AAP slams centre government's decision to delay paddy procurement

चंडीगढ़,12 सितंबर

अकाली दल द्वारा 17 सितंबर को काला दिवस मनाने की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के विधायक और किसान विंग पंजाब के अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि ‘बादल परिवार को अपने चेहरे पर पश्चाताप की कालिख पोत कर काला दिवस मनना चाहिए, क्योंकि अगर बतौर केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल अध्यादेश पर हस्ताक्षर नहीं करतीं तो किसान घातक काला दिन भी  कभी नहीं आता।’

संधवां ने सभी किसान समर्थक संगठनों और राजनीतिक दलों से 17 सितंबर को राष्ट्रीय स्तर पर अन्नदाता के पक्ष में काला दिवस मनाने की अपील की है। 

उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार देश के किसानों, मजदूरों, कर्मचारियों और छात्रों के अधिकारों का हनन करते हुए भारत के इतिहास की सबसे तानाशाही सरकार बन गई है।

संधवां ने कहा कि काले कृषि कानूनों के खिलाफ महान पंजाब की धरती से उठे आंदोलन ने न केवल भारत में किसानों को ताकत दी है, बल्कि अमेरिका,कनाडा,ऑस्ट्रेलिया तथा यूरोप सहित अफ्रीका के किसान तथा मजदूर भी अपने हितों की रक्षा के लिए जागरूक हुए हैं।

कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि‘‘  बेमन से ही सही अगर अकाली दल बादल ने कृषि विरोधी काले कानूनों का हवाला देते हुए 17 सितंबर को काला दिवस मान लिया है तो कृषि अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने तथा कृषि कानूनों के हक में तीन महीने धुआंधार प्रचार करने के लिए भी पश्चाताप कर लेना चाहिए। इसके लिए पूरे अकाली दल के नेताओं को बादल परिवार के नेतृत्व में  अपने चेहरों पर कालिख पोतकर काला दिवस मनाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि वास्तव में अकाली दल काले कृषि कानूनों के जन्मदाताओं में से एक है और इन कानूनों के बड़े समर्थक और प्रचारक भी हैं। अकाली दल बादल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल, अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल सहित विरसा सिंह वलटोहा आदि नेताओं की काले कृषि कानूनों की तारीफ करते हुए की खबरें और वीडियो लोगों के पास है।

संधवां ने कहा कि काले कानूनों के खिलाफ संघर्ष के दौरान 600 से अधिक किसानों और मजदूरों की मौत के लिए शिअद-भाजपा भी उतनी ही जिम्मेदार है जितनी भाजपा।

उन्होंने कहा कि पंजाब में अकाली दल को आम आदमी ने गांवों और शहरों में प्रवेश नहीं करने दिया। इसलिए उन्होंने काला दिवस मनाने के लिए दिल्ली के मैदान को चुना है ताकि भारतीय जनता पार्टी की विरोध कर लोगों की आंखों में धूल झोंकी जा सके।