टेक्नोलॉजी मनुष्य के लिए वरदान, टेक्नोलॉजी काउपयोग मानवता व देश हित में होना चाहिए : मुख्यमंत्री
लखनऊ : 03 सितम्बर, 2025
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि टेक्नोलॉजी मनुष्य के लिए वरदान है। टेक्नोलॉजी का उपयोग मानवता व देश हित में होना चाहिए। आई०आई०टी० कानपुर का गौरवशाली इतिहास रहा है। लगभग 06 दशकों में आई0आई0टी0 कानपुर ने देश में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद कानपुर नगर में आई०आई०टी० कानपुर में उद्योग-अकादमिक जुड़ाव कार्यक्रम ‘समन्वय’ में बतौर मुख्य अतिथि अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में आर्टिफिशियल इन्टेलीजेन्स, साइबर सुरक्षा तथा सस्टेनिबिलिटी आदि महत्वपूर्ण विषयों से सम्बन्धित अलग-अलग टेक्निकल सेशन आयोजित किये जाएंगे। सामान्य नागरिक, समाज, देश और दुनिया इन विषयों को लेकर संवेदनशील है।
मुख्यमंत्री जी ने इण्डस्ट्री से जुड़े डेलीगेट्स व लीडर्स से कहा कि उन्हें अपने मुनाफे का बड़ा हिस्सा इनोवेशन, रिसर्च एण्ड डेवलपमेण्ट में उपयोग करना चाहिए। आई०आई०टी० कानपुर भारत का पहला डीप टेक भारत-2025 विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करे। यहां डीप टेक भारत से सम्बन्धित अच्छी समिट होनी चाहिए। इस उद्देश्य से जनपद गौतम बुद्ध नगर में लैंड अलॉट की गयी है। आई०आई०टी० कानपुर को इस क्षेत्र में लीड करना चाहिए। इस कार्य में डी०आर०डी०ओ०, इसरो और अन्य संस्थाओं का सहयोग प्राप्त किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उन्हें विगत दिनों नोएडा का ड्रोन टेक्नोलॉजी केन्द्र देखने का अवसर प्राप्त हुआ। वहां हमने देखा कि हमारा युवा किस प्रकार नये भारत की सामरिक चुनौतियों का मुकाबला कर रहा है। आई०आई०टी० कानपुर इन चुनौतियों का सामना करने में युवाओं को सक्षम बना रहा है। कानपुर में मेड टेक का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बन रहा है। अगले वर्ष यह सेण्टर प्रदेश वासियों को उपलब्ध हो जाएगा। आज प्रतिस्पर्धा के समय में हमेशा अग्रिम पंक्ति में रहने का प्रयास होना चाहिए, क्योंकि लोग अग्रिम पंक्ति में रहने वालों को ही याद रखते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज क्वॉण्टम कम्प्यूटिंग के क्षेत्र में भी आई०आई०टी० कानपुर कार्य कर रहा है। यहां विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथमेटिक्स आदि के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है। मैथमेटिक्स की कर्माकर थ्योरी भारत के गणितज्ञ ने दी है। गणितज्ञ कर्माकर जी को आई०आई०टी० कानपुर के साथ जोड़ने का प्रयास चल रहा है। वह क्वॉण्टम कम्प्यूटर से भी बेहतर कम्प्यूटर देने का सामर्थ्य रखते हैं। वह इस दिशा में यहां के विद्यार्थियों का काफी सहयोग कर सकते हैं। क्वॉण्टम कम्प्यूटर से बेहतर कम्प्यूटर बनाकर आप दुनिया को नया अनुभव प्रदान कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम अक्सर अनुभव करते हैं कि हमारी संस्थाएं एक टापू बन गयी है। वर्ष 2017 के पश्चात पहले तीन वर्षों में कई संस्थाओं से हम लोगों का कनेक्शन नहीं था। वर्ष 2020 में कोरोना कालखण्ड के दौरान हमने अनुभव किया कि हमें बेहतरीन संस्थाओं से सम्पर्क बनाना चाहिए। उस दौरान आई०आई०टी० कानपुर से हमारे अच्छे सम्बन्ध बनें। कोरोना कालखण्ड में प्रो० मणिन्द्र अग्रवाल द्वारा प्रदान किये गये मैथमेटिकल डाइग्राम ने कोविड नियंत्रण में सरकार की बहुत सहायता की।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य रखा है। विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति आत्मनिर्भरता से सम्भव है। कृषि, टेक्नोलॉजी सहित जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता आवश्यक है। हमें वर्तमान की चुनौतियों पर विचार करना होगा। