नशे के खात्मे के लिए एसटीएफ, पुलिस और खुफिय़ा विंग में हो मजबूत तालमेल
जब्त किए गए नशे की बड़ी खेप को लाइव नष्ट करने की डिजिटल तौर पर शुरुआत की
चंडीगढ़, 26 जून। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने नशों से निपटने के लिए राष्ट्रीय ड्रग नीति लाने के लिए अपनी मांग को दोहराते हुए राज्य से नशे के खात्मे के लिए एसटीएफ, पुलिस और खुफिय़ा विंग के बीच और अधिक तालमेल बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
इस खतरे के खिलाफ लड़ाई में सभी पक्षों के सहयोग की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ने इसको वैश्विक समस्या करार दिया। उन्होंने कहा कि भले ही हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली जैसे पड़ोसी राज्य नशों की तस्करी से निपटने के लिए कारगर ढंग-विधि लागू करने के लिए रजामंद हुए थे, परन्तु इस ओर महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार नशे के प्रति किसी किस्म की कोताही नहीं बरतेगी। उन्होंने इस समस्या का कारण राज्य में नार्को-आतंकवाद को प्रोत्साहन देने के लिए पाकिस्तान के साथ-साथ तस्करों, गैंगस्टरों और आतंकवादियों के दरमियान मजबूत गठजोड़ बताया। नशाखोरी और तस्करी के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस के मौके पर लोगों से मुखातिब होते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत से नशे ख़ास तौर पर अफगानिस्तान से हेरोइन की तस्करी बरास्ता पाकिस्तान, पड़ोसी राज्य हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, दिल्ली और यहाँ तक कि नेपाल से होती है। उन्होंने इस कदम को पंजाब के युवाओं को कमजोर करने और उनको सशस्त्र बलों से दूर करने के लिए पाकिस्तान की साजिश बताया। उन्होंने ड्रोन के द्वारा नशे की तस्करी और कांडला बंदरगाह के द्वारा पंजाब को भेजी जाने वाली 700 किलोग्राम हेरोइन जब्त किए जाने की घटनाओं का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा भी जम्मू-कश्मीर में उरी सैक्टर के द्वारा पाकिस्तान की तरफ से ख़तरनाक हथियार भेजे गए।
हाल ही में कनाडा में नशे की बड़ी खेप जब्त करने की घटना पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत शर्मनाक बात है कि इस जुर्म में कुछ पंजाबी नौजवान भी शामिल पाए गए हैं, जिससे न सिर्फ पंजाब की बदनामी हुई है, बल्कि दुनिया भर में अमन-चैन से रह रहे पंजाबियों के अक्स को भी चोट लगी है।
नशे के विरुद्ध लड़ाई में अब तक उठाए गए कदमों के बारे में मुख्यमंत्री ने बताया कि पंजाब ने ‘ए’ कैटेगरी के दो गैंगस्टरों को सफलतापूर्वक डिपोर्ट करवाया है, जिनमें साल 2019 में आर्मीनिया से सुखप्रीत बूढ़ा और साल 2021 में यू.ए.ई. से सुख भिखारीवाल शामिल हैं। उन्होंने बताया कि गौरव पटियाल को आर्मीनिया से डिपोर्ट किया जाना प्रक्रिया अधीन है, जबकि रमनजीत रोमी जो गैंगस्टरों के एक हैंडल है, को हांगकांग से वापस लाया जा रहा है।
इसी तरह गैंगस्टर हैरी को पुर्तगाल से और गगन माथुर को ऑस्ट्रेलिया से वापस लाया जा रहा है। नशाखोरी के बुरे प्रभावों के बारे में बच्चों को जागरूक करने के उद्देश्य से 2 अक्टूबर, 2018 को शुरू किए गए बड्डी प्रोग्राम के बारे में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि अब तक इस प्रोग्राम को 16,000 शैक्षिक संस्थाओं (सरकारी और निजी) में लागू किया जा चुका है और 37 लाख विद्यार्थियों और 1.30 सीनियर बॉडी पर आधारित 7.5 लाख बड्डी ग्रुप गठित किए गए।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने अमृतसर के पुलिस कमिश्नर डॉ. सुखचैन सिंह गिल के नेतृत्व में विशेष टीम द्वारा अमृतसर में जब्त किए गए नशों/नशीली दवाओं को लाइव नष्ट करने की डिजिटल तौर पर शुरुआत की। इस खेप में अंतरराष्ट्रीय मंडी में 1318 करोड़ रुपए की कीमत वाली 659 किलो हेरोइन, 3000 किलो भुक्की, 5.8 करोड़ गोलियाँ/कैप्सूल, 166 किलो गाँजा, 5 किलो चरस और बड़ी मात्रा में भांग, स्मैक, सिरप (पीने वाली दवा) और टीके शामिल हैं।
