फिरोजपुर, 12 सितंबर। 127 साल पहले सारागढ़ी में 21 शूरवीर सिंहो द्वारा दी शहादत को पंजाब सरकार ने जीवंत किया है, जिससे शहादत प्राप्त करने वाले योद्धा आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। इन बातों का प्रगटावा पंजाब के सामाजिक सुरक्षा, स्त्री और बाल विकास मंत्री डा. बलजीत कौर ने आज ऐतिहासिक गुरुद्वारा सारागढ़ी साहिब फिरोजपुर कैंट में सारागढ़ी जंग के शहीदों की याद में बनाए गए ‘‘ सारागढ़ी जंगी यादगार’ ’ का लोक अर्पण किया।
शहीदों की याद में रखे गए अखंड पाठ साहिब के भोग उपरांत सभा को संबोधित करते कैबिनेट मंत्री डा. बलजीत कौर ने कहा कि पंजाब सरकार राज्य के निवासियों विशेषकर युवा पीढ़ी को अपने गौरवशाली, ऐतिहासिक और अमीर विरासत के साथ जोड़ने के लिए बड़े स्तर पर कार्य किए जा रहे है। इस कार्य के अंतर्गत राज्य में ऐतिहासिक और विरासती महत्ता वाले स्थानों का सर्वपक्क्षीय विकास किया जा रहा है। इसी लड़ी में फ़िरोज़पुर में भारत में सारागढ़ी की लड़ाई को समर्पित पहली यादगार बनाई गई है।
उन्होंने कहा कि यूनेस्को ( यूनायटिड नैशनज़ ऐजुकेशनल साईंटिफिक एंड कल्चरल आर्गनाईजेशन) के अनुसार यह युद्ध विश्व की आठ महत्वपूर्ण युद्ध में से एक है जिसमें शहीद हुए सिपाहियों को ‘‘ इंडियन आर्डर आफ मैरिट’’( सर्वोच्च तगमा) यानि विक्टोरिया क्रास के साथ सम्मानित किया गया था। युवाओं को संबोधित होते हुए उन्होंने कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ी को बेमिसाल शूरबीरता और साहस की याद दिलाती रहेगी।
इस यादगार के इतिहास के बारे में बताते हुए डा. बलजीत कौर ने कहा कि इस युद्ध यादगार का नींव पत्थर मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने 12 सितंबर 2023 को सारागढ़ी दिवस मौके रखा था और इस यादगार को एक साल में पूरा करने की हिदायतें दी गई थी। उन्होंने कहा कि करीब 2 करोड़ रुपए की लागत के साथ यह सारागढ़ी जंगी यादगार अपने निश्चित समय में बन कर तैयार हो गया है। यह भारत में सारागड़ी युद्ध को याद करवाने वाली ऐसी यादगार है जिससे केवल सिख कौम ही नहीं बल्कि सभी देश के नौजवान प्रेरणा लेंगे। उन्होंने कहा कि इस युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों में से ज़्यादातर फ़िरोज़पुर के साथ सबंधित थे।
उन्होंने संगत को यह भी बताया कि इससे पहले 2 करोड़ रुपए की लागत के साथ गुरुद्वारा सारागढ़ी में इस जंग को समर्पित अजायब घर भी बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस अजायब घर में सारागढ़ी जंग के समय इस्तेमाल किया जाए सिगनलिंग तकनीक के आरकीफैकटस, इक्यूपमैंट, कोडिंग, डिकोडिंग को दिखाया गया है। इसके अलावा उस समय युद्ध में इस्तेमाल किए गए हथियारों को भी दिखाया गया है और वीडियो के द्वारा भी इस ऐतिहासिक जंग के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है जो कि आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
यह युद्ध यादगार 36 सिख रैजीमेंट के उन 21 शूरवीरों की आत्म सम्मान, सम्मान और बलि को समर्पित है जिन्होंने सारागढ़ी के किले के बचाव के लिए दस हज़ार अफगानी कबाईलियों के साथ लोहा लिया और युद्ध के मैदान में शहीद हो गए परन्तु पीठ नहीं दिखाई।
उन्होंने कहा कि सारागढ़ी युद्ध यादगार का संकल्प समाना, अफगानिस्तान में बनी यादगार से प्रेरित है। समाना, अफगानिस्तान में मौजूदा यादगार मेमोरियल की तरह इस यादगार केंद्र में 31 फुट ऊँचाई वाला टावर 4 फुट ऊंचे गोलाकार प्लेटफार्म और बनाया गया है। इस मेमोरियल पर सुंदर लाईटे लगाई गई है जो कि मेमोरियल को रात के समय ओर भी आकर्षक बनाती है। यह ऐतिहासिक यादगार देश – विदेश के सैलानियों के लिए अलौकिक आकर्षण का केंद्र होगी। उन्होंने कहा कि सारागढ़ी के नायक हवलदार सरदार ईशर सिंह का 8 फुट ऊँचा बुत यादगार गेट पर प्रदर्शित किया गया है। इसके इलावा उस समय के युद्ध के दृश्य को दिखाते हुए 41 फुट लम्बी दीवार ( मूरल वाल) बनाई गई है।
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब में इन ऐतिहासिक महत्ता वाले स्थानों के सर्वपक्क्षीय विकास उपरांत लोक अपने गौरवमई और ऐतिहासिक विरासत के साथ जुड़ेंगे और देश विदेश में से बड़ी संख्या में सैलानी राज्य में यह ऐतिहासिक स्थान देखने आएगे और राज्य में पर्यटन को बढावा मिलेगा और राज्य की आर्थिक विकास की गति तेज होगी। यह यादगार आने वाली पीढ़ीयों के लिए प्ररेणादायक बनेगी।
समागम दौरान कैबिनेट मंत्री डा. बलजीत कौर ने युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के पारिवारिक सदस्यों को भी सम्मानित किया।