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन व उनके विजनरी नेतृत्व में प्रदेश में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में किये गये अनेक कार्यों के बेहतरीन परिणाम प्राप्त हुए हैं। 17वीं सदी तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। ग्लोबल जी०डी०पी० में भारत का योगदान 25 प्रतिशत था। वर्ष 1947 तक आते-आते विश्व की अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान 02 फीसदी तक सिमट गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आप सभी ने विगत 11 वर्षों में बदलते हुए भारत को देखा है। आज देश दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में एक है। भारत दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। अगले 02 वर्षों में यह दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में यहां उपस्थित छात्र-छात्राओं की बड़ी भूमिका होगी। प्रदेश सरकार द्वारा विगत 08 वर्षों में किये गये प्रयासों से उत्तर प्रदेश देश की दूसरे नम्बर की अर्थव्यवस्था बन चुका है। प्रदेश ने प्रत्येक क्षेत्र में कुछ नये मानक गढ़े हैं। राज्य देश में सबसे तेज उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हो चुका है। इस अभूतपूर्व प्रगति में आप सभी का योगदान आवश्यक है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत में दुनिया के अनेक प्राचीनतम विश्वविद्यालय स्थित रहे हैं। इन विश्वविद्यालयों में तक्षशिला विश्वविद्यालय प्रमुख है। प्रभु श्रीराम के अनुज भरत के पुत्र तक्ष के नाम पर शहर का नाम तक्षशिला रखा गया था। इसी नाम से तक्षशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी। तक्षशिला विश्वविद्यालय ने भारत को सुश्रुत और चरक जैसे आयुर्विज्ञान से जुड़े हुए विद्वान दिए थे। वहां जीवक नाम के एक प्रसिद्ध वैद्य ने भी अपना अध्ययन पूरा किया। जब उनके आचार्य ने उनसे वन में बिना औषधीय गुणयुक्त पौधे को खोजने के लिए कहा, तो उन्होंने वन का भ्रमण करने के पश्चात अपने गुरू से कहा कि वन में प्रत्येक पौधा औषधीय गुणों से युक्त है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह प्रसंग महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारतीय मनीषा ने कहा है कि “अमन्त्रम् अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलमनौषधम्, अयोग्यः पुरुषो नास्ति, योजकस्तत्र दुर्लभः।” अर्थात् ऐसा कोई अक्षर नहीं हैं, जिसमें मंत्र बनने की सामर्थ्य न हो और ऐसा कोई पौधा नहीं है, जिसमें औषधीय गुण न हो। ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है, जिसमें कोई भी गुण न हो। यदि सभी मनुष्य अयोग्य हैं, वनस्पति औषधि योग्य नहीं है तथा सभी अक्षर मंत्र बनने योग्य नहीं हैं, तो यह मान कर चलिए कि कोई योजक नहीं है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति दुर्लभ है, जो सभी गुणों को एक साथ योजित कर सके। आई०आई०टी० जैसे संस्थानों की स्थापना की मंशा यही है कि वह योजक के रूप में काम करें। ‘समन्वय’ कार्यक्रम उस योजक के रूप में नई भूमिका का निर्वहन करेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्री गोरखनाथ परम्परा में कहा गया है कि ‘पिंड माही ब्रह्माण्ड समाया’ अर्थात् जो कुछ भी इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड में है, वह सब कुछ आपके शरीर में है। उसे पहचानने की आवश्यकता है। हमारे शास्त्र भी कहते हैं कि ‘यत् पिण्डे तत् ब्रह्माण्डे’ अर्थात् जैसा शरीर है, वैसा ही ब्रह्मांड है अथवा जो सूक्ष्म जगत में है, वही स्थूल जगत में भी है। सब कुछ आपके पास है, केवल सही दिशा में दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का कोई न कोई विज़न