चंडीगढ़, 10 सितंबर। किसानों पर लाठीचार्ज की हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज द्वारा ही न्यायिक जांच होनी चाहिए।
यह मांग इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने की है।
उन्होंने कहा कि तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज का आदेश देने वाले तत्कालीन एसडीएम और पुलिस की मार से शहीद हुए किसान सुशील काजल को न्याय दिलाने के लिए हजारों की संख्या में किसान तीन दिन से करनाल के लघु सचिवालय पर धरने पर बैठे हैं लेकिन, भाजपा सरकार बजाय दोषी सरकारी अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई करने के उल्टा उन्हें बचाने में जुटी है।
ऐसा करके किसानों के धरने को दिल्ली बार्डर से करनाल में शिफ्ट करने की भाजपा की यह एक चाल भी हो सकती है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
चौटाला ने कहा कि भाजपा सरकार की संकुचित मानसिकता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या होगा कि एक तरफ तो करोड़ों रूपए के विज्ञापन देकर लोगों से पेड़ लगाने और पेड़ न काटने की अपील करते हैं दूसरी तरफ किसान पेड़ों की छांव में बैठ कर प्रदर्शन न कर सकें इसलिए वहां मौजूद सभी पेड़ों की डालें कटवाने का घिनौना कृत्य करते हैं। इस मौसम में तो पेड़ लगाए जाते हैं न कि काटे जाते हैं।
करनाल के उपायुक्त ने मीडिया में बयान दिया कि लाठीचार्ज की घटना ऊपर से आए सरकारी आदेशों के तहत हुई है, मतलब साफ है कि लाठीचार्ज मुख्यमंत्री के आदेश पर हुआ है। इस तानाशाही आदेश के लिए मुख्यमंत्री को किसानों और प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।
भाजपा सरकार किसानों के खिलाफ गहरी साजिश रच रही है और तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे किसानों को उत्तेजित और आक्रोशित करने के लिए सडक़ें खुदवाना, रेत से भरे ट्रक खड़े कर सडक़ें जाम करना, वाटर कैनन और लाठीचार्ज करवाने जैसे औछे हथकंडे अपनाती रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार चाहती है कि अन्नदाता आक्रोषित होकर हिंसा करें और दुनियाभर में उन्हें बदनाम किया जा सके लेकिन भाजपा अभी तक अपने गंदे मनसूबों में सफल नहीं हो पाई है।
अभय सिंह चौटाला ने इस पूरे मामले की न्यायिक जांच हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज से करवाने की मांग की ताकि दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलवाई जा सके और लाठीचार्ज में शहीद हुए किसान के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और उचित मुआवजा दिया जाए।