चंडीगढ़, 2 जुलाई। कृषि प्रधान राज्य पंजाब में धान की पराली जलाने के रुझान को पूरी तरह खत्म करने के लिए सरकार 878 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके लिए एक कार्ययोजना तैयार कर ली गई है।इसमें से 235 करोड़ रुपए की पहली किश्त मंजूर हो गई है। खेत से बाहर फसलीय अवशेष प्रबंधन के लिए 97.5 मेगावाट क्षमता वाले 11 बायोमास पावर प्रोजेक्ट लगाने के अलावा 23 सीबीजी प्रोजेक्ट भी अलाट किए गए हैं।
यह जानकारी मुख्य सचिव विनी महाजन ने एनसीआर और पास के इलाकों में एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन के साथ मीटिंग के दौरान पराली जलाने से रोकने और इस रुझान को कंट्रोल करने के राज्य की तरफ से किए प्रयासों के दौरान सांझा की। इस मीटिंग के दौरान राज्य में फसलीय अवशेष को जलाने से रोकने के लिए विचार-विमर्श किया गया।
आयोग के चेयरमैन डा. एमएम कुट्टी ने इस सिलसिले में पंजाब सरकार की कोशिशों की सराहना की। उन्होंने धान की पराली जलाने के रुझान को कम करने की योजना के साथ-साथ प्रभावशाली निगरानी और नियम लागू करने की जरूरत पर भी जोर दिया।
मुख्य सचिव ने इस दौरान बताया कि पराली जलाने के रुझान को रोकने के लिए पंजाब ने कई कदम उठाए हैं और राज्य इस दिशा में बहुत सक्रियता से काम कर रहा है। इस सम्बन्ध में पिछले वर्षों के दौरान राज्य भर में कस्टम हायरिंग सेंटर खोलने के अलावा किसानों को 75,000 विशेषीकृत यंत्र/मशीनें मुहैया करवाई गई हैं।
महाजन ने बताया कि सरकार की तरफ से साल 2021 -22 के दौरान पीक डिमांड को पूरा करने के मद्देनजर 25,000 और ऐसी मशीनें मुहैया करवाने का प्रस्ताव है जिसके लिए किसानों, किसान समूहों और सहकारी सभाओं से आवेदनों की मांग की गई है।
पंजाब सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों संबंधी अवगत करवाते हुये मुख्य सचिव ने जोर दिया कि धान की पराली के प्रबंधन के लिए आने वाले अतिरिक्त खर्च के लिए किसानों को मुआवजा देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री द्वारा पहले ही किसानों को मुआवजा देने के लिए चालू खर्चे-पराली प्रबंधन मुआवजा से जुड़ा प्रस्ताव केंद्र को सौंपा जा चुका है।
मुख्य सचिव ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि कोविड महामारी के मद्देनजर आयोग की तरफ से केंद्र सरकार को उचित पराली प्रबंधन के लिए किसानों को वातावरण -समर्थक तरीके अपनाने और पराली जलाने का रुझान रोकने के लिए किसानों को उपयुक्त मुआवजा देने की सिफारिश करनी चाहिए।