नहीं रहे अर्थशास्त्र के पुरोधा और संस्कारशील राजनीतिज्ञ
नई दिल्ली, 26 दिसंबर 2024:
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थव्यवस्था के पुरोधा डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने एक लम्बी बीमारी के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उन्होंने आखिरी सांस ली। इंडियन नेशनल कांग्रेस ने उनके निधन पर 7 दिन का शोक घोषित किया है। इस दौरान पार्टी के सभी कार्यक्रम स्थगित रहेंगे ।
डॉ. मनमोहन सिंह महान भारतीय अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने 2004 से 2014 तक भारत के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। अपनी शांतिपूर्ण प्रकृति और बौद्धिक क्षमता के लिए प्रसिद्ध मनमोहन सिंह ने भारत की आर्थिक नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से वह काल जब भारत ने वैश्वीकरण की दिशा में कदम बढ़ाया।
26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जन्मे मनमोहन सिंह का राजनीतिक करियर भारत के वित्त मंत्री के रूप में 1991 से 1996 तक अहम मोड़ पर था। उनके वित्त मंत्री बनने के बाद, भारत में आर्थिक सुधारों का दौर शुरू हुआ, जिसके तहत “लाइसेंस राज” का अंत किया गया, आयात शुल्क कम किए गए, रुपये को अवमूल्यन किया गया और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया गया। इन सुधारों ने भारत को एक खुले बाजार की दिशा में अग्रसर किया और देश की आर्थिक वृद्धि को नई दिशा दी।
2004 में, मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री बने और उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में, भारत ने महत्वपूर्ण आर्थिक वृद्धि देखी, हालांकि उनके कार्यकाल के अंत में महंगाई और राजनीतिक नीतियों में निष्क्रियता जैसी चुनौतियां भी उभरीं। उनकी सरकार ने विशेष रूप से अमेरिका के साथ मजबूत रिश्ते बनाने पर जोर दिया, जिसमें 2008 का भारत-अमेरिका परमाणु समझौता महत्वपूर्ण था। हालांकि, उनके दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोपों और बढ़ती असंतोष के बावजूद, वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सम्मानित नेता बने रहे।
मनमोहन सिंह ने 2014 के चुनावों में प्रधानमंत्री पद के लिए चुनावी मैदान में नहीं उतरने का निर्णय लिया, जब कांग्रेस पार्टी को ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा।
मनमोहन सिंह एक उत्कृष्ट शैक्षिक पृष्ठभूमि वाले नेता हैं। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और बाद में यूनाइटेड किंगडम के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। फिर, उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से 1962 में अर्थशास्त्र में डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की।
अपने शैक्षिक जीवन में, सिंह ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और वित्त मंत्रालय में कार्य किया, जहाँ उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के जटिल पहलुओं को समझा और इन अनुभवों ने उनके आर्थिक दृष्टिकोण को आकार दिया। वह दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में भी शिक्षण कार्य करते रहे, जहां उन्होंने विकासात्मक अर्थशास्त्र, सार्वजनिक वित्त और अंतरराष्ट्रीय व्यापार जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके शैक्षिक दृष्टिकोण ने उन्हें वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।
मनमोहन सिंह अपनी विनम्रता, ईमानदारी और अनुशासित जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध थे। उनका निजी जीवन बहुत साधारण रहा और उन्होंने हमेशा सार्वजनिक जीवन से अधिक अपनी पारिवारिक और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं को महत्व दिया। राजनीति के शोर-शराबे से दूर, सिंह एक शांतिपूर्ण और साधारण जीवन जीने वाले व्यक्ति थे ।
उनकी सार्वजनिक छवि एक गंभीर और विचारशील नेता की रही है, जो बोलने से अधिक कार्यों में विश्वास करते थे। हालांकि उनकी शांत स्वभाव को कभी-कभी नेतृत्व की कमी के रूप में प्रस्तुत किया गया, लेकिन यही स्वभाव उनके काम में एकाग्रता और नीति निर्माण में सहायता करता था। वह साहित्य के प्रति भी गहरी रुचि रखते थे और अक्सर अपने खाली समय में पढ़ाई और चिंतन में समय बिताते थे।
मनमोहन सिंह की व्यक्तिगत और सार्वजनिक छवि में कोई भेद नहीं था, और यह उनकी ईमानदारी और समर्पण का प्रतीक था। उनकी विनम्रता और संयमित आचरण ने उन्हें राजनीति में एक अलग पहचान दी।
मनमोहन सिंह का कृतित्व भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में अहम स्थान रखता है। एक अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ के रूप में उनकी भूमिका ने भारत को वैश्विक मंच पर एक नया स्थान दिलाया। उनकी नीतियों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए, और उनकी नेतृत्व क्षमता ने देश को आर्थिक संकटों से उबरने में मदद की। उनकी नेतृत्व शैली, जो उनके शांत स्वभाव और गंभीर दृष्टिकोण पर आधारित थी, ने उन्हें एक सम्मानित और प्रभावशाली नेता बना दिया।