हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ ने लगाए गंभीर आरोप
भिवानी, 2 सितंबर। हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ ने हरियाणा शिक्षा बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े करते हुए बोर्ड को निलंबित करने की मांग की है।
हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू सहित अन्य पदाधिकारियों ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए इस संबंध में शिक्षा बोर्ड के नियम 16 की धारा (1) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि बोर्ड के नियमों की उल्लंघना किए जाने और बोर्ड के अधिकारियों द्वारा दी गई शक्तियों का दुरुपयोग पाए जाने की सूरत में शिक्षा बोर्ड को सस्पेंड किया जा सकता है। इस सूरत में बोर्ड संचालन की सारी जिम्मेदारी हरियाणा सरकार के हाथों में होगी, वहीं सरकार एक साल की अवधि में बोर्ड का पुनर्गठन करेगी व इस अवधि में सरकार बोर्ड के संचालन के लिए एडमिनिस्ट्रेशन की नियुक्ति करेगी।
कुंडू ने कहा कि बोर्ड को सस्पेंड किए जाने के एक नहीं कई कारण मौजूद हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विशेष तौर पर चहेतों को लाभ पहुंचाने को बोर्ड के नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। सरकार के सेवा नियमों के मुताबिक जो पद तीन साल से खाली पड़ा है, उसे समाप्त पद समझा जाना चाहिए लेकिन, बोर्ड के चेयरमैन डॉ. जगवीर सिंह वर्षों से खाली पड़े पदों पर अपने चहेतों को प्रमोशन पर प्रमोशन दिए जा रहे है।
उन्होंने दावा किया कि अगर पिछले छह माह के प्रमोशन की जांच कर ली जाए तो नियमों के उल्लंघन का दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
कुंडू ने कहा कि शिक्षा बोर्ड का सारा काम ऑनलाइन हो जाने के बावजूद कर्मचारियों की संख्या घटने की बजाय बढ़ती जा रही है। वह भी इस सूरत में जब शिक्षा बोर्ड 8 वीं की परीक्षा वर्षों से नहीं ली जा रही। उस मिडिल शाखा के तमाम कर्मचारी बोर्ड के कर्मचारियों में समाहित हैं। इसके अलावा प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर शिक्षा बोर्ड की और से खोले गए बुक डिपो ज्यादातर बंद कर दिए गए उनके सारे कर्मचारी भी यहीं पर समा गए।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1992-93 में हरियाणा शिक्षा बोर्ड में एक ज्वाइंट सेक्रेटरी, तीन डिप्टी सेक्रेटरी, 12 असिस्टेंट सेक्रेटरी, 60 सुपरिटेंडेंट व 234 असिस्टेंट के पदों पर कर्मचारी तैनात थे। उस समय बोर्ड की ओर से आठवीं कक्षा की परीक्षा भी ली जाती थी व प्रदेश के कई जिलों में बोर्ड के बुक डिपो थे, उनमें भी कर्मचारी काम करते थे। उस समय सारा काम मैन्युअल होता था, लेकिन अब 2021-22 में दो ज्वाइंट सेक्रेटरी, 6 डिप्टी सेक्रेटरी, 25 असिस्टेंट, 120 सुपरिटेंडेंट व 348 असिस्टेंट के पद स्वीकृत है। जितनी पोस्ट अभी बढ़ा कर अनुमोदित पदों में शामिल की गई वे सब नियमन समाप्त हो चुकी हैं। जिन पर प्रमोशन व नियुक्ति का खेल सरकार को अंधेरे में रख कर खेला जा रहा है, जो बोर्ड के नियमों की उल्लंघना व शक्तियों के दुरुपयोग का जीता जागता उदाहरण है। वह भी उस सूरत में जब सारा काम ऑनलाइन हो रहा है। यहां तक की बच्चों की कट लिस्ट स्कूल चेक करता है। बच्चों के रोल नंबर भी स्कूल अपलोड करता है। प्रैक्टिकल के अंक व अन्य सभी कार्य स्कूलों द्वारा ऑनलाइन किया जाता है। जिसका सारा खर्च स्कूल ही वहन करता है।
कुंडू ने आरोप लगाया कि बोर्ड के रिहायशी मकानों की अलॉटमेंट बंदरबांट जगजाहिर है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन जितना भी काम जिन फर्मों को दिया जाता है, उन फर्मों को आए साल किसी नए टेंडर के मांगे अनुबंध को बढ़ा दिया जाता है। इसमें मोटे कमीशन की गुंजाइश से इंकार नहीं किया जा सकता। इस सब की जांच की जाए तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।
उन्होंने कहा कि उक्त सभी तथ्यों को देखते हुए बोर्ड बोर्ड को निलंबित करते हुए बोर्ड की कार्यप्रणाली की जांच की जाए।
पत्रकार वार्ता के बाद बोर्ड सचिव हितेंद्र कुमार को उक्त मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया। इस मौके पर उनके साथ संरक्षक तेलुराम रामायणवाला, राज्य वरिष्ठ उपप्रधान घनश्याम शर्मा, भिवानी जिला प्रधान सतीश तंवर, आनंद लखेरा, नरेश गौरा, दयानंद बाजल, बजरंग चौहान, उमेश भारद्वाज, बसंत शर्मा, हिसार प्रेस प्रवक्ता अनिल शर्मा, राजकुमार पाली, बलराज मुवाल सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।