चंडीगढ़, 9 अगस्त। जब से भाजपा की सरकार हरियाणा में आई है तब से एक भी भर्ती परीक्षा ऐसी नहीं है जिसका paper leak न हुआ हो और सरकार के संरक्षण के बिना पेपर लीक होना असंभव है। क्लर्क, एक्साइज इंस्पेक्टर, एग्रीकल्चर इंस्पेक्टर, नायब तहसीलदार, ग्राम सचिव समेत लगभग तीस से अधिक पेपर लीक हो चुके हैं। अब यह चर्चा आम है कि हर साल paper leak करके करोड़ों रूपए डकार लिए जाते हैं, इस बार भी 12 लाख में पेपर लीक होने की खबरें मीडिया में आ रही हैं। अखबारों में छपी खबर ने ही सरकार की पोल खोल दी है जिसमें पेपर लीक के दौरान सरकारी गाडियों की संलिप्तता पाई गई इसका साफ मतलब है कि सरकारी संरक्षण के अंदर पेपर लीक किया गया।
इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने कहा कि paper leak मामला बेहद गंभीर है और प्रदेश की जनता में भाजपा सरकार के प्रति लगातार असंतोष बढ़ता जा रहा है, इसको देखते हुए सच्चाई प्रदेश की जनता के सामने आनी बेहद जरूरी है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि पेपर लीक मामले की जांच कमीशन आफ इंक्वायरी एक्ट 1952 के तहत आयोग बना कर करवाई जाए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी किया जा सके।
उन्होंने आरोप लगाया कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासनकाल में भी युवाओं के साथ अन्याय किया गया और नौकरियां बेची गई, नतीजतन कोर्ट ने उन भर्तियों को रद्द कर दिया। युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का सिलसिला भाजपा सरकार में भी बदस्तूर जारी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री के गृह जिला करनाल में पेपर लीक हुआ है, मतलब साफ है पारदर्शिता केवल ढोंग है और पर्ची-खर्ची की आड़ में जमकर पैसा लूटा जा रहा है।आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो भ्रष्टाचार और बेरोजगारी में हरियाणा पूरे देश में पहले स्थान पर है और यह बेहद दुखद है कि अब पेपर लीक करने में भी पहले स्थान पर आ गया है। हरियाणा कर्मचारी आयोग द्वारा सीक्रेसी के नाम पर सालाना करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं जो सीधे तौर पर डकार लिए जाते हैं।
एक अभ्यार्थी नौकरी की तैयारी करने के लिए हजारों रुपए खर्च करता है लेकिन पेपर लीक होने के कारण उसका सारा पैसा मिट्टी में मिल जाता है। सरकार कम से कम दो हजार रूपए प्रत्येक अभ्यर्थी को वापिस दे ताकि पेपर देने के लिए आने-जाने और खाने-पीने का खर्च पूरा किया जा सके। भाजपा सरकार ईमानदारी का ढोंग छोडक़र परिक्षाओं को पारदर्शी बनाए और युवाओं के भविष्य से खेलना बंद करे।