चंडीगढ़, 17 मई। ‘‘राज्य का मज़दूर वर्ग इसकी आर्थिकता की रीढ़ की हड्डी है जिसको मुख्य रखते हुए इस वर्ग का कल्याण सरकार की प्राथमिकतों में से एक है और इस वर्ग की ख़ुशहाली यकीनी बनाने के लिए सरकार की तरफ से कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जायेगी और सरकार के दरवाज़े इनके लिए हमेशा खुले रहेंगे।’’
यह बात मज़दूर यूनियन के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करते हुए पंजाब के ख़ाद्य, सिविल सप्लाई, उपभोक्ता मामले और वन मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने कही।
इस मौके पर मज़दूर यूनियनों के प्रतिनिधियों की तरफ से यह माँग की गई कि ठेकेदारी प्रणाली से मज़दूर वर्ग को राहत देते हुए इस प्रणाली को ख़त्म करके रकम सीधा मज़दूरों को ही दी जाये जिससे उनका जीवन स्तर ऊँचा उठ सके।
इसके जवाब में लाल चंद कटारूचक्क ने पूरी हमदर्दी से इस मसले पर गौर करने का भरोसा दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि जहाँ तक मज़दूरों को दिए जाते मूल रेटों के संशोधन का सवाल है तो इस सम्बन्धी वह केंद्र सरकार को पत्र लिख चुके हैं और ख़ुद भी जल्द ही निजी तौर पर केंद्र सरकार के साथ इस सम्बन्धी सम्पर्क करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि यह वर्ग राज्य की आर्थिकता की रीढ़ की हड्डी है, इसलिए मज़दूरों के काम करने के हालत को और बेहतर बनाने के लिए सरकार की तरफ से भरपूर कोशिश की जायेगी।
इस मौके पर विभाग के डायरेक्टर अभिनव त्रिखा ने जानकारी दी कि मूल रेट में संशोधन का मसला केंद्र सरकार के पास भेजा जा चुका है जिस पर विचार हो रहा है।
इसके बाद आढ़तिया एसोसिएशन आफ पंजाब के प्रतिनिधियों के साथ भी मंत्री ने मुलाकात की और उनकी माँगों संबंधी जानकारी ली।
एसोसिएशन की तरफ से माँग की गई कि टैंडरिंग की कोई ऐसी उचित नीति तैयार की जाये जिसमें मज़दूर वर्ग, ट्रक मालिक भी हिस्सा ले सकें और ठेकेदारों का एकाधिकार ख़त्म हो। इसके इलावा अगर किसी ठेकेदार की तरफ से ठीक ढंग से काम पूरा नहीं किया जाता तो स्वाभाविक तौर पर इसके समानांतर लोडिंग/अनलोडिंग का प्रबंध मंडियों में किया जाये। आढ़तियों की तरफ से अपने कमीशन में विस्तार किये जाने की माँग की गई क्योंकि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है।
इसके इलावा आढ़तियों की तरफ से कई अन्य मसले जैसे कि मंडियों में लिफ्टिंग, एक से पाँच किलोमीटर के दायरे में प्रति क्विंटल एकसमान प्राइमरी दरें लागू करना, लोडिंग /अनलोडिंग समय पर किया जाना, मंडियों में से अनाज की लोडिंग और ट्रांसपोर्ट पालिसी में सुधार किया जाये, ख़रीफ़ सीजन के दौरान खाद और अनाज की स्पैशलों की ढुलाई पर 1महीने तक रोक लगाई जाये, मंडियों में से गोदामों तक ढुलाई का काम ठेकेदार की बजाय आढ़तियों से ही करवाया जाये, मंडियों से से 5 किलोमीटर तक के घेरे में ढुलाई का रेट 5किलोमीटर वाला रेट लागू किया जाये, कलस्टर सिस्टम ख़त्म किया जाये या कलस्स्टर छोटे बनाऐ जाएँ जिससे बड़े ठेकेदारों की मनमानी को रोक लगाई जा सके, ढुलाई और लोडिंग/अनलोडिंग के मूल रेटों में हर साल विस्तार किया जाये, अनाज की ढुलाई का काम आढ़तियों के द्वारा करवाने के लिए नीति बनाई जाये, आदि भी उठाये गए।
उपरोक्त माँगों को गौर से सुनते हुए श्री लाल चंद कटारूचक्क की तरफ से आढ़तिया एसोसिएशन के प्रतिनिधियों को भरोसा दिलाया गया कि जायज माँगों को लागू करने के लिए पूरी गंभीरता से गौर किया जायेगा क्योंकि आढ़तिया वर्ग राज्य के अर्थव्यवस्था की मज़बूती में अहम भूमिका निभाता है।