चंडीगढ़, 14 जुलाई। पंजाब विधानसभा ने आज राज्य के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा द्वारा प्रस्तुत ‘पंजाब स्टेट डेवलपमेंट टैक्स (संशोधन) बिल, 2025’ और ‘पंजाब विनियोग अधिनियम (रपील) बिल, 2025’ को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
पंजाब राज्य विकास टैक्स (संशोधन) बिल, 2025 का उद्देश्य पंजाब स्टेट डेवलपमेंट टैक्स एक्ट, 2018 को सुचारू बनाना और इसकी दक्षता को बढ़ाना है, जिसके तहत प्रत्येक आयकरदाता द्वारा 200 रुपये प्रति माह कर अदा किया जाता है, जिससे वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 190.36 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व प्राप्त हुआ।
वित्त मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि विभिन्न संस्थाओं और संगठनों के प्रतिनिधियों ने पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा पारित मौजूदा एक्ट में कुछ व्यवहारिक कठिनाइयों के बारे में उनसे संपर्क किया था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के साथ विचार-विमर्श के बाद संशोधित बिल में टैक्स ढांचे के विभिन्न पहलुओं को सरल बनाने और स्पष्ट करने के लिए कई मुख्य प्रावधान तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि करदाताओं के लिए एक एकमुश्त टैक्स भुगतान विकल्प जैसी महत्वपूर्ण सुविधा दी गई है, जिससे किसी भी व्यक्ति को मासिक 200 रुपये (वार्षिक 2400 रुपये) के बजाय एक बार में 2200 रुपये जमा करने की सुविधा होगी, जिससे इस कर के भुगतान की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
इसके अतिरिक्त, एक बार के निपटारे की विधि को सुविधाजनक बनाने के लिए पीएसडीटी एक्ट में एक नई धारा 11ए जोड़ी गई है। विशेष परिस्थितियों से उत्पन्न जटिलताओं को हल करने के लिए, बिल में पीएसडीटी एक्ट के अंतर्गत नई धाराओं 11बी, 11सी और 11डी को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है। ये धाराएं किसी पंजीकृत व्यक्ति की मृत्यु, कंपनियों के परिसमापन या कॉर्पोरेट दिवालियापन के मामलों से जुड़े मामलों में टैक्स भुगतान देनदारियों को दर्शाएंगी।
इसके अलावा, अनावश्यक उलझनों को दूर करने के लिए बिल में दोहरी देनदारी की स्थितियों में केवल एक ही पंजीकरण का प्रावधान किया गया है। बिल व्यक्तिगत और एकमात्र स्वामित्व दोनों रूपों में अलग-अलग पंजीकरणों की आवश्यकता को प्रभावी ढंग से समाप्त करता है। अंततः, एक महत्वपूर्ण संशोधन पंजाब स्टेट डेवलपमेंट टैक्स एक्ट, 2018 के अधीन देय अधिकतम जुर्माने को सीमित करने का है, जिसके तहत जुर्माने की राशि संबंधित टैक्स बकाया से अधिक नहीं होगी।
पंजाब विनियोग अधिनियम (रपील) बिल, 2025 पिछले कई वर्षों के दौरान राज्य की विधायी संरचना के तहत कई पुराने और समाप्ति अवधि पूरी कर चुके एप्रोप्रिएशन एक्ट्स (मनी बिल्स) को रद्द करने के लिए लाया गया है। यह देखा गया है कि पिछले कई वर्षों के दौरान लागू किए गए बहुत सारे विनियोग अधिनियम अपना वास्तविक महत्व खो चुके हैं, किंतु अभी भी विधायी पुस्तकों में दर्ज हैं। विनियोग अधिनियम, जिनकी शर्तें समाप्त हो चुकी हैं, को रद्द करने से किसी भी प्रकार से उन कार्यवाहियों पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा जो इन अधिनियमों के अनुसार वैध रूप से की गई हैं या की जानी हैं, जब तक कि इस एक्ट द्वारा उक्त धाराओं को रद्द नहीं किया गया हो। यह, हालांकि, और मुख्य रूप से, विधायी पुस्तकों को साफ़ करने और पुराने कानून से जुड़े बोझ को कम करने के उद्देश्य की पूर्ति करेगा।