चंडीगढ़, 10 जून। पंजाब में दलित छात्रों की पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप जानबूझकर रोकने के राज्य के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा के आरोपों पर भाजपा ने तीखा पलटवार किया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला ने कहा कि चीमा सरासर झूठ बोल रहे हैं। वह सिर्फ भाजपा को बदनाम करने के लिए ऐसे तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं। वित्त मंत्री के ओहदे पर बैठे जिम्मेदार व्यक्ति को ऐसी ओछी राजनीति शोभा नहीं देती। सांपला बोले कि चीमा का यह कहना कि केंद्र की भाजपा सरकार ने राज्य के दलित छात्रों की छात्रवृत्ति रोकी है, बेहद बचकाना बयान है।
सांपला बोले कि चीमा का कहना है कि राज्य की आम आदमी पार्टी की सरकार ने लगभग एक लाख 17 हजार दलित छात्रों को स्कॉलरशिप के तौर पर लगभग 91 करोड़ रुपये दिए हैं और यह भी कह रहे हैं कि स्कॉलरशिप के लिए लगभग ढाई लाख छात्रों ने आवेदन किया है। अगर यह बात सही है तो चीमा बताएं कि राज्य सरकार ने सिर्फ एक लाख 17 हजार छात्रों को ही स्कॉलरशिप क्यों बांटी। बाकी बचे छात्रों को इस लाभ से वंचित क्यों किया? उन बच्चों के भविष्य के साथ राज्य सरकार खिलवाड़ क्यों कर रही है?
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चीमा आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र सरकार ने 2017 से 23 तक स्कॉलरशिप के लिए कोई एक रुपया भी नहीं दिया लेकिन, इसमें भी कोई सच्चाई नहीं है। केंद्र सरकार ने समय-समय पर बजट जारी किया है। लेकिन सच्चाई यह है कि राज्य सरकार जब देखती है कि उसे भी 40 प्रतिशत बजट देना पड़ता है और रजिस्ट्रेशन के लिए छात्रों की संख्या बढ़ने लगती है तो राज्य सरकार खुद पोर्टल बंद कर देती है जिससे छात्र रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवा पाते। बोले, कई बार मैंने अफसरों से खुद इस बारे में बात की है। शुरू में अफसर बहाना लगाते थे कि केंद्र सरकार के आदेश पर वे पोर्टल बंद करते हैं। उन्हें बताया गया कि केंद्र सरकार एक अप्रैल से लेकर 31 मार्च तक पूरा साल पोर्टल खुला रखती है। राज्य सरकार बार-बार पोर्टल बंद करके दलित छात्रों के साथ धोखा कर रही है।
सांपला ने कहा कि जहां तक 2017 से 23 तक पैसा जारी न करने की बात है तो यह राज्य सरकार ने अपने स्तर पर नहीं दिया है। केंद्र ने अपनी तरफ से पूरा पैसा जारी किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के सोशल जस्टिस विभाग ने बताया है कि 20-21 में इस योजना के तहत केंद्र सरकार को 60 फीसद के हिसाब से 219.20 करोड़ देना था। उस समय तत्कालीन सूबा सरकार ने लिखित में बताया था कि उसके पास इस योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर से जारी लगभग 140.36 करोड़ रुपये फालतू पड़ा है। उसे मिलाकर केंद्र पर 88.84 करोड़ रुपये बकाया था जो केंद्र ने समय पर जारी किया था।