चंडीगढ़, 2 अगस्त। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा है कि राज्य का किसान इस समय दोहरी मार झेल रहा है लेकिन, सरकार जरा भी चिंता नहीं कर रही। तीन काले कृषि कानूनों से सहमा धरतीपुत्र मौसम की मार भी सह रहा है। राज्य में 33 हजार एकड़ से ज्यादा फसल बरसाती पानी जमा होने से खराब हो गई । उन्होंने मांग की है कि सरकार समयबद्ध स्पेशल गिरदावरी करवा कर प्रभावित किसानों को जल्द से जल्द पर्याप्त मुआवजा देने की घोषणा करे।
सैलजा ने कहा कि करनाल, जींद, कैथल, फतेहाबाद, नारनौल, सिरसा, रोहतक, कुरुक्षेत्र व हिसार बरसात से सर्वाधिक प्रभावित जिले हैं। अब तक न तो खेतों से पानी निकाला गया , न स्पेशल गिरदावरी करवा कर किसानों को राहत देने की घोषणा हुई।
उन्होंने कहा कि किसान तीन काले कानूनों के विरोध में आठ महीने से दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हैं, दूसरी तरफ अब मौसम कहर बरपा रहा है। भारी बरसात के कारण खेतों में तीन से पांच फीट तक पानी जमा है। सब्जियों की ज्यादातर फसल खराब हो चुकी, धान, बाजरा, कपास व मूंग को भी भारी नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि सब्जियों में सबसे अधिक नुकसान करनाल जिले में हुआ। करनाल में धान की 13 हजार एकड़ फसल खराब हुई। नारनौल, सिरसा व फतेहाबाद में नरमा, कपास, मूंग व ग्वार की फसल गल चुकी। जींद जिले में धान की करीब 10 हजार एकड़ फसल डूबी है, उचाना व नरवाना में कपास की सैकड़ों एकड़ फसल खराब हुई। सबसे अधिक नुकसान उन किसानों को हुआ, जिन्होंने ठेके पर जमीन लेकर फसल बोई है। सरकार ने सुध नहीं ली तो उनके सामने भूखों मरने की नौबत आ सकती है। वे ठेके की राशि का भुगतान कर चुके और जो पैसा बचा था, वह बुआई में खर्च कर दिया।
कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार का रवैया दलितों के प्रति भी घोर निराशाजनक है। विशेष अधिनियम पारित होने के दो साल बाद भी अनुसूचित जाति आयोग का गठन नहीं हुआ।12 सितंबर, 2018 को विधानसभा में बिल पारित हुआ तथा 30 नवंबर, 2018 को राज्यपाल ने मंजूरी दी थी। इस आयोग को सिविल कोर्ट की तरह काम करना था।
उन्होंने कहा, वास्तविकता यह है कि हरियाणा में सात साल से दलित समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए कोई तंत्र है ही नहीं । दिसंबर 2014 में मनोहर लाल सरकार ने पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा गठित एससी आयोग को भंग कर दिया था।

