चंडीगढ़, 30 सितंबर। आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के वरिष्ठ व नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को दो टूक शब्दों में पूछा कि पंजाब और हर एक बिजली खपतकार को चूस रही निजी कंपनी के साथ किए महंगे और एकतरफा बिजली खरीद समझौते (पीपीएज) कब रद्द किए जाएंगे?
उन्होंने आरोप लगाया कि इस कार्रवाई के लिए विधानसभा के लंबित मॉनसून सेशन के लिए भी टाल-मटोल की जा रही है।
चीमा ने चन्नी के 2 किलोवाट तक लोड के खपतकारों के पुराने बकाया माफ करने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसके लिए आम आदमी पार्टी ने बिजली आंदोलन के तहत वर्षों से संघर्ष कर कांग्रेस को मजबूर किया है।
उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि 1200 करोड़ रुपये का यह भार पंजाब के खजाने और लोगों पर थोपने के बजाय चन्नी सरकार निजी बिजली माफिया द्वारा लुटे गए अरबों रुपये वसूलने पीपीएज रद्द करने का कदम उठाती।
चीमा ने कहा कि बिजली समझौतों के संबंध में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री रहते समय विधानसभा में `व्हाइट पेपर’ लहराकर दोबारा अपनी जेब में डाल लिए थे।
उन्होंने चन्नी सरकार से उसे तुरंत सार्वजनिक करने की मांग की।
चीमा ने नवजोत सिंह सिद्धू को घेरते हुए कहा कि सत्ता की बागडोर हाथ में आते ही बिजली समझौते तुरंत रद्द करने की डींगे मारने वाले सिद्धू को जब ऐसा कर दिखाने का दूसरा मौका मिला तो वह अपनी आदत के अनुसार रूठ कर बैठ गए।
चीमा ने नवजोत सिंह सिद्धू को गैर-गंभीर और जिम्मेदारियों से भागने वाला किरदार करार दिया।
उन्होंने उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कैप्टन के मुख्यमंत्री रहते समय बेबसी दिखाने वाले ये सत्ताधारी अब बिजली समझौते रद्द करने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठा रहे?
जबकि विधानसभा में राणा गुरजीत सिंह और सुखजिंदर रंधावा ने निजी बिजली कंपनियों की द्वारा की जा रही लूट की पुष्टि स्वयं की थी। चीमा ने कहा कि कुर्सी की लड़ाई में कांग्रेसियों ने पंजाब के लोगों को सूली पर टांग हुआ है।