हमारी सरकार आने के बाद यह निर्देश दिए गए कि हर एफआईआर दर्ज की जाए- मनोहर लाल
चंडीगढ़, 19 दिसंबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि वर्ष 2004 से लेकर 2014 तक अनुसूचित जाति के उत्पीड़न के मामलों की एफआईआर ही नहीं दर्ज की जाती थी और अगर दर्ज होती भी थी तो उन्हें दबाकर रखा जाता था। उस समय लोग एफआईआर दर्ज करवाने के लिए भटकते थे। हमारी सरकार आने के बाद हमने यह निर्देश जारी किए कि थानों में जो व्यक्ति एफआईआर दर्ज करवाने आएगा, उसकी एफआईआर अवश्य दर्ज की जाए।
मुख्यमंत्री आज यहां हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रश्नकाल के दौरान विधायक श्री वरूण चौधरी द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब दे रहे थे।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि पिछली सरकार के दौरान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दर्ज मामलों में से कितने वापिस लिए गए, कितनों पर समझौता हुआ और कितने रद्द हुए, इसकी जानकारी भी सदन को लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आपसी झगड़ों के दौरान कुछ लोग अनुसूचित जाति और अुनसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 का उपयोग करते हुए मामले दर्ज करवाते हैं, लेकिन जब राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया तो आयोग को इन मामलों का अध्ययन करने के लिए कहा। आयोग ने भी यह पाया कि अधिकतर मामले सामान्य विवादों पर दर्ज करवाए गए हैं। इसलिए एफआईआर की संख्या बढ़ने से अपराध बढ़ने का अंदाजा नहीं लगाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार में हर एफआईआर दर्ज की जा रही है, आम लोगों को अब एफआईआर दर्ज करवाने में कोई दिक्कत नहीं होती।
विधायक श्री अभय सिंह चौटाला द्वारा विभिन्न विभागों, बोर्डों और निगमों में दर्ज भ्रष्टाचार के मामलों के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी भ्रष्टाचार की कोई शिकायत आती है, तो सबसे पहले एफआईआर दर्ज की जाती है, उसके बाद जांच होती है और जांच के बाद पता चलता है कि क्या कार्रवाई की जानी है। इसलिए केवल शिकायत आने से यह कह देना कि कोई घोटाला हुआ है, यह वाक्य पूरी तरह से गलत है।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि एफआईआर दर्ज होने, जांच होने के बाद मामलों का ट्रायल होता है और तब पता चलता है कि घोटाला हुआ या नहीं। यदि किसी मामले में यह पता लगता है कि घोटाला हुआ है, तो हमारी सरकार संबंधित के विरुद्ध अवश्य कार्रवाई करेगी।