चंडीगढ़, 19 फरवरी। हरियाणा के जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री रणबीर गंगवा ने कहा है कि हरियाणा प्रदेश जल सुरक्षित राज्य के लक्ष्य को 2047 से पहले पूरा करेगा। इसके लिए हरियाणा में रैनीवेल, जल जीवन मिशन, अमृत योजना के अलावा नहर आधारित पेयजल परियोजनाओं का विस्तार किया जा रहा है। जनस्वास्थ्य मंत्री ने हरियाणा को जल सुरक्षित राज्य बनाने हेतु विभिन्न परियोजनाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए विशेष पैकेज दिए जाने की मांग की।
गंगवा ‘जल सुरक्षित राष्ट्र’ विषय पर उदयपुर (राजस्थान) में आयोजित कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान कॉन्फ्रेंस में सिंचाई, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती श्रुति चौधरी भी मौजूद रही।
गंगवा ने कहा कि दो दिवसीय सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में 2047 तक जल सुरक्षित राष्ट्र के लिए अनेक सुझाव और योजनाओं की जानकारी दी गई। यह कार्यक्रम जल संरक्षण के मामलों में विकसित भारत की यात्रा में अहम भूमिका अदा करेगा।
रणबीर गंगवा ने प्रदेश में जल संसाधनों के समुचित इस्तेमाल और योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि हरियाणा में नहर आधारित योजनाओं को और सुदृढ़ किया जा रहा है। जिन क्षेत्रों में जल घरों में पानी की कमी है उनको नहरों के ऊपरी छोर पर स्थानांतरित करना प्रक्रिया में है। यह बहुत बड़ा कार्य है, जिसकेे लिए भारी निवेश की आवश्यकता हैै। मंत्री ने कहा कि हम इन परियोजनाओं के लिए नाबार्ड की क्षमता का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से हरियाणा को जल सुरक्षित राज्य बनाने के लिए विशेष पैकेज दिए जाने की मांग की।
रैनीवेल परियोजना से 216 गांवों को जोड़ा
जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री श्री रणबीर गंगवा ने कहा कि हरियाणा सरकार ने यमुना नदी से रैनीवैल परियोजना के माध्यम से 216 गांवों को स्थायी आधार पर पीने का पानी उपलब्ध कराया है। नवीन और सतत स्त्रोत वाली यह परियोजना गेम चेंजर रही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार मेवात क्षेत्र के गांवों को रैनी वेल योजनाओं के दायरे में लाने के लिए लगातार कार्य कर रही है।
उपचारित अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग की योजना पर बढ़ रहे आगे
गंगवा ने कहा कि भूजल के अत्यधिक दोहन से उत्पन्न खतरे से निपटने के लिए हरियाणा सरकार सकारात्मक कदम उठाते हुए आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में 2137.00 एमएलडी की कुल क्षमता वाले 177 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं जिनमें से 1487.12 एमएलडी उपचारित अपशिष्ट जल उत्पन्न किया जा रहा है। दिसंबर 2025 तक यह मात्रा 1000 एमएलडी से अधिक करने का हमारा प्रयास है। दिसंबर 2028 तक हरियाणा राज्य में 100 प्रतिशत उपचारित अपशिष्ट जल का पुनः प्रयोग करने की हमें पूरी उम्मीद है।
शहरों में पेयजल आपूर्ति बढ़ाने के लिए राज्य जल कार्य योजना–॥ के दायरे में 44 ओर शहरों को किया शामिल
उन्होंने कहा कि अमृत 2.0 योजना के तहत हमने शहरों में पीने के पानी की आपूर्ति बढ़ाने के लिए राज्य जल कार्य योजना-॥ के दायरे में 44 और शहरों को शामिल किया है। इन शहरों के लिए परियोजनाओं में गैर-राजस्व जल की समस्या को दूर करने का प्रावधान शामिल है। हमारे प्रदेश में जिला मीटरिंग क्षेत्र बनाकर और बल्क/फ्लो मीटर लगाकर गैर-राजस्व जल की मात्रा का आकलन करने और नुकसान को कम करने के लिए उपयुक्त उपाय करने का प्रस्ताव है, जो मुख्य रूप से वितरण प्रणालियों में रिसाव और पानी की चोरी के कारण होता है। हमें पूरी उम्मीद है कि यह कदम गैर-राजस्व जल की मात्रा में एक परिवर्तनकारी कमी लाएगा और जल संरक्षण और संवर्धित स्थिरता की दिशा में एक ठोस कदम होगा। इसके अलावा, हमारे यहां अमृत 2.0 के एसडब्ल्यूएपी-1 के तहत स्वीकृत इन 44 शहरों में पांच सितारा रेटिंग के साथ ऊर्जा कुशल पंपिंग उपकरण लगाने प्रस्तावित हैं। इससे ऊर्जा लागत में कमी आएगी। साथ ही वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय कमी आएगी।
अमृत मित्र योजना में स्वयं सहायता समूहों का सहयोग
गंगवा ने कहा कि अमृत मित्र के तहत, हमने महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों की सेवाओं को शामिल किया है जो पानी के नमूनों के संग्रह, रिसाव का पता लगाने और अस्वच्छ कनेक्शनों को ठीक करने में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं। इस योजना के तहत हरियाणा में पहले से ही 13 शहरों में कार्य किया जा रहा है। हाल ही में, भारत सरकार ने अमृत मित्र के तहत 29 अन्य शहरों को मंजूरी दी है। इन गतिविधियों का विस्तार हमारे राज्य के लिए शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि हम 2047 तक ‘जल सुरक्षित राज्य‘ का लक्ष्य समय से पूर्व ही प्राप्त कर लेंगे। इस उद्देश्य के लिए हम हर संभव कार्य कर रहे हैं।
घटते जल संसाधन की रक्षा और पुनः भंडारण के लिए पहले से ही उपाय करने की आवश्यकता
गंगवा ने कहा कि हमें घटते जल संसाधन की रक्षा और पुनः भंडारण के लिए पहले से ही उपाय करने की आवश्यकता है ताकि लोगों को संघर्ष न करना पड़े। उन्होंने हरियाणा सरकार को जल उपलब्धता को सुदृढ़ तथा सतत करने के नए कार्यों की अनुमति तथा जल जीवन मिशन एक्सटेंशन में भी वित्तीय सहायता प्रदान करने का आग्रह किया। इसके साथ ही उन्होंने जल स्थिरता और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर राज्यों के साथ राष्ट्रीय परामर्श आयोजित करने की पहल के लिए केंद्रीय मंत्री श्री आर आर पाटिल का आभार जताया।