जल स्रोत और भूमि एवं जल संरक्षण विभागों ने पिछले 22 महीनों के दौरान 2945.72 किलोमीटर से अधिक पाइपलाइनें बिछाकर 67,926 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को लाभ पहुँचाया
चंडीगढ़, 6 फरवरीः
पंजाब के जल स्रोत और भूमि एवं जल संरक्षण मंत्री स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने आज कहा कि मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार राज्य के किसानों को ट्यूबवैलों के साथ-साथ वैकल्पिक सिंचाई सहूलतें मुहैया कराने के लिए वचनबद्ध है।
उन्होंने बताया कि राज्य में 15 लाख से अधिक ट्यूबवैल खुले खालों के द्वारा 50 से 55 प्रतिशत कुशलता के साथ 29 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई करते हैं जिस के साथ धरती निचले पानी का स्तर लगातार गिर रहा है। अंदाज़न 20 से 25 प्रतिशत पानी खुले खालों, जो ज़्यादातर कच्चे हैं, में व्यर्थ जाता है। इस के इलावा राज्य में करीब 10 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र खुले खालों के अधीन होने के कारण कृषि उत्पादकता से वंचित रह जाता है।
उन्होंने कहा कि इन कारणों के सम्मुख राज्य सरकार ने किसानों को कृषि प्रयोग के लिए नहरी पानी मुहैया करवाने के प्रयास किए हैं जिसके अंतर्गत सरकार ने 13471 नहरी खालों को बहाल किया है और अब हर किसान के खेत तक पानी पहुँचने लगा है।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि सिंचाई के लिए ट्यूबवेलों और नहरी स्रोतों के इलावा किसानों को भूमिगत पाइपलाइन प्रणाली (यू.जी.पी.एस) के द्वारा सिंचाई योग्य पानी मुहैया करवाया जा रहा है। यह पाईपें, नहरी मोघों, सांझे या निजी ट्यूबवैलों, गाँवों के छप्पड़ों, फॉर्म वाटर स्टोरेज टैंकों, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों, सालाना या मौसमी नदियों से खेतों तक ज़मीन से कम से कम 3 फुट नीचे दबाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि यह तकनीक कई दशकों से खेतों और सिंचाई हेतु पानी के उचित प्रयोग के लिए बहुत कामयाब है और ज़्यादातर किसानों की पसंद भी है।
उन्होंने कहा कि आई.सी.ए.आर, नाबार्ड और पी.ए.यू. लुधियाना की रिपोर्टों के अनुसार भूमिगत पाइपलाइन प्रणाली भूमि की क्षमता के अनुसार 10 से 20 प्रतिशत पानी और मज़दूरी की बचत करती है और कम समय में सिंचाई के लिए कुशल तकनीक है। इसके इलावा खुले खालों को भूमिगत पाइपलाइन के साथ बदलकर लगभग 1 प्रतिशत ज़मीन को कृषि के अधीन लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली न केवल सतही पानी का उचित प्रयोग करती है, बल्कि भूमिगत पानी की बचत के लिए भी मददगार है।
उन्होंने बताया कि मान सरकार के पिछले करीब 22 महीनों के दौरान जल स्रोत और भू एवं जल संरक्षण विभागों के द्वारा 2945.72 किलोमीटर से अधिक पाइपलाइनें बिछाकर राज्य में 67,926 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को लाभ पहुँचाया है।