चंडीगढ़, 21 जनवरी। आदिबद्री डैम (Adibadri Dam) के बनने से वर्षों पहले विलुप्त हुई Saraswati river का revival होगा।
आदिकाल से पूजनीय सरस्वती नदी के प्रवाह स्थल के आसपास धार्मिक मान्यताएं पुनः जागृत होंगी।
इसके साथ-साथ यह क्षेत्र तीर्थाटन के रूप में भी विकसित होगा।
यह बात सीएम मनोहर लाल ने हिमाचल के साथ आदिबद्री डैम बनाने को लेकर एमओयू को साइन किए जाने के दौरान कही।
इस एमओयू पर साइन हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल व हिमाचल के मुख्य सचिव रामसुभग सिंह ने किए।
इस मौके पर हरियाणा के सीएम मनोहरलाल व हिमाचल प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर भी मौजूद थे।
आदिबद्री डैम बनने से Saraswati river में 20 क्यूसिक पानी जाएगा
सीएम मनोहर लाल ने कहा कि उनका 35 साल पुराना सपना साकार हुआ है।
उन्होंने वर्ष 1986-87 में Saraswati river के revival के संबंध में हो चल रही रिसर्च से जुड़ी यात्रा की थी।
यह यात्रा यमुनानगर के आदिबद्री से शुरू होकर कच्छ तक पहुंची थी।
उन्होंने कहा कि आदिबद्री डैम बनने से 20 क्यूसिक पानी निरंतर Saraswati river में प्रवाहित होगा।
इससे पूरा वर्ष सरस्वती में पानी का प्रवाह रहेगा।
Saraswati river को लेकर चल रही है रिसर्च
सरस्वती नदी के प्रवाह को लेकर न केवल धार्मिक मान्यता है बल्कि,
सैटेलाइट से स्पष्ट हुआ है कि जमीन के अंदर आज भी इसका प्रवाह है।
सरस्वती नदी पर शोध के संबंध में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पीठ की स्थापना कर रखी है।
इसके अतिरिक्त हरियाणा सरस्वती हैरिटेज डेवलेपमेंट बोर्ड भी बनाया गया है।
हरियाणा ने आदिबद्री से कैथल होते हुए घग्गर नदी तक 200 Kms दूरी को सरस्वती नदी के लिए अधिसूचित किया है।
राजस्व रिकॉर्ड में भी इसका जिक्र मिलता है।
हिमाचल में 31.16 हैक्टेयर जमीन पर बनेगा डैम
यह डैम हिमाचल प्रदेश क्षेत्र के 31.66 हैक्टेयर भूमि पर बनाया जाएगा।
इस पर 215.33 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
इसमें हर वर्ष 224.58 हैक्टेयर मीटर water store किया जाएगा।
इसका 61.88 हैक्टेयर मीटर पानी हिमाचल को तथा शेष करीब 162 हैक्टेयर मीटर पानी हरियाणा को मिलेगा।
इस पानी को सरस्वती नदी में प्रवाहित किया जाएगा।
डैम की चौड़ाई 101.06 मीटर तथा ऊंचाई 20.5 मीटर होगी।
इस प्रोजेक्ट का मकसद सरस्वती नदी के revival के साथ-साथ भूमिगत जल स्तर को बढ़ाना है।
डैम के शुरू होने से बारिश के दिनों में अत्यधिक वर्षा से पैदा होने वाली बाढ़ की स्थिति से भी निपटा जा सकेगा।
इसके नजदीक बनने वाली झील से पर्यटन बढ़ेगा।
आदिबद्री डैम बनने से इसके आसपास का क्षेत्र pilgrimage के रूप में भी विकसित होगा।
उन्होंने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से कालका से कलेसर तक का क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है।
इस क्षेत्र में आदिबद्री, लोहागढ़, कपालमोचन, माता मंत्रादेवी सहित अनेक धार्मिक व पर्यटन स्थल आते हैं।
डैम के साथ-साथ यहां Lake बनने से बहुत से Tourist आएंगे, इससे दोनों प्रदेशों को लाभ मिलेगा।
हथनीकुंड बैराज पर भी बनेगा डैम
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल के साथ मिलकर कई परियोजनाओं पर काम किया जाएगा।
जिसमें हथनीकुंड बैराज पर डैम बनाया जाना भी शामिल है।
इस डैम से बिजली उत्पादन के साथ-साथ यमुना नदी में भी साफ पानी संभव हो सकेगा।
डैम में पहाड़ों से हथनीकुंड बैराज पर आने वाले water storage किया जाएगा।
जिससे फसलों को बाढ़ जैसी स्थिति से भी बचाया जा सकेगा।
इस डैम के लिए एनओसी मांगी गई है, जल्द सर्वे का काम शुरू होगा।
मोरनी में पानी की समस्या को दूर किया जाएगा
इस क्षेत्र के नजदीक बहने वाली नदी पर छोटा डैम बनाकर पानी की समस्या को दूर किया जाएगा।
हिमाचल CM जयराम ठाकुर ने कहा कि डैम दोनों प्रदेशों के लिए irrigation and drinking water की जरूरत पूरी करेगा।
Saraswati river में जल के प्रवाह से धार्मिक व पर्यटन के दृष्टि से यह क्षेत्र विकसित होंगे।