सरकार जिद छोड़कर उदारतापूर्वक किसानों से बात करे और उनकी मांगें स्वीकार करे
चंडीगढ़, 26 जून। राज्य सभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि किसानों ने शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से देशभर में कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस मनाया और कहीं अनुशासन नहीं तोड़ा, इसके लिये उनको धन्यवाद करते हैं।
उन्होंने कहा कि 3 कृषि कानूनों के खिलाफ देश के किसान पिछले 7 महीने से अहंकारी सत्ता के दमन चक्र को सह रहे हैं।
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार का हृदय इतना कठोर क्यों है? ये अपने ही लोग हैं, क्या सरकार इनके दुःख को महसूस नहीं कर पा रही? उन्होंने फिर दोहराया कि सरकार को जिद और अहंकार छोड़कर किसानों से बात कर मांग स्वीकार करनी चाहिए।
सांसद ने कहा कि देश के कृषि मंत्री कह रहे हैं कि केंद्र सरकार कानून के किसी भी प्रावधान पर बात करने के लिए भी तैयार है और उसका निराकरण करने के लिए भी तैयार है। तो फिर सरकार किसानों द्वारा बातचीत शुरू करने के प्रस्ताव को क्यों नहीं मान रही?
हुड्डा ने कहा कि किसानों के प्रस्ताव पर सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये से ऐसा लगता है कि सरकार को देश के किसानों की कोई चिंता ही नहीं है। सरकार आन्दोलन को समाप्त करवाना ही नहीं चाहती। उसे कोरोना महामारी के फैलने की भी कोई चिंता नहीं है।
सरकार किसानों के धैर्य का इम्तेहान ले रही है। वो सोचती है कि किसान परेशान होकर अपने आप घर चले जायेंगे, जो उसकी बड़ी भूल है। सरकार देश के किसानों और देश की जनता को गुमराह क्यों कर रही है? अगर सरकार वास्तव में किसानों की समस्या का समाधान करना चाहती है तो वो वार्ता का दिन, स्थान, समय तय कर उसकी सार्वजनिक घोषणा करे।
राज्यसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार लगातार किसान विरोधी नीतियों से, तरह तरह के हथकंडों से किसानों की आवाज दबाने का प्रयास कर रही है। आंदोलन में शामिल किसानों का उत्पीड़न किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक दायरे में चल रहे इस आन्दोलन को सरकार जितना भी दबाने का प्रयास करेगी, यह आंदोलन उतना ही मजबूत होता जाएगा।