चंडीगढ़, 30 जुलाई। हरियाणा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का वर्ष 2025 तक सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए आज मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश में औपचारिक रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि इस नीति को सफल करने के लिए हरियाणा में ड्रॉप आउट रेट कम करके प्रत्येक बच्चे को स्कूल तक लाया जाएगा, ताकि शिशु अवस्था से ही उसके सर्वांगीण विकास पर जोर दिया जा सके।
पंचकूला में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के लोकार्पण समारोह में मुख्यमंत्री ने शिक्षाविदों और छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020, 21वीं सदी में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली है। इस नीति में शिक्षा एवं रोजगार के साथ-साथ छात्रों को संस्कारवान और स्वावलंबी बनाना है, ताकि विद्यार्थी दुनिया में भारत को पुन: विश्व गुरु बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के समय लार्ड मैकाले की वह शिक्षा पद्धति ‘तीन आर’ : राइटिंग, रीडिंग और अरिथमेटिक पर केन्द्रित थी, जो एक नागरिक का संपूर्ण विकास करने वाली नहीं थी। आज 21वीं सदी में आजादी के 75 साल के बाद देश को एक ऐसी शिक्षा नीति की आवश्यकता है जिससे युवा पीढ़ी शिक्षित तो बने ही उसके साथ ही उसमें राष्ट्रीयता की भावना भी पैदा हो। इसी उद्देश्य से केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की शुरुआत की।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का एक लक्ष्य वर्ष 2030 तक उच्चतर शिक्षा में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात 50 प्रतिशत से अधिक करना है । इस दिशा में भी हरियाणा प्रदेश काफी आगे है। हमारे यहां लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात 32 प्रतिशत है।
मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में ऐसे शिक्षण संस्थान तैयार किये जा रहे हैं , जिनमें नन्हे बच्चे की केजी कक्षा से युवा विद्यार्थी की पीजी कक्षा तक की शिक्षा प्रदान की जाएगी। हम प्रारंभ में ऐसे चार विश्वविद्यालयों में यह व्यवस्था करने जा रहे हैं। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने तो इसी सत्र अर्थात 2021-22 से केजी से पीजी स्कीम के तहत दाखिलों की तैयारी शुरू कर दी है ।

