भारत के किसी नागरिक को 04 दशक बाद अंतरिक्ष यात्रा के लिए भेजने का अवसर प्राप्त हुआ, श्री शुभांशु शुक्ला उ०प्र० के पहले अंतरिक्ष यात्री, जो किसी स्पेस मिशन के साथ जुड़े : मुख्यमंत्री
लखनऊ: 25 अगस्त, 2025
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि भारत के किसी नागरिक को 04 दशक बाद अंतरिक्ष यात्रा के लिए भेजने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह हमारा सौभाग्य है कि यह अवसर उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्में और यहीं पर अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने वाले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को प्राप्त हुआ। उनकी सफलतम यात्रा के उपरान्त आज प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उनका पहली बार आगमन हुआ है। उनका आगमन हम सभी को आह्लादित करता है। श्री शुभांशु शुक्ला उत्तर प्रदेश के पहले अंतरिक्ष यात्री हैं, जो किसी स्पेस मिशन के साथ जुड़े हैं। राज्य सरकार स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उच्च अध्ययन अर्जित करने वाले छात्रों के लिए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के नाम पर एक छात्रवृत्ति जारी करेगी।
मुख्यमंत्री जी आज यहां लोक भवन में ऐतिहासिक एक्सिओम-4 मिशन के सफलतापूर्वक संचालन तथा अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आई०एस०एस०) से कुशल वापसी के बाद अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के लखनऊ आगमन पर आयोजित नागरिक अभिनन्दन समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका अभिनन्दन किया। इस अवसर पर ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। समारोह से पूर्व ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने मुख्यमंत्री जी से उनके सरकारी आवास पर शिष्टाचार भेंट की।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा हम सभी के लिए कौतूहल का विषय थी। हर भारतवासी उनकी यात्रा को बड़े विश्वास व आशा भरी निगाहों से देख रहा था। उत्तर प्रदेश के पहले अंतरिक्ष यात्री, भारत माता के सपूत ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला लखनऊ के लाल हैं। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा लखनऊ से ही प्राप्त की है। अंतरिक्ष यात्रा से सकुशल वापसी के उपरान्त आज उनका अपने घर लखनऊ में आगमन हुआ है। आज इस मंच के माध्यम से उनके अनुभवों का लाभ भी हमें प्राप्त हुआ है। श्री शुभांशु शुक्ला के पिताजी उत्तर प्रदेश सरकार के सचिवालय प्रशासन में ही अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने अपने पुत्र की पढ़ाई परध्यान दिया। माता-पिता के संस्कारों से पुत्र ने आगे बढ़कर सफलता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त किया। आज उनकी उपलब्धि का लाभ उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश को प्राप्त हो रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 25 जून, 2025 को ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा अपने सहयात्रियों के साथ प्रारम्भ की। इससे पहले यह कार्यक्रम दो-तीन बार स्थगित हुआ। सुरक्षित उड़ान से लेकर एक्सपेरिमेण्ट्स को आगे बढ़ाने और फिर सुरक्षित लैंडिंग को लेकर किसी भी प्रकार की कोई आशंका न रहे, यह नासा, इसरो, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और पूरे देश की चिंता थी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इन सभी मुद्दों पर उन्होंने इसरो के चेयरमैन श्री वी० नारायणन से चर्चाएं की थीं। हमें यह महसूस हुआ कि हमारे लिए एक नया मार्ग खुल रहा है। 