शिमला, 2 सितंबर। हिमाचल के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि प्राकृतिक खेती के परिणाम देखने को मिले हैं और लगभग 1 लाख 30 हजार किसान इस खेती से जुड़े हैं।
राज्यपाल यह बात प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना क्रियान्वयन इकाई की बैठक में बोल रहे थे।
आर्लेकर ने कहा कि वे किसान नहीं हैं लेकिन, वे इस प्रणाली को लंबे समय से बढ़ावा दे रहे हैं।
उन्होंने सुभाष पालेकर से भी मुलाकात की थी और उनसे खेती के इस तरीके की जानकारी भी ली।
आर्लेकर ने कहा कि इसे अपनाने से साल भर एक ही समय में एक ही जमीन से अलग-अलग फसलें प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि देशी गाय की रक्षा के लिए भी यह कृषि पद्धति बहुत महत्वपूर्ण है।
इस कृषि पद्धति में पहाड़ी गाय का महत्व समझाया गया है और इसे बढ़ावा देने से गायों का संरक्षण भी संभव होगा।
उन्होंने कहा कि हिमाचल में भूमि जोत बहुत कम है और इस पद्धति को अपनाने से अधिक उपज मिलेगी।
आर्लेकर ने उनसे जनजाति क्षेत्रों में भी इस खेती को बढ़ावा देने और इसके बारे में जागरूक करने को कहा।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में भूमि की उर्वरता बढ़ाने की क्षमता है।
इस अवसर पर कृषि सचिव अजय शर्मा ने किसानों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से अवगत कराया।
प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना के परियोजना निदेशक राकेश कंवर ने कार्यों के बारे में बताया।