राजस्थान के भीलवाड़ा से आए शिवम ने मेले में चार स्थानों पर लगाए हैं बॉयोस्कोप
चंडीगढ़, 13 फरवरी – फरीदाबाद में आयोजित किए जा रहे 37वें सूरजकुंड मेले में ‘बाबा जी का बॉयोस्कोप’ पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। देश के विभिन्न स्मारकों को एक ही स्थान पर लोगों को दिखाने का कार्य कर रहा है यह ‘बाबा जी का बॉयोस्कोप’। 37वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला में राजस्थान के भीलवाड़ा क्षेत्र से आए शिवम अपने बॉयोस्कोप के ज़रिए पर्यटकों को अनोखे अंदाज में विभिन्न स्मारकों का अवलोकन करवा रहे हैं। मात्र 50 रुपए के टिकट पर वे पुराने समय में दिखाए जाने वाले चलचित्र की तर्ज पर बॉयोस्कोप की चकरी घुमाकर झांसी और चित्तौड़गढ़ का किला, कुतुब मीनार, दुनिया के सात अजूबों में एक ताजमहल जैसे अन्य स्थलों के चित्रों को दिखाकर लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। बॉयोस्कोप में एक ओर जहां पर्यटक अयोध्या के राम मंदिर के दर्शन कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर जी-20 के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को भी निहार पा रहे हैं।
शिवम ने बताया कि वे अपने पुश्तैनी कार्य को आगे बढ़ने में अपने पिता का सहयोग कर रहे हैं। इस बॉयोस्कोप को लेकर वे सूरजकुंड शिल्प मेले में पिछले 12 वर्षों से आ रहे हैं। इससे पहले उनके पिता सोहनलाल और उनके दादा भंवरलाल भी सूरजकुंड के मेले के साथ – साथ दिल्ली हाट में भी बॉयोस्कोप दिखाकर लोगों का मनोरंजन करते आए हैं। यह बॉयोस्कोप मेले में चार जगह पर लगाए गए हैं। शिवम ने बताया कि बॉयोस्कोप को स्थानीय भाषा में ‘बारह मण की धोबन’ भी कहा जाता है।
इसके अलावा, सूरजकुंड मेले में हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद चंडीगढ की ओर से भी एक स्टॉल लगाई गई है। जहां जूट, मोबाइल और पोटली बैग, सिलाई के कपड़े, ऊन से बनाए गए बंदरबान, थारपोश, चंकेरी (बोइया), वेस्ट कपड़ो से बनाए गए हैंड बैग, बोतल बैग जैसे हाथ से कढ़ाई – बुनाई करके बनाए गए विभिन्न उम्दा उत्पाद उपलब्ध हैं। यह सभी उत्पाद बाल कल्याण परिषद की ओर से प्रशिक्षण कर रही लड़कियों और महिलाओं के द्वारा तैयार किए गए हैं, जोकि बेहद कम दामों में स्टॉल पर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
उल्लेखनीय है कि बाल कल्याण परिषद हरियाणा की ओर से प्रत्येक जिला में स्थित बाल कल्याण भवन में प्रशिक्षण केंद्र चलाए जा रहे हैं, जहां पर लड़कियों एवं महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, ब्यूटी केयर आदि जैसे विभिन्न प्रशिक्षण निशुल्क प्रदान किए जाते हैं। इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार का भरण – पोषण करने में सक्षम बन रही हैं। बाल भवन के इन प्रशिक्षण केंद्रों में शिक्षिकाओं के माध्यम से लड़कियों व महिलाओं को स्लेबस के अनुसार बिना किसी फीस के कोर्स करवाया जाता है। इस डिप्लोमा के बाद महिलाओं व लड़कियों को रोजगार के अधिक अवसर मिलते हैं। इसके साथ – साथ वे स्वयं का रोजगार शुरू करने के लिए सरकार की ओर से ऋण प्रदान करने की सुविधा का लाभ भी उठा सकती हैं।