आज यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता अधीन हुई नीति आयोग की राष्ट्रीय कौंसिल की मीटिंग को संबोधन करते हुये मुख्यमंत्री ने याद करते हुये कहा कि जिस समय पर देश भुखमरी के संकट में से गुज़र रहा था तो उस समय पर राज्य के मेहनती किसानों ने मुल्क को अनाज उत्पादन पक्ष से आत्म-निर्भर मुल्क बनाया था। उन्होंने कहा कि खेती अब लाभदायक धंधा नहीं रहा जिस कारण किसान गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। भगवंत मान ने कहा कि किसानों को ऐसी संकटकालीन स्थिति में से निकालने के लिए हर संभव यत्न किये जाएँ जिसके लिए केंद्र सरकार को बनते कदम उठाने चाहिएं।
मुख्यमंत्री ने फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा किये जाना समय की ज़रूरत है जिससे किसानों के हितों की रक्षा की जा सके। इसी तरह भगवंत मान ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य भी लाभदायक होना चाहिए क्योंकि खेती लागतें कई गुणा बढ़ गई हैं जिस कारण किसानों को उनकी फ़सल का सही मूल्य नहीं मिल रहा।
भारत सरकार की तरफ से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कायम की कमेटी को सिरे से नकारते हुये मुख्यमंत्री ने माँग की कि ’वास्तविक किसानों’ को शामिल करके इसका पुनर्गठन किया जाये। उन्होंने कहा कि कमेटी में उन ज्ञान विहीन अर्थशास्त्रीयों का दबदबा है जिनको कृषि संबंधी कोई ज्ञान नहीं है। भगवंत मान ने कहा कि इस कमेटी के सभी भाईवालों के साथ-साथ खेती माहिरों को भी मैंबर बनाया जाना चाहिए।
देश में दालों के महंगे भाव पर आयात पर चिंता ज़ाहिर करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की धन-दौलत के बाहर जाने को रोकने की ज़रूरत है और पंजाब इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य के किसान दालों के उत्पादन में भी देश को आत्म-निर्भर बनाने के लिए तैयार हैं। हालाँकि, भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार को दालों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का ऐलान करना चाहिए और इसलिए उचित मंडीकरण प्रणाली का भरोसा भी देना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि एक तरफ़ किसानों को गेहूं/धान के फ़सली चक्र में से निकालने के लिए और दूसरे तरफ़ भूजल के गिर रहे स्तर को बचाने के लिए कृषि विभिन्नता की तत्काल ज़रूरत है। उन्होंने दुख प्रकटाया कि कुल 150 ब्लॉकों में से 117 ब्लाकों में पानी का स्तर खतरे के स्तर पर (डार्क ज़ोन) पहुँच चुका है। भगवंत मान ने वैकल्पिक फसलों पर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करके पानी के स्तर को रोकने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग की माँग की।
मुख्यमंत्री ने नीति आयोग को यह भी जानकारी दी कि पंजाब सरकार राज्य में शिक्षा ढांचे को सुधारने के लिए ठोस प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि इस समय पर राज्य में शिक्षा प्रणाली डावांडोल स्थिति में है, जिसके लिए बहुत बड़े यत्न करने की ज़रूरत है। भगवंत मान ने कहा कि उनकी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता विद्यार्थियों ख़ास कर लड़कियों के लिए मानक और पहुंचयोग शिक्षा को यकीनी बनाना है।
राज्य में फूड प्रोसेसिंग उद्योग को उत्साहित करने के मसले को ज़ोरदार ढंग से पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में इसकी अथाह संभावनाएं हैं जिसको व्यवहारिक रूप देने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को फूड प्रोसेसिंग उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य को खुले दिल से फंड देने चाहिएं। भगवंत मान ने कहा कि पठानकोट की लीची, होशियारपुर और अबोहर के किन्नू के अलावा जालंधर के आलू अपनी गुणवत्ता और स्वाद के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं और फूड प्रोसेसिंग उद्योग को उत्साहित करके किसानों की किस्मत बदली जा सकती है।
एक अन्य मुद्दे को उठाते हुये मुख्यमंत्री ने राज्य में नहरी ढांचे को फिर सुरजीत करने के लिए विशेष फंडों की व्यवस्था करने की माँग की। उन्होंने कहा कि राज्य में मौजूदा नहरी व्यवस्था की मज़बूती और मुरम्मत करना समय की ज़रूरत है। भगवंत मान ने कहा कि आज़ादी से पहले और बाद के समय के दौरान बनी नहरों को मज़बूत और अपग्रेड किया जाना चाहिए जिसके लिए केंद्र सरकार को राज्य को विशेष पैकेज देना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने राज्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र के लिए फंड तुरंत जारी करने की भी माँग की है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार राज्य में 16 नये मैडीकल कालेज खोलेगी जिससे मैडीकल कॉलेजों की कुल संख्या 25 तक पहुँच जायेगी। भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार को इस कार्य के लिए खुले दिल से राज्य सरकार का सहयोग करना चाहिए।
शहरी विकास के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य बड़े शहरों में से औद्योगिक इकाईयों को बाहर निकाल कर इन शहरों को भीड़भाड़ की समस्या से निजात दिलाना है। उन्होंने कहा कि इस मंतव्य के लिए विस्तृत योजना बनायी जा रही है। भगवंत मान ने केंद्र सरकार को राज्य सरकार का साथ देने की अपील की क्योंकि इससे औघोगीकरण को बड़ा बढ़ावा मिलेगा और राज्य में रोज़गार के नये मौके पैदा होंगे।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले तीन सालों के दौरान उनसे पहले किसी भी मुख्यमंत्री ने इस मीटिंग में शामिल होने की परवाह नहीं की जिससे राज्य का बहुत नुकसान हुआ है। भगवंत मान ने कहा कि इनमें से कोई भी इस मीटिंग में शामिल होने के लिए नहीं आया बल्कि चिट्ठी-पत्रों के साथ ही समय गुजारा जिसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यह नेता अपने महलों में भी आराम फरमाते रहे और राज्य के हितों को पूरी तरह दरकिनार किया। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं आज नीति आयोग की मीटिंग के दौरान राज्य को पेश मसलों को ज़ोरदार ढंग से उठाया है और मैं आशान्वित हूं कि भारत सरकार इन मसलों के हल के लिए सकारात्मक रवैया अपनायेगी।’’
मान ने नीति आयोग के सामने उठाए पंजाब के मुद्दे
नई दिल्ली, 7 अगस्त। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य की किसानी से जुड़े मसले ज़ोरदार ढंग से उठाते हुए न्यूतनम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) को कानूनी गारंटी बनाने और वैकल्पिक फसलों के लिए पुख़्ता मंडीकरण प्रणाली यकीनी बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।