मुख्य सचिव ने राज्य में प्रधान मंत्री नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम के तहत सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से गरीबी रेखा से नीचे आने वाले मरीजों तथा गोल्डन कार्ड धारकों के लिए निःशुल्क संचालित की जा रही डायलिसिस सेवाओं की समीक्षा की।
उन्होंने विभाग को पीएमएनडीपी पोर्टल का व्यापक उपयोग करने के निर्देश दिए, यह पोर्टल पीएमएनडीपी के तहत निःशुल्क डायलिसिस सेवाओं का लाभ उठाने वाले सभी मरीजों का विवरण प्राप्त करने के लिए एपीआई-आधारित आईटी प्लेटफॉर्म है। सीएस ने डुप्लीकेसी रोकने तथा पारदर्शिता, दक्षता और अंतर संचालन सुनिश्चित करने के लिए 14 अंकों के विशिष्ट ABHA आईडी का उपयोग करके रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने एपीआई सांझा करने तथा समग्र कवरेज के लिए अलग-अलग पोर्टल का उपयोग करने पर इसे पीएमएनडीपी पोर्टल के साथ एकीकृत करने के भी निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत डायलिसिस सेवाओं को उनके प्रदाताओं के बीच बेहतर कार्य प्रणाली के साथ स्थापित करना तथा किडनी से संबंधित रोगों से ग्रस्त रोगियों को उच्च गुणवत्ता और कम लागत में डायलिसिस सेवाएं प्रदान करना है। हेमोडायलिसिस की प्रक्रिया एक बार सम्पन्न होने में अत्यधिक लागत आती है। इस प्रकार किडनी के रोगियों का वार्षिक खर्च बहुत ज्यादा हो जाता है। राज्य के पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों की हेमोडायलिसिस केंद्रों से दूरी भी इस समस्या का प्रमुख कारण है। इस कार्यक्रम से गरीब परिवारों के रोगियों को कम लागत में डायलिसिस की सुविधा अपने जनपदों में ही प्राप्त हो सकेगी।
बैठक में सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सहित स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारी मौजूद रहे।