चंडीगढ़, 30 अक्टूबर। पंजाब सरकार ने GVK Goindwal Sahib Power Ltd से समझौता रद्द (cancelled) को मंजूरी दे दी है।
इसके साथ ही पावरकॉम (powercom) ने कंपनी को termination notice (टर्मिनेशन नोटिस) भी जारी कर दिया है।
कंपनी के साथ समझौता रद्द करने का एक प्रपोजल PSPCL ने सरकार को भेजा था।
GVK Goindwal Sahib Power Ltd को पहले भेजा जा चुका है default notice
पॉवरकॉम ने GVK Goindwal Sahib Power Ltd को समझौता रद्द करने के लिए पहले डिफॉल्ट नोटिस जारी किया था।
इस नोटिस के कई आधार बताए गए थे।
इनमें एक आधार उच्च बिजली लागतें व निर्धारित मापदंडों के मुताबिक बुरी कारगुज़ारी भी है।
जीवीके से power purchase के एक साल में बहुत समय के दौरान केवल 25 % से 30 % तक ही किए जाने का भी एक आधार है।
इसके चलते पिछले साल के लिए 7.52 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली की दरें बढ़ रही हैं।
इस बारे में सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने बताया कि यह कदम उपभोक्ताओं के हित सुरक्षित रखने को उठाया गया है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इससे बिजली की कीमतों का बोझ घटेगा।
कंपनी को मुहैया करवानी थी सस्ती बिजली
मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार GVK Goindwal Sahib Power Ltd द्वारा पीएसपीसीएल से पीपीए करने का मूल आधार सस्ती बिजली प्रदान करना था।
GVK Goindwal Sahib Power Ltd ‘शक्ति’ नीति के तहत कोल इंडिया लिमिटेड से कोयला लेकर बिजली बना रहा था।
पीपीए के अनुसार कंपी एक कोयला खदान का प्रबंध करने की ज़रूरत थी।
परन्तु कंपनी ग्रिड (Grid) से जुडऩे के 5 सालों से अधिक समय बीत जाने के बावजूद ऐसा नहीं कर पाई।
इधर, PSERC करीब 3058 करोड़ रुपए लागत के आधार पर क्षमता शुल्क तय कर रही है, जो स्थिर लागत के करीब 1.61 रुपए प्रति यूनिट के बराबर है।
इस पर कंपनी ने करीब 4400 करोड़ रुपए की पूंजीगत लागत के दावों के आधार पर 2.50 रुपए प्रति यूनिट की लागत लेने के लिए APTEL का रूख किया।
मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार इस मामले पर फैसला अभी आना बाकी है।
पंजाब सरकार को इस लिए खटका समझौता
जीवीके के दावों के अनुसार परिवर्तनीय लागत लगभग 4.50 रुपए प्रति यूनिट है।
यह स्थिर लागत लगभग 2.50 रुपए प्रति यूनिट है।
इस तरह दरों के अधीन GVK का कुल दावा लगभग 7 रुपए प्रति यूनिट बनता है।
जो इसकी महंगी बिजली के कारण और बढ़ता है।
इससे साफ है कि कंपनी उच्च दरें वसूलना चाहती है।
इस कारण PSPCL को महसूस हुआ कि समझौता रद्द करना ही हितकर है।
इसके अलावा कंपनी कर्जों के मामले में भी डिफॉल्टर हो गई थी।
निष्कर्ष के तौर पर यह एक डिफॉल्टर संपत्ति बन गई थी।
प्रवक्ता ने बताया कि लोन देने वाली एजेंसियों ने NCALT से संपर्क किया है, जो ट्रिब्यूनल के पास विचाराधीन है।