चंडीगढ़, 24 जून। हरियाणा की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कुमारी आरती सिंह राव के निर्देश पर हरियाणा में लिंगानुपात सुधारने के लिए राज्य टास्क फोर्स (एसटीएफ) की साप्ताहिक बैठक आज यहां स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में अवैध गर्भपात पर अंकुश लगाने और ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत राज्य के लिंगानुपात में और सुधार लाने के प्रयासों को तेज करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
बैठक में बताया गया कि हरियाणा में लिंगानुपात इस वर्ष एक जनवरी से लेकर 23 जून तक बढ़कर 906 हो गया, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 902 था।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने अवैध गर्भपात करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया, साथ ही अधिकारियों को कहा कि यदि कोई डॉक्टर इसमें संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जिसमें लाइसेंस रद्द करना भी शामिल है। उन्होंने अधिकारियों को अल्ट्रासाउंड और एमटीपी केंद्रों पर छापेमारी तेज करने और नवजात बच्चों का पंजीकरण अभियान बढ़ाने का निर्देश दिया, खासकर चरखी दादरी जिले में, जहां लक्षित हस्तक्षेप की आवश्यकता है। टास्क फोर्स ने लिंगानुपात निगरानी से संबंधित कर्तव्यों में लगातार गैर-प्रदर्शन के लिए चरखी दादरी के पूर्व सीएमओ डॉ. राजविंदर मलिक को चार्जशीट करने का फैसला किया। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं से जुड़ी सहेली के कामकाज-खासकर जहां गर्भपात की घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं,की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए बारीकी से निगरानी की जाएगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) की सख्त निगरानी के निर्देश देते हुए कहा कि जिन क्षेत्रों में अवैध गर्भपात की रिपोर्ट की जा रही है, वहां के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों (एसएमओ) की जवाबदेही तय की जाए। एक अन्य मामले में उन्होंने भिवानी के सीएचसी-गोपी के कार्यवाहक एसएमओ डॉ. एम. नेहरा को उनके क्षेत्र में कम लिंगानुपात के कारण चार्जशीट करने का निर्देश दिया।
सीमा पार से अवैध गर्भपात गतिविधियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों को पड़ोसी जिलों में अपने समकक्षों के साथ समन्वय करने और प्रवर्तन और खुफिया-साझाकरण तंत्र को मजबूत करने के लिए संयुक्त बैठकें आयोजित करने का निर्देश दिया गया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि रक्तस्राव के लक्षणों के साथ अस्पताल पहुंचने वाली किसी भी महिला को रिवर्स ट्रैकिंग से गुजरना होगा और यह पता लगाने के लिए परीक्षण किया जाना चाहिए कि उसने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) की गोलियां खाई हैं या नहीं। यदि कानून का कोई उल्लंघन पाया जाता है, तो बिना देरी के उचित कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
बैठक में बताया गया कि पिछले सप्ताह (17 जून से 23 जून, 2025) के दौरान, एमटीपी किट की अवैध बिक्री पर राज्य भर में 28 निरीक्षण किए गए, जिनमें 1 दुकान को सील किया गया और दो एफआईआर दर्ज की गईं। हरियाणा में डेढ़ महीने के भीतर एमटीपी किट बेचने वाले थोक विक्रेताओं की संख्या 32 से घटकर 3 हो गई है और राज्य के 15 जिलों में एमटीपी किट की बिक्री की प्रवृत्ति में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। सोनीपत के खरखौदा में एक आयुष चिकित्सक का पंजीकरण रद्द कर दिया गया और अवैध गर्भपात प्रथाओं के लिए उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान को शहरी क्षेत्रों में भी विस्तारित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे बालिकाओं को बचाने के महत्व के बारे में शहरी आबादी के बीच जागरूकता पैदा करने में उपायुक्तों और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को सक्रिय रूप से शामिल करें। उन्होंने सार्वजनिक पार्कों और अन्य सामुदायिक स्थानों पर नियमित जागरूकता अभियान आयोजित करने का आह्वान किया, जिसमें संबंधित मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) को इस उद्देश्य के लिए अधिकारियों को तैनात करने के लिए अधिकृत किया गया।सार्वजनिक पार्कों में जागरूकता रैलियां आयोजित की जाएगी, जिसमें समुदाय को संवेदनशील बनाने के लिए जिले के लिंगानुपात को प्रमुखता से प्रदर्शित करने वाले बैनर होंगे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) अपने-अपने जिलों में सभी स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियों के समग्र प्रभारी के रूप में काम करेंगे। इसके अलावा, शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) अवैध गर्भपात प्रथाओं को रोकने के प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल होंगे। इस उद्देश्य के लिए, प्रवर्तन और जागरूकता पहलों का समर्थन करने के लिए यूएलबी से नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। इसके अलावा, मेडिकल कॉलेजों में सामाजिक और निवारक चिकित्सा के स्नातकोत्तर छात्रों को सामुदायिक जागरूकता और आउटरीच प्रयासों को मजबूत करने के लिए शहरी क्षेत्रों में लगाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, महिला एवं बाल विकास विभाग को इस संदेश को और अधिक प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर समर्पित अभियान चलाने का निर्देश दिया गया।
अधिकारियों को उन सहेलियों की पहचान करने के भी निर्देश दिए गए जिन्होंने बालिकाओं के सफल जन्म को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐसी सहेलियों को उनके प्रयासों को मान्यता देने और इस महत्वपूर्ण कार्य में व्यापक सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के साधन के रूप में संबंधित सीएमओ द्वारा प्रोत्साहित किया जाएगा। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक रिपुदमन सिंह ढिल्लों और विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।