उन्होंने स्कूल और उच्च शिक्षा विभागों द्वारा हफ़्ता भर चलने वाली राज्य स्तरीय जागरूकता मुहिम की भी शुरुआत की। इससे पहले स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि राज्य सरकार ने नशाखोरी पर नकेल कसने के लिए काफ़ी हद तक सफलता हासिल की है। उन्होंने कहा नशा छोडऩे का इलाज ले रहे व्यक्तियों को हर साल 70 करोड़ रुपए की दवाएँ दी जा रही थीं। नशा-पीडि़तों को इलाज के लिए मुफ़्त दवाएँ प्रदान करने के लिए राज्य सरकार द्वारा 70 करोड़ रुपए ख़र्च करने से नशा छोडऩे के लिए इलाज लेने वाले व्यक्तियों की संख्या 2,67,000 से बढक़र 6,72,000 हो गई थी।
उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि वह विद्यार्थियों को नशों से दूर रहने के लिए जागरूक करने के लिए स्कूल के कोर्स में नशे के प्रति जागरूकता का विषय शामिल करें। प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने मुख्यमंत्री से अपील की कि वह अफगानिस्तान से पीछे हटने के अमेरिका के फैसले के मद्देनजर पुलिस फोर्स को और अधिक चौकस रहने के लिए निर्देश दें। डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता ने कहा कि पंजाब की लगभग 550 किलोमीटर सरहद पाकिस्तान के साथ साझी होने के कारण यह हेरोइन, ख़ास तौर पर अफगानिस्तान में पैदा की गई, की देश भर के अन्य राज्यों को तस्करी के लिए यातायात का मुख्य रास्ता बन गया है। पाकिस्तान ने नदियाँ, सरहदी बाड़, समुद्री रास्ते समेत अलग-अलग तरीकों का प्रयोग करते हुए पंजाब में हेरोइन की तस्करी के लिए सरहदों पर एक विशाल तस्करी बुनियादी ढांचा स्थापित किया है।
उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों के दौरान 420 से अधिक बड़े तस्करों (2 किलो से अधिक हेरोइन की बरामदगी के आधार पर) को गिरफ़्तार किया गया है। डीजीपी ने कहा कि पंजाब पुलिस ने सिरसा से अति वांछित नशा-तस्कर रणजीत चीता को भी काबू कर लिया था। उन्होंने बताया कि स्पैशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने जनवरी, 2020 में अमृतसर के सुल्तानविंड क्षेत्र में एक नार्को यूनिट का पर्दाफाश किया था, जिसमें एक अफगानी व्यक्ति को गिरफ़्तार करने के साथ-साथ 190 किलो हेरोइन भी ज़ब्त की गई थी।
उन्होंने बताया कि पंजाब पुलिस ने नशा तस्करी में शामिल पाए गए कुछ पुलिस मुलाजिमों, फ़ौज और बी.एस.एफ. के जवानों को भी गिरफ़्तार किया है। उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों के दौरान पुलिस ने एन.डी.पी.एस. के अंतर्गत 233 करोड़ रुपए की गैर-कानूनी जायदाद जब्त की है। डी.जी.पी. ने बताया कि पंजाब पुलिस ने पंजाब और अन्य राज्यों में अलग-अलग फार्मा ड्रग इकाईयों का भी पर्दाफाश किया था और इन कार्यवाहियों में ट्रामाडोल, एल्प्रैक्स और बेनाड्रिल आदि समेत भारी मात्रा में फार्मा ड्रग्स भी जब्त की गई थीं। पुलिस विभाग द्वारा दिल्ली के बाहरी इलाके के नरेला में एक फार्मा फैक्ट्री का पर्दाफाश भी किया गया था, जो पंजाब समेत 17 राज्यों में फार्मा ड्रग्स सप्लाई करने में शामिल पाई गई थी।
उन्होंने कहा कि हाल ही में हिमाचल प्रदेश के बद्दी में एक फार्मा ड्रग फैक्ट्री का भी पर्दाफाश किया गया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह अनुराग अग्रवाल ने खुलासा किया कि नशों की ग़ैर-कानूनी तस्करी के मामलों में दोषी ठहराए जाने की दर 50 प्रतिशत से बढक़र 80 प्रतिशत हो गई है। इस दौरान नशा विरोधी मुहिम के नोडल अधिकारी राहुल तिवाड़ी ने कहा कि रोजग़ार सृजन और प्रशिक्षण विभाग ने मिशन रैड स्काई की शुरूआत की थी और नशा पीडि़तों को रोजग़ार के मौके प्रदान करने के लिए उन तक पहुँच की।
इस समागम में हिस्सा लेते हुए जालंधर से बारहवीं कक्षा की छात्रा नवजीत कौर, नशे की समस्या से निकले संगरूर के हरविंदर सिंह, तरनतारन जिले की डेपो हेडमिस्ट्रेस जी.एच.एस. पंजर जीत कौर, नशा विरोधी निगरानी समिति की मैंबर लुधियाना से डॉ. सुखपाल कौर और सरकारी कॉलेज मोहाली से बी.एस.सी नॉन-मेडिकल की छात्रा किरनप्रीत कौर ने अपनी जानकारी और तजुर्बे साझे किए।