आप) के सीनियर नेता और नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने पंजाब के उद्योग और वाणिज्य मंत्री शाम सुंदर अरोड़ा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि उद्योग मंत्री की सीधी मिलीभगत से पंजाब लघु उद्योग और निर्यात निगम (पीएसआईईसी) की ओर से जेसीटी इलेक्ट्रॉनिक्स मोहाली की 31 एकड़ जमीन एक प्राइवेट डीलर को घाटे में बेची गई है, जिससे राज्य के खजाने को करोड़ों रुपया का चूना लगा है।
चीमा ने पंजाब सरकार से इस जमीन घोटाले की हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई से जांच करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ‘आप’ को दागी अफसरों की समिति और पंजाब विजिलेंस विभाग पर भरोसा नहीं है, क्योंकि पीएसआईईसी के 1500 करोड़ के औद्योगिक जमीन वितरण घोटाले में जांच एक भद्दा मजाक था। उन्होंने कहा कि माना जा रहा कि इस सौदे में राज्य सरकार को करीब 125 करोड़ का नुकसान हुआ है, परन्तु मामले की निष्पक्ष जांच होने पर यह घोटाला 300 करोड़ रुपए से ऊपर जा सकता है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने विधानसभा में पीएसआईईसी की ओर से औद्योगिक जमीन बेचने में घोटाला होने और जेसीटी इलेक्ट्रॉनिक्स भूमि मामले से सम्बन्धित मामला उठाया था और आईएएस अधिकारियों की कथित समिति की तरफ से की गई घटिया जांच के खिलाफ भी अपना विरोध दर्ज करवाया था। इस मामले में असली दोषियों को क्लीन चिट देने सम्बन्धित हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि प्रदेश में हर तरफ माफिया राज का बोलबाला है, इसलिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की छत्र छाया के बिना कोई अधिकारी, विधायक या मंत्री ऐसे घोटाले को अंजाम नहीं दे सकता।
चीमा ने आरोप लगाया कि पूर्व नायब तहसीलदार वरिन्दरपाल सिंह धूत के मामले में पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने जानबूझ कर मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा को शामिल नहीं किया था, जबकि मंत्री का अलग अलग काम धंधे में धूत के साथ सीधा संबंध है और उनके पारिवारिक सदस्यों की धूत के साथ सांझी जायदादें भी हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि जे.सी.टी जमीन घोटाले में राज्य सरकार के अधिकारियों और मंत्रियों की भ्रष्ट कार्यशैली और असली चेहरा लोगों के समक्ष सार्वजनिक हो गया है। चीमा ने कहा कि पीएसआईईसी ने जमीन की बिक्री पर भुगतान किए जाने वाले 161 करोड़ रुपए पर भी कोई दावा ही नहीं किया और पट्टे की जमीन को 90.56 करोड़ रुपए की कम कीमत पर बेचने की सहमति दे दी थी, जिससे निगम को 5 प्रतिशत की दर के साथ केवल 45 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। उन्होंने कहा, ‘वित्तीय और कानूनी कमियां होने के बावजूद इस मामले को कभी भी वित्त विभाग या ए.जी दफ्तर को नहीं भेजा गया, जो एक बड़े घोटाले और नालायकी का मामला सिद्ध हो रहा है।’
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब इनफोटेक बोर्ड ने भी इस जमीन को बेचने की पहले परवानगी नहीं दी थी, जबकि इस मामले को ए.जी पंजाब को भेजने की सिफारिश की थी, जो नहीं मानी गई। उन्होंने कहा कि पंजाब इनफोटेक बोर्ड की ओर से लाल झंडी दिखाने के बावजूद पीएसआईईसी ने इस तीन समर्थक समझौते और वित्तीय मामले को मंत्री शाम सुंदर अरोड़ा की मंजूरी के साथ बोली करवाने के लिए आदेश जारी कर दिया था।
कैप्टन अमरेन्द्र सिंह पर टिप्पणी करते हरपाल सिंह चीमा ने कहा, ‘अगर आपकी सरकार जीरो भ्रष्टाचार एजेंडे पर चलती है और पद का गलत इस्तेमाल करने और सरकारी खजाने को ठगने वाले मंत्री के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करती तो एक बार फिर साबित हो जायेगा कि कैप्टन सरकार और उसके मंत्री और नेता खुद राज में चल रहे भूमी माफिया में शामिल हैं।

