चंडीगढ़, 31 जुलाई। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शहीद उधम सिंह जी के शहीदी दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका बलिदान राष्ट्रभक्ति, साहस और आत्मबलिदान का अप्रतिम उदाहरण है। उधम सिंह जी ने भारत माता की आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। ‘जंग-ए-आजादी’ के इतिहास में आज भी उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। आज का दिन हमें प्रेरणा देता है कि हम भी उनके आदर्शों को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं।
मुख्यमंत्री वीरवार को सिरसा में मुख्य धाम बाबा भूमणशाह जी (संगर सरिस्ता) में शहीद उधम सिंह के शहीदी दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने पंचकूला में कम्बोज सभा को प्लॉट देने की घोषणा की। साथ ही, फतेहाबाद, कैथल और जगाधरी में प्लॉट लेने हेतु सभा द्वारा आवेदन करने उपरांत उन्हें प्राथमिकता के आधार पर प्लॉट प्रदान किया जाएगा। इसके आलावा, मुख्यमंत्री ने हिसार के गाँव बाड़ा सुलेमान का नाम उधमपुरा करने की भी घोषणा की।
बाबा भूमण शाह मुख्य धाम की भूमि पर उनके नाम से राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं अस्पताल का निर्माण करवाने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी फिजिबिलिटी चैक करवाकर इसे पूरा करने का काम किया जाएगा। इसके अलावा, घग्गर नदी से रंगोई नाला निकालकर गांव रामपुरा ढाणी से गुजरता हुआ बनाया जाने की मांग पर मुख्यमंत्री ने इसकी फिजिबिलिटी चेक करवा कर पूरा करवाने की घोषणा की। ओबीसी वर्ग में क्लास-1 व क्लास- 2 श्रेणी की नौकरियों में आरक्षण की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बारे ओबीसी आयोग को अवगत करा कर लागू कराने का काम किया जाएगा। इनके अलावा, अन्य मांगों को संबंधित विभागों में फिजिबिलिटी चैक करवाने हेतु भेजा जाएगा।
सैनी ने राष्ट्र नायक शहीद उधम सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि शहीद उधम सिंह जी ने असत्य, अन्याय और शोषण के विरुद्ध संघर्ष करते हुए आज के ही दिन वर्ष 1940 में शहादत पाई। उनकी कुर्बानी ने आजादी के लिए देशवासियों में एक नई जागृति पैदा की। उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि उधम सिंह, सरदार भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद तथा मदन लाल ढींगड़ा जैसे अनेक देशभक्तों ने भारत माँ की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए कांटों भरा रास्ता चुना और उस पर चलकर कुर्बानियां देने का इतिहास रचा।
उन्होंने कहा कि जब उधम सिंह जी केवल 20 वर्ष के थे, तो 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग की हृदय विदारक घटना ने उनके दिल और दिमाग पर गहरा आघात किया। उस जलसे में उधम सिंह वहां इकट्ठे हुए लोगों की पानी पिलाकर सेवा कर रहे थे। उस नरसंहार को देखकर वे स्तब्ध रह गये और उसी क्षण उधम सिंह ने जलियांवाला बाग की शहीदी मिट्टी को अपने माथे पर लगाकर यह प्रण किया कि वह इस कत्लेआम का बदला जरूर लेंगे। इस महान सपूत ने अपनी मातृभूमि के अपमान और निर्दोष लोगों के खून का बदला लेने के लिए उस साम्राज्यवादी ताकत से उसी की भूमि पर टक्कर ली, जिसके साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता था। उन्होंने देशवासियों के समक्ष राष्ट्र-भक्ति, त्याग और बलिदान की एक अनूठी मिसाल कायम की, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।
उन्होंने कहा कि उधम सिंह ने 13 मार्च, 1940 को लंदन के कैस्टन हाल में माइकल ओ. डायर को गोली मार कर उस खूनी कांड का बदला लिया था। 5 जून, 1940 को केन्द्रीय आपराधिक अदालत ओल्ड वेली में उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई और 31 जुलाई, 1940 को लंदन में पेंटोनविल जेल में उधम सिंह को फांसी दे दी गई।