अवश्य होता है। मन की चेतना की तीन गतियां होती हैं। व्यक्ति के विचार चेतन अथवा अवचेतन अवस्था से उत्पन्न हो सकते हैं। अचेतन मन का उपयोग बिरला व्यक्ति ही कर पाता है। मस्तिष्क का बहुत बड़ा हिस्सा अचेतन मन से सम्बन्धित है। अचेतन मन के सदृश आज आर्टिफिशियल इन्टेलीजेन्स का उपयोग किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की विधानसभा पहली विधानसभा है जिसने सस्टेनेबल डेवलपमेण्ट गोल्स को लेकर के लगातार 36 घंटे तक अपनी विधायिका का संचालन किया था। इस दौरान विधानसभा में चर्चा हुई थी कि हम कैसे सस्टेनेबल डेवलपमेण्ट गोल को अचीव करने की दिशा में कार्य कर सकते हैं। हमारी टीमें लगातार उस दिशा में कार्य कर रही हैं। क्वालिटी ऑफ एजुकेशन की दिशा में क्या प्रयास होने चाहिए, हेल्थ सेक्टर में क्या कुछ होना चाहिए, एग्रीकल्चर ग्रोथ को हम कैसे बढ़ा सकते हैं, कम लागत से उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सके, जल संसाधन का बेहतरीन उपयोग कैसे हो सकता है, यह सब विचारणीय प्रश्न हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहले प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र सूखे से ग्रस्त था। डकैतों के भय से लोग यहां से पलायन कर जाते थे। आज बुन्देलखण्ड में बेहतरीन कनेक्टिविटी है। यह क्षेत्र डकैत मुक्त हो चुका है। वहां निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हो रहे हैं। डिफेंस कॉरिडोर के दो नोड झांसी और चित्रकूट में स्थापित हो रहे हैं। हर घर नल पहुंच चुका है और हर खेत को पानी पहुंच रहा है। वहां सिंचाई व पेयजल की परियोजना 30 सालों से लम्बित थी। प्रदेश सरकार द्वारा उसे निर्धारित समय सीमा में पूरा किया गया। परिणामस्वरूप, किसानों की आय में 10 गुना से अधिक की वृद्धि हुई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्राकृतिक वातावरण का कोई विकल्प नहीं है।सस्टेनेबिलिटी का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए पर्यावरण का हरा-भरा होना अति आवश्यक है। उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने विगत 08 वर्षों में 240 करोड़ पौधरोपण का रिकॉर्ड बनाया है। फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट भी स्वीकार करता है कि प्रदेश का फॉरेस्ट कवर बढ़ा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में सस्टेनेबल डेवलपमेण्ट गोल्स को प्राप्त करनेकी दिशा में लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। परिणामस्वरूप यहां 06 करोड़ लोग गरीबी रेखा से उबर कर सामान्य नागरिक के रूप में जीवन यापन कर रहे हैं। आज वह बेहतर क्वालिटी ऑफ लाइफ के बारे में सोच सकते हैं। आज हमारे सामने साइबर सिक्योरिटी की चुनौती है। इस क्षेत्र में कई गम्भीर मामले सामने आए हैं। राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए गये हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहले प्रदेश में साइबर सिक्योरिटी से जुड़े सिर्फ दो थानेथे, जिनमें एक थाना गौतम बुद्ध नगर तथा दूसरा लखनऊ में स्थापित था। दोनों ही थाने क्रियाशील नहीं थे। प्रदेश सरकार ने राज्य के समस्त जनपदों एक-एक साइबर थाने की स्थापना की। प्रदेश के 1583 थानों में साइबर हेल्प डेस्क की स्थापना की गयी। इसके अतिरिक्त राज्य में स्टेट फॉरेंसिक एंड साइबर सिक्योरिटी इन्स्टीट्यूट की भी स्थापना की गयी है। अभी इस क्षेत्र में बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है, जिसके लिए हम लोग आई०आई०टी० कानपुर से सहयोग की अपेक्षा रखते हैं। इस अवसर पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री राकेश सचान, निदेशक, आई०आई०टी० कानपुर प्रो० मणिन्द्र अग्रवाल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।