इस कदम से कद्दू करने की विधि के द्वारा धान की फसल लगाने के मुकाबले फसलीय चक्र के दौरान सीधी बुवाई की तकनीक से बीजे गए धान में 15 से 20 प्रतिशत पानी की बचत होती है।
गौरतलब है कि राज्य में धान लगाने के पारंपरिक ढंग से भूजल में चिंताजनक गिरावट को रोकने के लिए तुरंत प्रयासों की ज़रूरत है। इस समय भूमिगत पानी की 86 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष की दर से आ रही गिरावट के कारण आने वाले 15-20 वर्षों में राज्य के पास भूजल नहीं रहेगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता के मुताबिक यह निर्णय बड़ी संख्या में किसानों को धान की सीधी बुवाई की विधि अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जो बहुत कम सिंचाई का प्रयोग करती है। यह विधि जमीन में पानी के रिसने में सुधार करने के साथ-साथ कृषि मजदूरों पर निर्भरता घटाने है और मिट्टी की सेहत में सुधार भी करती है। इससे धान और गेहूँ की उपज में भी 5-10 प्रतिशत वृद्धि होगी।
किसानों को सीधी बुवाई की तकनीक के द्वारा धान की फसल लगाने को प्रोत्साहित करने के लिए मंत्रिमंडल ने प्रति एकड़ 1500 रुपए की वित्तीय सहायता सीधी किसानों के खातों में डाली जाएगी, जिसके लिए मंडी बोर्ड के पास अनाज खरीद पोर्टल पर पहले ही डेटा मौजूद है, जिसके साथ उनके आधार कार्ड के नंबर, मोबाइल नंबर और बैंक खातों के विवरण भी जुड़े हुए हैं।
इसी तरह धान की सीधी बिजाई करने वाले किसान अपनी सहमति पोर्टल पर रजिस्टर करेंगे और पोर्टल मंडी बोर्ड के सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों की टीम द्वारा विकसित किया जाएगा। अनाज पोर्टल पर मौजूद विवरणों को इन सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों द्वारा इस्तेमाल किया जाएगा। धान की सीधी बुवाई की तकनीक अपनाने वाले किसानों के खेतों की जमीनी स्तर पर तस्दीक सम्बन्धित अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा की जाएगी। इस समय कृषि, बागवानी, मंडी बोर्ड और भूमि एवं जल संरक्षण विभाग के तकरीबन 4000 अधिकारियों/कर्मचारियों की ड्यूटी तस्दीक करने के लिए लगाई जाएगी। जिन इलाकों में धान की सीधी बुवाई की विधि के द्वारा धान की फसल बीजी जाएगी, अधिकारियों/कर्मचारियों को वहाँ का दो बार दौरा करना होगा। जिलों के मुख्य कृषि अधिकारी इस काम की मुकम्मल तौर पर निगरानी करेंगे।
आंकड़ों के मुताबिक बीते वर्ष किसानों ने 15 लाख एकड़ क्षेत्रफल सीधी बिजाई के अधीन लाया था और मौजूदा यंत्रों की मौजूदगी से इस विधि के द्वारा 30 लाख एकड़ क्षेत्रफल में धान की सीधी बुवाई की जा सकती है।