पालमपुर, 7 फरवरी। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने traditional farming के साथ-साथ स्थानीय बीजों के विकास और संरक्षण की दिशा में काम करने पर बल दिया।
(Himachal Pradesh Governor Rajendra Vishwanath Arlekar stressed working towards traditional farming as well as development and conservation of local seeds.)
राज्यपाल आज चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय (Palampur) में विभागाध्यक्षों व छात्रों से बातचीत कर रहे थे।
traditional farming के मुद्दे पर राज्यपाल ने ये कहा
राज्यपाल ने कहा कि पहले उद्योगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कोर्स तैयार किए जाते थे।
इसी के अनुसार एजूकेशन सिस्टम आगे बढ़ रहा था।
आज इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि सोसायटी की जरूरत क्या है।
अब इसी दिशा में शिक्षा को भी आगे बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल से यह इस दिशा में आगे बढ़ी भी है।
इसी अनुसार रिसर्च (research) व कोर्स (Courses)में भी बदलाव की जरूरत है।
राज्यपाल ने कहा कि पारंपरिक कृषि को सही परिप्रेक्ष्य में बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
उन्होंने विश्वविद्यालय को औषधीय पौधों को बढ़ावा देने के लिए कुछ स्कूलों को गोद लेने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को औषधीय पौधों की गुणवत्ता के बारे में छात्रों को जागरूक करना चाहिए।
इस अवसर पर राज्यपाल ने युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृति पर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि हम सभी को नशे के खिलाफ अभियान में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि परम्परागत बीजों का संरक्षण किया जाए और पंचायत स्तर पर जैव विविधता रजिस्टर तैयार किया जाए।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वीसी प्रो. एचके चौधरी ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों की जानकारी दी।
डाॅ. जी.सी. नेगी पशु चिकित्सा एवं विज्ञान महाविद्यालय, पालमपुर के डीन डाॅ. मंदीप शर्मा ने भी अपने विचार रखे।
इससे पूर्व, राज्यपाल ने पशु चिकित्सा महाविद्यालय का दौरा भी किया।