चंडीगढ़, 26 नवंबर। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि राज्य सरकार संविधान की मूल भावना के अनुरूप अपनी प्रगतिशील सामाजिक और आर्थिक नीतियों एवं कार्यक्रमों के माध्यम से प्रजातांत्रिक सिद्धांतों को निरंतर आगे बढ़ाने का काम कर रही है। हरियाणा सरकार सबका साथ-सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास की धारणा पर चलते हुए आधुनिक भारत के महान दार्शनिक और राजनीतिज्ञ पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन एवं अंत्योदय के विजन को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री आज कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के प्रांगण में आयोजित संविधान दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले मुख्यमंत्री ने संविधान दिवस समारोह के अवसर पर सूचना जनसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
मुख्यमंत्री ने सभी देशवासियों को संविधान दिवस व संविधान के अमृत महोत्सव की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज हम सबके लिए विशेष गर्व और गौरव का दिन है। पूरे देश में आज संविधान का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। 26 नवम्बर, 1949 के दिन देश की संविधान सभा ने संविधान को अपनाया था। यही वह दिन है जब संविधान बनकर तैयार हुआ था। संविधान दिवस का मतलब देश के नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ाना है।
सैनी ने कहा कि आधुनिक भारत का सपना देखने वाले बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर सहित संविधान बनाने वाले सभी महानुभावों को नमन करते हुए कहा कि आज से अगले पूरे एक वर्ष हम संविधान का अमृत महोत्सव मना रहे होंगे। यह वर्ष हमें सदियों से लोकतंत्र में भारतीयों के विश्वास की याद दिलाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना में जो वी द पीपल लिखा है, यह सिर्फ तीन शब्द मात्र नहीं हैं। यह वाक्य पूरे भारत के जनगण का प्रतिनिधित्व करता है। यह एकता की अपील है, अखण्डता की प्रतिज्ञा है और गणतंत्र में जन-जन के विश्वास की अभिव्यक्ति है, जिसे मदर ऑफ डेमोक्रेसी कहा जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में अपने प्राचीन आदर्शों और संविधान की भावना को लगातार मजबूत कर रहा है। आज खेल हो या स्टार्टअप, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी हो या डिजिटल पेमेंट्स, भारत के विकास के हर आयाम में युवा शक्ति अपना परचम लहरा रही है। हमारे संविधान और संस्थाओं के भविष्य की जिम्मेदारी भी हमारे युवाओं के कंधों पर ही है। आज के युवाओं में संविधान की समझ और बढ़े, इसके लिए जरूरी है कि वे संवैधानिक विषयों पर चर्चा का हिस्सा बनें। इससे युवाओं में कर्तव्य, समानता और अधिकार जैसे विषयों को समझने का विजन पैदा होगा।
उन्होंने कहा कि लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने रियासतों का एकीकरण करके स्वतंत्रता सेनानियों के अखण्ड भारत का सपना साकार किया था। उसी प्रकार, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू एवं कश्मीर से धारा-370 व 35-ए हटाकर अखण्ड भारत के अधूरे सपने को पूरा किया है। यह संविधान शिल्पी भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल व डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। इससे एक विधान, एक निशान, एक संविधान और एक प्रधान का सपना साकार हुआ है।
सैनी ने कहा कि गणराज्यों के रूप में स्वशासन हमारी प्राचीन परम्परा है। इसी स्वशासन को ही पाने के लिए हमने लम्बे समय तक आजादी की लड़ाई लड़ी। रावी नदी के किनारे ली गई प्रतिज्ञा को हमने आज के दिन वर्ष 1949 में गणतंत्र की स्थापना करने वाले संविधान को अंगीकार करके पूरा किया। इस संविधान ने समानता, न्याय और ऊंचे आदर्शों वाला गणतंत्र स्थापित किया। साथ ही सभी को विचारों की आजादी और उन्नति के समान अवसर दिए। संविधान ने ही हमें स्वशासन देने के साथ ही विविधताओं से भरे इस देश को एकता के सूत्र में पिरो दिया।
उन्होंने कहा कि आज हम संविधान दिवस पर संविधान के प्रति अपनी सच्ची निष्ठा व्यक्त करने और इसके अनुरूप आवरण करने का संकल्प लेने के लिए यहां इकट्ठे हुए हैं। इस संकल्प की शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2015 में संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंती पर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए संविधान दिवस मनाने की घोषणा की थी।
उन्होंने कहा कि संविधान बनाने के चुनौतीपूर्ण कार्य में बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर का महान योगदान है। संविधान में जहां अधिकारों का उल्लेख है, वहीं कर्तव्यों का भी वर्णन किया गया है। हमें कर्तव्यों और अधिकारों में संतुलन स्थापित करना होगा। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी कहते थे कि हमारे अधिकार हमारे कर्तव्य हैं, जिन्हें हम सच्ची ईमानदारी और समर्पण के साथ पूरा करते हैं। आज संविधान के अमृत महोत्सव में गांधी जी का यह मंत्र देश के लिए एक संकल्प बन रहा है।
उन्होंने कहा कि संविधान का अमृत महोत्सव हमारे लिए आत्म-चिंतन करने का अवसर भी है। संविधान के तहत कार्य करने वाली सभी संस्थाओं को आज आत्म-चिंतन करना चाहिए कि वे संविधान की मर्यादाओं का पालन करने में और संविधान की अपेक्षाओं को पूरा करने में कहां तक सफल रही हैं। संविधान का अमृत महोत्सव मनाने का लक्ष्य भी यही है कि हम कर्तव्य और अधिकारों को समझें। इन्हें समझकर जीवन में अपनाएंगे, तो यह संविधान के प्रति हमारी सही समझ का प्रतीक तो होगा ही, साथ ही सच्चे नागरिक बनने का प्रमाण भी होगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को भी सम्मानित किया। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने समारोह में उपस्थितजनों को संविधान की प्रस्तावना का पाठ करवाकर देश को आगे बढ़ाने का संकल्प भी दिलाया।