18 दिन की इस यात्रा के दौरान श्री शुभांशु शुक्ला ने पूरी धरती के 320 चक्कर लगाए। आज वह अपने अनुभव साझा करने के लिए लखनऊ अपने घर वापस आए हैं। लखनऊवासियों के लिए यह नयी उत्सुकता का क्षण है तथा उनके लिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में आगे बढ़ने की नयी सम्भावनाओं के द्वार भी खोलता है। अनेक क्षेत्रों में यह सम्भावनाएं आगे बढ़ सकती हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहले स्पेस का क्षेत्र हमारे लिए अछूता सा था। हमने इस क्षेत्र का बहुत उपयोग नहीं किया। वर्तमान में हर व्यक्ति क्लाइमेट चेंज से जूझ रहा है। कहीं पर सूखा है, तो कहीं पर अतिवृष्टि की स्थिति है। फसल चक्र पर इसका असर पड़ा है। आकाशीय बिजली तथा बाढ़ के दौरान जन-धन की हानि होती है। आपदा प्रबन्धन तथा स्वास्थ्य सेक्टर सहित अन्य अनेक चुनौतियां हैं। यदि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र का बेहतरीन उपयोग किया जा सके, तो हम न केवल आपदा को कम करने में सफल हो सकते हैं, बल्कि अन्नदाता किसानों की आमदनी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं। इसके माध्यम से हम नागरिकों को ईज़ ऑफ लिविंग तथा क्वालिटी ऑफ लाइफ देने में सफल हो सकते हैं, बाढ़ और सूखे के बेहतर प्रबन्धन का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के अनुभव इस दिशा में हमारे पास हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने स्टेम एजुकेशन की बात कही है। साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग तथा मैथमेटिक्स के क्षेत्र में जो युवा कैरियर बनाना चाहते हैं, उनके लिए अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अनेक अवसर हैं। स्पेस टेक्नोलॉजी इन युवाओं के लिए विकास के नए द्वार खोल सकती है। आने वाली चुनौतियों का सामना हम आसानी से कर सकते हैं। इस दिशा में भारत विगत 11 वर्षों में तेजी से आगे बढ़ा है। आज का यह नागरिक अभिनन्दन कार्यक्रम अपनी सफलतम स्पेस यात्रा के बाद लखनऊ के पुत्र का लखनऊ में आगमन के अभिनन्दन का कार्यक्रम ही नहीं है, बल्कि भविष्य की उपलब्धियों के नए द्वार खोलने की दिशा में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश की चिन्ताओं से इसरो के चेयरमैन तथा ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जी को अवगत कराया है। बरसात के मौसम में आकाशीय विद्युत से जन-धन की हानि बढ़ जाती है, जिसे अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के माध्यम से रोका जा सकता है। राज्य सरकार ने इस दिशा में प्रयास किए हैं। भारत सरकार भी इसमें सहयोग करती है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि राज्य के पास अपनी स्वयं की तकनीक और सैटेलाइट हो, तो रिमोट सेन्सिंग का प्रयोग करते हुए पब्लिक एड्रेस सिस्टम द्वारा समय से स्थानीय नागरिकों को अवगत किया जा सकता है। इससे जन-धन की हानि को रोका जा सकता है। आपदाओं को नियंत्रित नहीं किया जा सकता, यह मानकर हम अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकते हैं। इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। इस सम्बन्ध में टेक्नोलॉजी का विकास हो चुका है। दुनिया सफलतापूर्वक इनका प्रयोग कर रही है। हमें भी इसमें पीछे नहीं रहना है। हमें समय से इन कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के युवाओं के लिए आगे बढ़ने के अवसर तथा सम्भावनाएं हैं। इस दृष्टि से नागरिक अभिनन्दन का यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेशवासियों तथा यहां के युवाओं के लिए एक नयी प्रेरणा का केन्द्र बिन्दु है। लखनऊवासियों ने विपरीत मौसम के बावजूद ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के आगमन पर जो उत्सुकता दिखायी है तथा लखनऊ की परम्परा के अनुसार उनका खुले दिल से स्वागत किया है, उसके लिए वह भी अभिनन्दन के पात्र हैं। मुख्यमंत्री जी ने सी०एम०एस० परिवार को इस कार्यक्रम को लीड करने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि श्री शुभांशु शुक्ला ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा सी०एम०एस० से ही प्राप्त की है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से यह अपेक्षा की कि विभाग प्रदेश में जो कार्यक्रम संचालित कर रहा है, उन सभी में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के अनुभवों का लाभ ले। आज से 3-4 वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश में स्पेस टेक्नोलॉजी पर किसी भी विश्वविद्यालय या संस्थान में कोई पाठ्यक्रम नहीं संचालित होते थे।