चंडीगढ़, 28 जुलाई। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अकाली-बीजेपी सरकार के दौरान उन प्राइवेट कंपनियों के साथ हुए बिजली समझौतों को एक तरफा रद्द करने या दोबारा समीक्षा करने के आदेश दिए हैं जो धान की बिजाई और गर्मी के सीजन में बिजली की डिमांड को पूरा करने में विफल रहीं थीं।
उल्लेखनीय है कि यह मुद्दा पंजाब की सियासत में काफी गर्माया हुआ है और इसको लेकर सरकार के भीतर से ही दबाव मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर पड़ा हुआ था। अब मुख्यमंत्री ने पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) को उन प्राइवेट कंपनियों के साथ किए एकतरफा सभी बिजली खरीद समझौते रद्द करने या फिर से देखने के लिए कहा है, जो कंपनियां धान की बिजाई और गर्मी के सीजन में बिजली की चरम मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त सप्लाई देने के लिए किये गए समझौतों पर खरा नहीं उतरीं।
तलवंडी साबो पावर लिमिटेड, मानसा जो राज्य के सबसे बड़े निजी थर्मल प्लांटों में से एक है, की धान के मौजूदा सीजन दौरान बड़ी असफलता का गंभीर नोटिस लेते हुए मुख्यमंत्री ने पीएसपीसीएल को इसके पीपीए रद्द करने के निर्देश दिए हैं क्योंकि यह समझौता कंपनी के हक में बहुत ज्यादा जाता है।
उन्होंने पीएसपीसीएल को यह भी कहा कि पिछली अकाली-भाजपा सरकार द्वारा विभिन्न स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (आईपीपी) जो मूलभूत तौर पर राज्य की ख़ासकर धान की बिजाई और गर्मी के मौसम दौरान पैदा होती मांग को पूरा करने के लिए स्थापित किये गए थे, के साथ किये गए सभी बिजली खरीद समझौतों की जांच की जाये। उन्होंने पी.एस.पी.सी.एल. को निर्देश दिए कि सभी एकतरफ़ा पी.पी.एज़ रद्द करें /फिर से जाँच की जाए जिनका राज्य को कोई फ़ायदा नहीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएसपीसीऐल ने साल 2007 के बाद थर्मल/हाइड्रो के साथ 12 बिजली खरीद समझौते और सोलर /बायोमास के साथ लम्बे समय के 122 समझौते किये थे जिससे राज्य की बिजली पैदावार सामर्थ्य को लगभग 13800 मेगावाट करके पंजाब को अतिरिक्त बिजली वाला राज्य बनाया जाए। हालांकि धान के सीजन के दौरान तलवंडी साबो थर्मल प्लांट के सभी तीनों ही यूनिट बिजली की माँग के शिखर के दौरान कुछ दिनों के लिए बिजली पैदा करने में नाकाम रहे। उन्होंने कहा कि तलवंडी साबो पावर लिमिटेड की एक यूनिट मार्च 2021 से नहीं चल सकी और दो यूनिट पिछले एक महीने से बिजली पैदा करने से असमर्थ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस समय तलवंडी साबो पावर लिमिटेड का सिर्फ़ एक यूनिट चल रहा है और इन कारणों से राज्य में बिजली की भारी कमी आई है।पीएसपीसीएल ने पहले ही तलवंडी साबो पावर लिमिटेड को जुर्माना लगा कर नोटिस जारी कर दिया है परन्तु क्योंकि बिजली खरीद समझौते (पीपीए) एकतरफ़ा हैं, इसलिए लगाया गया जुर्माना थर्मल प्लांटों में ख़राबी होने के कारण हुए नुकसान के मुकाबले बहुत थोड़ा होगा। इसके इलावा बिजली खरीद समझौतों की शर्तों के अनुसार, मौजूदा समय आई.पी.पीज़ को गर्मियों /धान के समय दौरान बिजली सप्लाई करना लाज़िमी नहीं है। इसलिए, पीपीए के बीच की कमियों का फ़ायदा उठाते हुए, आईपीपी कम उपभोग वाले सीजन के दौरान बिजली सप्लाई करके पीएसपीसीएल से पूरे तय चार्जिज वसूल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि तलवंडी साबो पावर लिमटिड की नाकामी के नतीजे के तौर पर पड़े घाटे को भरने के लिए पी.एस.पी.सी.एल. को मौजूदा सीजन में राज्य की बिजली सम्बन्धी ज़रूरत को पूरा करने के लिए 3 गुणा 660 मेगावाट (1980 मेगावाट) के सामर्थ्य के साथ पावर एक्सचेन्ज से थोड़े समय की बिजली खरीदनी पड़ी। पीएसपीसीएल ने जून और जुलाई के महीनों में 886 करोड़ रुपए ख़र्च करके 271 करोड़ यूनिट बिजली की खरीद की थी।कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बताया कि किसानों की फसलों की सुरक्षा के लिए राज्य को केंद्रीय सैक्टर के बिजली पैदा करने वाले स्टेशनों से बिजली के पूरे प्रयोग के लिए मजबूर होना पड़ा।
उन्होंने आगे कहा कि किसानों की बिजली सम्बन्धी बढ़ रही ज़रूरत को पूरा करने के लिए राज्य को बिजली की अधिक सप्लाई वाले उद्योगों पर 1 जुलाई से 11 जुलाई तक बिजली रेगुलेटरी उपाय भी लागू करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ़ राज्य के विभिन्न खपतकारों को परेशानी हुई, बल्कि पहले ही वित्तीय संकट में घिरे पी.एस.पी.सी.एल. पर ओर वित्तीय बोझ पड़ा।