उन्होंने कहा कि अमर शहीद उधम सिंह जी की तरह अनेक वीरों ने आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर किये थे। देश से अंग्रेजी शासन को खत्म करना और देश के हर नागरिक का कल्याण व उत्थान उनका सपना था। उनके सपनों को साकार करने के लिए सरकार का प्रयास रहा है कि सभी वर्गों के लोग आगे बढ़ें, सभी का उत्थान हो और सभी को बराबर के हक मिलें। इस दिशा में सरकार ने विकास के लाभ उन लोगों तक पहुंचाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं, जो किन्हीं कारणों से पिछड़े रह गये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अपने शहीदों के बलिदानों का कर्ज तो नहीं चुका सकते, लेकिन उनके प्रति अपनी कृतज्ञता अवश्य जता सकते हैं। इसी उद्देश्य से 1857 के सेनानियों को नमन करने तथा उनकी स्मृति को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए अंबाला में युद्ध स्मारक का निर्माण कराया जा रहा है। यह स्मारक नई पीढ़ियों को उन महान सेनानियों जैसी देशभक्ति अपनाने की प्रेरणा देता रहेगा। सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों व उनकी विधवाओं की पेंशन 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 40 हजार रुपये मासिक की है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सबका साथ-सबका विकास की भावना से पिछड़े वर्गों का भी विशेष ध्यान रखा है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाया है। केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में ओ.बी.सी. का अब तक का सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व है। ओ.बी.सी. को मेडिकल एजुकेशन, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और सैनिक स्कूलों में आरक्षण मिलता है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने भी प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में पिछड़े वर्गों के कल्याण व उत्थान के लिए अनेक कदम उठाए हैं। पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग (ए) को 8 प्रतिशत व पिछड़ा वर्ग (बी) को 5 प्रतिशत आरक्षण और पंच पद के लिए उनकी जनसंख्या के 50 प्रतिशत के अनुपात में आरक्षण दिया गया है। शहरी स्थानीय निकायों में भी पिछड़ा वर्ग बी को मेयर / प्रधान के पदों में 5 प्रतिशत तथा सदस्यों के लिए सम्बंधित पालिका में उनकी जनसंख्या के 50 प्रतिशत के अनुपात में आरक्षण दिया गया है। एक लाख 80 हजार रुपये तक वार्षिक आय वाले परिवारों की लड़कियों के विवाह हेतु 51,000 रुपये की राशि दी जाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार शहीदों के सपनों को साकार करने के लिए निरंतर काम कर रही है। शहीदों के संघर्ष, त्याग और कुर्बानी से मिली आजादी की अमूल्य धरोहर को हमें सम्भाल कर रखना है। शहीद सदा अमर रहते हैं। मुख्यमंत्री ने आह्वान किया कि आज शहीदी दिवस के अवसर पर हम सभी राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा तथा राष्ट्र व प्रदेश के नव-निर्माण के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लें।
इस अवसर पर डेरा बाबा भूमणशाह जी के गद्दीनशीन बाबा ब्रह्म दास ने मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी का स्वागत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री दिन रात जन सेवा के लिए तत्पर रहते हैं और हर वर्ग के कल्याण व उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं। बाबा ब्रह्म दास ने युवाओं से आह्वान किया कि वे देश के शहीदों से प्रेरणा लें, अच्छे संस्कार अपनाएं और सच्चे देशभक्त बनकर राष्ट्र की सेवा करें। उन्होंने कहा कि युवा ही देश का भविष्य हैं। जिस प्रकार शहीदों ने हमें स्वतंत्रता की खुली हवा में सांस लेने का अवसर दिया, उसी प्रकार हमें भी देश की रक्षा और प्रगति में अपना योगदान देना होगा।
बाबा ब्रह्म दास ने नशे के खिलाफ आवाज उठाते हुए उपस्थित जनसमूह से आह्वान किया कि हम सब मिलकर इस सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करेंगे। जब तक नशा समाप्त नहीं होगा, तब तक हमारा प्रयास जारी रहेगा।
इस अवसर पर स्वामी ब्रह्मानंद जी, श्री महेश मुनी जी, महंत गोमती दास जी, महंत सागर नाथ जी, जर्मनी के सांसद श्री राहुल कम्बोज, उड़ीसा के पूर्व राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल, पूर्व मंत्री श्री सुभाष सुधा, पूर्व मंत्री श्री करण देव कम्बोज, पूर्व सांसद श्रीमती सुनीता दुग्गल, पूर्व विधायक श्री दुड़ा राम सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।