चंडीगढ़, 29 अप्रैल। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की राज्य को ‘नशा मुक्त पंजाब’ बनाने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) पंजाब गौरव यादव ने आज जिला पुलिस प्रमुखों को 31 मई तक जमीनी स्तर पर नशों की उपलब्धता को शून्य करने के बारे में सख्त अल्टीमेटम देते हुए कहा कि ऐसा करने में विफल रहने पर स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) स्तर तक के सभी अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।
डीजीपी द्वारा आज स्पेशल डीजीपी आंतरिक सुरक्षा आर.एन. ढोके, एडीजीपी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) नीलाभ किशोर और एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर नरेश अरोड़ा के साथ सभी रेंज इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस/डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (आईजीपीज/डीआईजीज) और कमिश्नर ऑफ पुलिस/सीनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (सीपीज/एसएसपीज) की एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की गई ताकि राज्य से नशों के मुकम्मल खात्मे के लिए मौजूदा कार्य योजना को पूरी तरह सुचारू बनाया जा सके।
उन्होंने कहा, “हमने बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं जिसमें अधिकारियों की जवाबदेही तय करना शामिल है। सीपीज/एसएसपीज, डीएसपीज और एसएचओज सहित प्रत्येक अधिकारी को अपने-अपने क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर नशों का सफाया करने में विफल रहने के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह ठहराया जाएगा।”
उन्होंने कहा कि 31 मई के बाद, सभी अधिकारियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन पेशेवर मानदंडों, इंटेलिजेंस और जनता से फीडबैक की मदद से किया जाएगा। उन्होंने कहा, “सर्वेक्षण के बाद, बेहतर प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को इनाम दिया जाएगा, जबकि खराब प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
डीजीपी ने स्पष्ट किया कि पुलिस का ध्यान आंकड़े-आधारित लक्ष्यों पर नहीं है, बल्कि राज्य भर में नशों की शून्य उपलब्धता के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं को पूरी तरह तोड़ना है। उन्होंने आगे कहा कि सीपीज/एसएसपीज को पहले ही निर्देश दिए गए हैं कि वे एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज किए जा रहे मामलों के अगले-पिछले संबंधों का पता लगाएं और पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश करके मामलों को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाएं।
उल्लेखनीय है कि 3 घंटे चली यह बैठक दो हिस्सों में हुई – पहले हिस्से में जिलेवार प्रदर्शन की समीक्षा की गई जिसमें दर्ज की गई एफआईआरज की संख्या, प्राप्तियां और कमियों के बारे में संबंधित रेंज आईजीपीज/डीआईजीज और सीपीज/एसएसपीज के साथ चर्चा की गई, जबकि दूसरे हिस्से में फील्ड अधिकारियों को 31 मई तक अपने-अपने जिलों से नशों के खात्मे के लिए अपनी योजना पेश करने के लिए कहा गया।
डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि बैठक के दौरान, प्रौद्योगिकी को बल में वृद्धि करने के माध्यम के रूप में उपयोग करके बड़ी मछलियों का पीछा करने और उन्हें ट्रैक करने के लिए विभिन्न विधियों और तकनीकों पर भी चर्चा हुई। उन्होंने आगे कहा, “अपराधी गिरफ्तारी से बचने के लिए कट-आउट तकनीकों और वर्चुअल नंबरों का उपयोग कर रहे हैं, इसलिए हमने तकनीकी और मानवीय इंटेलिजेंस का उपयोग करके ऐसे अपराधियों को पकड़ने के लिए सुचारू रणनीति तैयार की है।”
उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस पहचाने गए 755 ड्रग हॉटस्पॉट पर विशेष ध्यान दे रही है और इन संवेदनशील क्षेत्रों में नशों की अधिक मात्रा को रोकने के लिए बार-बार लक्षित और प्रभावी कैसो ऑपरेशन कर रही है।
डीजीपी ने कहा कि पंजाब सरकार के सभी विभाग खासकर स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग राज्य से नशों की बुराई को खत्म करने के लिए एकजुट हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि पंजाब सरकार सभी नशा पीड़ितों को मुख्य धारा में लाने के लिए राज्य में नशा मुक्ति क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
नशों के विरुद्ध मुहिम में अधिक से अधिक नागरिकों को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, डीजीपी गौरव यादव ने राज्य के लोगों से नशा तस्करों की गुप्त रूप से रिपोर्ट करने के लिए सेफ पंजाब एंटी ड्रग हेल्पलाइन ‘9779100200’ का अधिक से अधिक उपयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस हेल्पलाइन पर प्राप्त होने वाली हर सूचना की रोजाना निगरानी की जा रही है और मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रूप से प्रगति की समीक्षा कर रहे हैं।
इस दौरान, राज्य में नशों के खात्मे के लिए शुरू किए ‘युद्ध नशे क विरुद्ध’ को 60 वें दिन भी जारी रखते हुए, पुलिस टीमों ने 1 मार्च, 2025 से अब तक एनडीपीएस एक्ट के तहत 4930 एफआईआर दर्ज करके 7889 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है और उनके कब्जे से 325 किलोग्राम हेरोइन, 100 क्विंटल भुक्की, 157 किलोग्राम अफीम, 95 किलोग्राम गांजा, 21.89 लाख गोलियां/कैप्सूल और 8.09 करोड़ रुपये की ड्रग मनी बरामद की है।