देहरादून, 14 अक्टूबर। मानसून के दौरान हुए भूस्खलन या राष्ट्रीय राजमार्गो के निर्माण के दौरान उत्सर्जित मलबे के सुव्यवस्थित निस्तारण के लिए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों को डंपिंग साइट के लिए जमीन चिहिन्त कर प्रस्ताव शासन को भेजने के लिए एक सप्ताह की डेडलाइन दे दी है।
मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को डंपिंग साइटों के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्राथमिकता से राजस्व भूमि चिन्हित करने तथा राजस्व भूमि की अनुपलब्धता की दशा में वन भूमि को चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने डंपिंग से जुड़ी एजेंसियों के कामकाज पर नजर रखने तथा नियमों की अवहेलना करने वाली एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने संतृप्त डंपिंग जोन को कम्प्रेस करने की संभावनाओं पर कार्य करने निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को चिह्नित मेक डंपिंग स्थलों पर मलबे के जमा के होने के बाद उसके उपयोग को लेकर कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने ऐसे डम्पिंग स्थलों पर ग्रीन पैच विकसित करते हुए बांस के पौधारोपण के निर्देश दिए हैं। सीएस के निर्देशों के अनुसार ऐसे स्थलों पर तेजी से विकसित होने वाले वृक्षों का रोपण किया जाएगा, जो भविष्य में क्रैश बैरियर के रूप में उपयोगी सिद्ध होंगे।
उन्होंने लोक निर्माण विभाग, बीआरओ तथा एनएचआईडीसीएल को अपनी रिपोर्ट के सम्बन्ध में जिलाधिकारियों के साथ समन्वय तथा संयुक्त निरीक्षण के निर्देश दिए है। उन्होंने डंपिंग के संबंध में अगले पांच साल की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए चिन्हित भूमि के प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कार्यदायी संस्थाओं, राजस्व विभाग एवं वन विभाग द्वारा जिला स्तर पर मक डम्पिंग हेतु स्थल चयनित किये जाने में जिलाधिकारियों को प्रभावी समन्वय एवं संयुक्त निरीक्षण के निर्देश दिए हैं।
डम्पिंग से सम्बन्धित उक्त कार्यदायी संस्थाओं द्वारा उत्तराखण्ड में अगले पांच वर्षो की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कुल 81.99 हेक्टेयर भूमि की मांग रखी गई है। जिसमें वर्तमान में 55.69 हेक्टेयर भूमि तथा अगले पांच वर्षाें में 26.30 हेक्टेयर भूमि शामिल है।
बैठक में सचिव श्री पंकज कुमार पाण्डेय सहित लोक निर्माण विभाग, बीआरओ, एनएचआईडीसीएल एवं अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारी तथा जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, टिहरी मौजूद रहे।