शिमला, 2 जून। शिमला के IGMC ने brachytherapy से पित्त की नली के कैंसर का इलाज कर एक नई उम्मीद जगा दी है।
मेडिकल साइंस ने ये कमाल तब किया जब पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण के दौर से जूझ रही है।
IGMC में काम कर रहे Radiology के डॉक्टरों की टीम ने एक जटिल ऑपरेशन कर इतिहास रच दिया है।
यह ऑपरेशन रेडियोलॉजी विभाग से इंटरवेशन रेडियोलॉजिस्ट एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिखा सूद ने किया है।
उन्होंने गॉल ब्लैडर के कैंसर से पीड़ित 51 साल की कर्मचंद का 2017 में ऑपरेशन किया गया था।
इसके बाद उन्हें कीमो रेडियोथेरेपी दी गई थी।
2021 में मरीज को पीलिया हुआ तो अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन तथा पेटसीटी हुआ था।
पता चला कि कैंसर की वजह से उनके जिगर के पास लिफ्फ स्नोड (सूजी हुई ग्रंथियां) बन गए हैं
तथा उनकी पित्त की नली में रुकावट आ रही है।
इसकी वजह से उन्हें पीलिया हो गया।
क्योंकि इन लिम्फ स्नोड ने जिगर की arteries को घेर रखा था। इस लिए डॉक्टरों के लिए दोबारा ऑपरेशन संभव नहीं था।
इस तरह किया brachytherapy से पित्त की नली के कैंसर का हुआ इलाज
प्रोफेसर डॉ. शिखा सूद ने बिना चीर फाड़, बिना बेहोश किए मरीज की पेट की चमड़ी से जाते हुए,
जिगर से गुजरकर रुकी हुई पित्त की नलियों को कैथेटर डालकर खोल दिया।
उनका पित्त इस ऑपरेशन के बाद सामान्य रूप आंतों में जाने लगा तथा मरीज का पीलिया बिल्कुल ठीक हो गया।
इसके बाद मरीज को इस कैथेटर के द्वारा ब्रैकीथेरेपी दी गई।
इससे की मरीज में पड़े लिम्फ स्नोड को जला दिया गया ताकि वह कैथेटर तथा भविष्य में डाले जाने वाले स्टेंट को बंद न कर सके।
इस तरह का यह पहला सफल ऑपरेशन आईजीएसमी के इतिहास में पहली बार हुआ है।
डॉ. शिखा सूद के अनुसार इस इलाज से अब वह मरीज जो गॉलब्लैडर के कैंसर,
पित्त की नलियों का कैंसर जैसे पैरीएम्पूलरी कैंसर आदि जैसों बीमारियां जो कि
ऑपरेशन करने के दायरे से बाहर जा चुके होते हैं, का इलाज संभव हो सकेगा।
दिल्ली एम्स के डॉक्टर गमनगट्टी की टिचिंग brachytherapy में आयी काम
डॉ. शिखा सूद ने बताया कि यह प्रणाली उन्होंने अपने टिचर प्रोफेसर शिवानंदन गमनगट्टी से सीखी।
जो कि एम्स नई दिल्ली में प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे हैं।
दरअसल डॉ. शिखा सूद हाल ही में एम्स (नई दिल्ली) से gastrointestinal Radiology में फैलोशिप करके आई हैं।
कई तरह के नए-नए इलाज आईजीएमसी में डीएसए तथा सीआर्म मशीनों की सहायता से कर रही हैं।
होश में रहकर मरीज देख रहा था अपना ऑपरेशन
डॉ. शिखा सूद ने बताया कि कोविड-19 के चलते भी उन्होंने अपनी सूझबूझ तथा साहस से इस ऑपरेशन को सफल किया।
जिसे बिना चीर-फाड़ किए मरीज का पीलिया खत्म किया।
बल्कि, पित्त की नली को बंद करने वाले लिम्फ स्नोड को भी Brachytherapy के जरिए जला दिया।
इस सारे ऑपरेशन के वक्त मरीज पूरी तरह से होश में था।
अपना ऑपरेशन खुद होते देख रहा था और डॉक्टर से बात भी कर रहा था।
बता दें कि पिछले दो महीने में डॉ. शिखा सूद ने करीब 41 मरीजों की जान बचाई है।
ऑपरेशन के दौरान रेडियोथेरेपी विभाग के HOD डॉ. मनीष, डॉ. दीपक तुली, डॉ. ललित, रेडियोलॉजी के डॉ. जॉन, रेडियोग्राफर तेजेंद्र व नर्सिज ज्योति, सुनीता व वैजंती भी मौजूद रहे।